क्या हमेशा समय के साथ चलने वाले तरक्की पाते हैं ?
समय के साथ चलने वाला हमेशा तरक्की का पात्र होता है। सिर्फ किस्मत साथ देनी चाहिए । वर्तमान ऑनलाइन का युग है । जो समय के साथ चलना सिख गया है । वहीं कामयाब इंसान कहलाता है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
दो पीढ़ियों में जो अंतराल आ जाता है तो मतभेद धीरे-धीरे मनभेद में बदलने लगते हैं|सिद्धांत और
व्यवहार के बीच की खाई को भरना बहुत कठिन हो जाता है| एक ओर तो हमारी प्राचीन परंपराएं हैं जिन्हें प्राचीन पीढ़ी छोड़ना नहीं चाहती |तो दूसरी ओर वैज्ञानिक प्रगति अर्थात डिजिटल विकास ने युवा वर्ग की सोच व उसके व्यवहार को सर्वथा परिवर्तित कर दिया है |आज का युवा वर्ग ऐसी दौड़ में संलग्न है कि मुड़ कर देखना भी नहीं चाहता |ऐसा नहीं है कि पुरानी पीढ़ी सिद्धांत वादी होकर ही रह गई है बल्कि उसको जीवन के व्यावहारिक पक्ष का भी ज्ञान है ||उसने नए को तो स्वीकार किया है लेकिन वे प्राचीन के मोह का त्याग नहीं कर सके|
इस प्रकार दुविधा में जीना किसी भी पीढ़ी के लिए उचित नहीं है |आधुनिकता केवल फैशन व महंगी वस्तुओं पर धन बर्बाद करना या देर रात तक पार्टियों में व्यस्त रहने का नाम ही नहीं है| बल्कि सर्वांगीण विकास के लिए व्यक्तिगत रूचियों में रस लेने की अपेक्षा सामाजिक स्तर पर अपने दायित्व को निभाने में है |
परिस्थितियां सदा परिवर्तनशील है| उसका रूप बदलता है |इसलिए परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन मान्यताओं का त्याग करना तो आज के संदर्भ में उपयोगी नहीं है और नए पन का स्वागत करना जो व्यक्ति विकास में सहयोगी हो ,ग्रहण करना लाभप्रद है | अर्थात सकारात्मकता ऐसे जैसे ताजी हवा ; ऐसे जैसे बहते कुंए का पानी जो सदा स्वच्छ रहता है और दूसरी ओर एक तालाब का एकत्रित जल कुछ समय पश्चात गन्दला हो जाता है |
अत: जीवन एक बहाव है |यहाँ कुछ भी ठहरता नहीं | समय-समय पर हमारी मान्यताएं भी बदलनी चाहिए |समय के साथ चलना ही मनुष्य के लिए उपयोगी हो सकता है| जैसे आज कोई कहे कि वह तो बैलगाड़ी में ही यात्रा करेगा तो कैसा लगेगा?
आपने देखा समाज धीरे-धीरे भीतर से परिवर्तित हो रहा है| पहले महिलाएं बाहर नहीं निकलती थी |निकलती थी तो घूँघट निकाल कर| सभी समय के साथ चले तो ही समाज में परिवर्तन संभव हो पाया |लड़कियां आत्मनिर्भर बनने लगी |पुरुष भी बहुत हद तक अपनी प्राचीन मान्यताओं से बाहर आने में प्रयासरत है|
अत: स्पष्ट है कि समय के अनुरूप चलकर , वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपना कर,पुराने में जो सहेजने योग्य है उसे सहेजते हुए नए का स्वागत करना है |और जो समय के साथ गति करता है सफलता उसके कदम चूमती है |
जितने भी महापुरुष इस पृथ्वी पर हुए हैं वे सभी इसी ओर संकेत करते हैं |चरैवेति -चरैवेति |
-चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
समय के साथ चलने वाले ही जीवन में सफलता पाते हैं यह बात बिल्कुल खरे सोने की तरह सच है तभी एक कहावत भी कही गई है कि "टाइम इज मनी"
समय ही सच्चा धन है जो व्यक्ति समय पर उठता है और सुबह का सूरज देखता है वही दिन में उजाला और सुबह की किरणों का आनंद ले सकता है।
सभी कवियों ने भी कहा है कि उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहां जो सोवत है सबको बात है जो जागत है सो पावत है।
यह बिल्कुल सही कहा गया है यदि विद्यार्थी पढ़ने के समय पढ़ाई नहीं करेगा सोएगा तो वह अपने जीवन में आगे सफलता के उच्च शिखर पर कहां पहुंच सकता है उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिलेगी।
आज का काम जो कल पर डालेगा सही समय पर काम नहीं करेगा उसका काम कहां से पूरा हो सकेगा।
आत्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरु सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद आदि सभी महा ऋषि मुनियों गीता में भी कर्म करने को अदा दी गई है और सभी ने हमें समय के साथ चलने की शिक्षा दी है।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जो.ब्यक्ति समय के साथ चलते हैं। वह ब्यक्ति हमेशा त्तरक्की करता हैअर्थात अपना लक्ष्य समय के साथ सन्तुलन बना कर पूर्ण कर लेता है। जो व्यकित समय का सदुपयोग करता है।वह व्यकित जिंन्दगी मे कभी असफल नही होता।अतः द८र मनुष्य को समय का क्यु करना चाहिए समय का ध्यान ररवकर जो व्यक्ति कार्य व्यवहार करता है।वही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है । मनुष्य जो भी कार्य करता है वह सफलता के लिए ही करता हे।अतः हर मानव को सफलता पाने के लिए समय की महत्व पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
समय के साथ चलना ज़रूरी है और यही वक्त की पुकार है .समय के साथ चलते हुए तरक्की मिल जाए तो इसका ये अर्थ नहीं है जो समय के साथ नहीं चलते उनको तरक्की नहीं मिलती .समय के साथ चलना भी तरक्की का पायदान बन सकता है बशर्ते इसक्रियामें उसूलों से समझौता न किया जाये .उस तरक्की का क्या फायदा जो अपने इम्मान को औरअस्मिता को खोकर मिली हो !!
समय के साथ चलते हुए जो तरक्की प्राप्त हो औरव्यक्ति को स्वयं की नज़र मैं गिराने वाला कोई कार्य न हो उसे ही स्वस्थ तरक्की कहेंगे .एक स्वस्थ तालमेल होना ज़रूरी है तरक्की व साथ चलने की हद मैं .
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जी ! सोलह आने सच ! समय के साथ चलने वाले हमेशा तरक़्क़ी पाते हैं। समय के साथ न चलने वाले पीछे रह जाते हैं। 21 वीं यदि में 14 वीं सदी की बात करें तो ,पिछड़ापन ही कहलाएगा, कौन स्वीकारेगा उसे ?
समय को महत्व देना,
स्वीकारना,उसके अनुरूप स्वयं को ढालना, नए कौशल सीखना,ही जीवंतता है।
हाँ ! समय की माँग को स्वीकारते हुए, समय की
धारा को, विपरीत प्रवाह में मोड़ने ताक़त रखना भी ज़रूरी है। समय की हर मांग उपयोगी एवं लाभदायी नहीं होती। उसे बदलना ज़रूरी होता है।ऐसे में प्रतिरोध की आवाज़ बुलंद करना पड़ता है। यह विरले ही कर पाते हैं। जैसे- सती प्रथा का अंत,विधवा विवाह को स्वीकृति का नारा देने वालों ने किया ।उन्होंने मानव जीवन को , मानवीय भावनाओं को ,
संवेदनाओं को
अहमियत दी ,न कि प्रचलित मान्यताओं को।
- डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
फ़रीदाबाद - हरियाणा
समय के साथ जो चलते है कामयाबी वहीं पाते है ,
समय हाथ से निकल गया तो पछताना ही पड़ता है
मनुष्य को समय का सदैव सदुपयोग करना चाहिए, समय व्यर्थ में व्यतीत करना मूर्खता है। हमारे जीवन में कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता अतः भविष्य के ऊपर कोई भी कार्य हमें नहीं छोड़ना चाहिए। समय के साथ जो चलता है वही कामयाब होता है। उसे जीवन में कभी पछतावा नहीं होता क्यूंकी वो सब कुछ हासिल कर लेता है।
संसार में समय को सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन माना गया है। अतः हमें इस मूल्यवान धन अर्थात समय को व्यर्थ ही नष्ट नहीं करना चाहिए क्योंकि बिता हुआ समय वापस नहीं लौट पाता। इसके विषय में एक कहावत प्रशिद्ध है “गया वक्त फिर हाथ आता नहीं, समय किसी की प्रतीक्षा नही करता।” समय का महत्व इस बात से भी स्पष्ट है कि यदि धन खो जाए तो पुनः कमाया जा सकता है। यदि स्वास्थ्य खो जाए तो उसको भी प्राप्त कर सकते है। परन्तु समय एक बार हाथ से निकल जाए तो पुनः लौट कर नही आ सकता। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करते है। वो ही जीवन मे सफल होता है।
हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण सीमित है। हम कई कार्यो को सीमित समय पे करने की जगह समय की कीमत जाने बगेर उसे टालते जाते है और फिर पछताते है कि काश हमने ये काम उस वक्त कर दिया होता। एक कहावत भी है। “अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चूक गयी खेत” इसलिए प्रत्येक कार्य हमे सही समय पर कर लेना चाहिए। वेसे भी भगवान ने हमे जितना समय दिया है। उसे ज्यादा किसी के पास एक क्षण भी नही होता है। इसलिय हमे हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। समय का सदुपयोग करके निर्धन धनवान, निर्बल सबल, मूर्ख विद्धवान बन जाता है।
समय के साथ-साथ जो चलता है जीवन में तरक़्क़ी पाता है । कामयाबी हर हाल में हासिल होती है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
हमारे पूर्वज कहा करते थे कि ,जो व्यक्ति वक्त के साथ चलता है, वही जीवन में सफल हो पाता है। अन्यथा समय उसे बहुत पीछे छोड़ देता है।फिर वही व्यक्ति समय को ,कभी पकड़ नहीं पाता है।
कहावत भी है कि दुनिया में आज तक कोई बादशाह नहीं हुआ,जो समय की बराबरी कर सके।समय पहले भी बादशाह था,आज भी बादशाह है।
सीधी सी बात है, समय की नज़ाकत परखिये,समझिये और समर के अनुरूप चलिये।आपको मंजिल मिलना तय है।
जो समय का महत्व नहीं समझ पाते,वे भीड़ में गुम हो जाते हैं। लोग ऐसे व्यक्तियों को,याद भी नहीं रखते हैं।
समय कभी किसी को दूसरा अवसर भी नहीं देता है। जो समय को मौका समझ ,भूना लेते हैं। वही विशेष बनते हैं। तरक्की करते हैं। जो समय के साथ चला,वह प्रसिद्ध हो गया है।
- डॉ मधुकर राव लारोकर
नागपुर - महाराष्ट्र
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या समय के साथ चलने वाले हमेशा तरक्की पाते है तो यह बिल्कुल सही बात है समय के साथ-साथ अपने आप में सुधार करते रहना चाहिए और अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहना चाहिए प्रत्येक समय की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं और उन्हीं के अनुसार चलना आवश्यक भी है यदि हम ऐसा नहीं करते तो पिछड़ जाते है समय के साथ चलना बहुत आवश्यक है परंतु यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि आगे बढ़ने और तरक्की करने के लालच में हम कोई ऐसा काम न करें जो हमारी संस्कृति एवं समाज पर कुप्रभाव डालता हे या कोई ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे बच्चों परिवार समाज और देश की नजरों में हमारी अपनी छवि को नुकसान पहुंँचता हे समय के साथ चलना हमेशा आवश्यक है तभी हम उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं परंतु फिर यह दोहराना चाहूंगा कि तरक्की के लालच में या आगे बढ़ने के प्रयास में कोई ऐसा रास्ता न अपनाएं जो हमारी अपनी संस्कृति व समाज के हित मे न हो़
- प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अपने आप को समय के पाबंदी के अनुसार चलने से सफलता (तरक्की) निश्चित होगा।
अगर आप समय के अनुसार और शर्तों के आधार पर चलते है, तो जीवन में बदलाव हो सकता है।
सफलता या तरक्की के लिए जरूरी है खुद को जानना।
सफलता क्या है?
हर किसी की सफलता का पैमाना भिन्न है।इसलिए हर किसी की सफलता की व्याख्या अलग-अलग होती है ।कुछ के लिए मन की अवस्था है ,कुछ के लिए भौतिक सुख ,कुछ के लिए निश्चित पद पाना,कुछ को समाज में कुछ बढ़ा कर के नाम और शोहरत पाना ।
मेरे विचार से सफलता पूर्ण नहीं होती यह एक अल्पविराम है।यह अंत ना होकर जीवन का एक मोड़ है ।
हर एक व्यक्ति एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए पाया गया है, और अपनी सफलता का आनंद भी नहीं ले पाते हैं।
अंत में मैं यह कह सकते हैं, सफलता या तरक्की को चूमने के लिए समय पर उचित परिश्रम तथा व्यक्तिगत पहल या असाधारण प्रतिभा हो।
लेखक का विचार:- सफलता पाने के लिए पहले हम खुद को पहचानने और फिर अपनी अंतरात्मा से स्पर्धा करें। आत्मविश्वास और अपनी आंतरिक शक्ति का भी प्रयोग करें। सफलता कुछ और नहीं बल्कि संपूर्णता की एक भावना है।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखंड
विषय बिल्कुल यथार्थवादी है समय से चलने वाले निश्चित ही तरक्की पाते हैं तरक्की कई अर्थों में जाना जाता है तरक्की को सफलता भी कहते हैं तरक्की को शांति भी कहते हैं तरक्की को संतोष भी कहते हैं
समय अपने आप में एक ऐसी पूंजी है जो एक बार चली जाती है तो फिर वापस नहीं आती इसलिए हर इंसान को समय के साथ चलना ही बुद्धिमानी है
कई बार इंसान समय को समझ नहीं पाता और धैर्य के साथ इंतजार करने में जो वास्तविक समय उसके पास आया था उसे खो देता है और फिर उसके दिल और दिमाग में एक पछतावा बना रहता है।
समय के साथ चलना जीवन में समय का प्रबंधन रखना तरक्की और सफलता का मूल मंत्र है प्रकृति को देखें नियम पूर्वक सूर्य समय से दर्शन देते हैं चांद समय से दर्शन देते हैं हवा नियमत चलती रहती है पानी नियमत मिलते रहते हैं।
समय प्रबंधन और समय के महत्व को समझने वाला हर इंसान अपने जीवन में तरक्की और सफलता प्राप्त करता है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
एक कहावत है - "समय का चूका सिर मारे"।
एक कहावत और है - "जब चिड़िया चुग गयी खेत तब पछताये क्या होत"।
आज की परिचर्चा के सन्दर्भ में ये दोनों कहावतें बिल्कुल सटीक बैठती है।
हमारे जीवन में अनेक अवसर ऐसे आते हैं जब हमें समयानुसार उचित निर्णय लेकर स्वयं को गति देनी होती है। समयानुसार अपने विचारों और कार्यों को परिवर्तित करना होता है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो उक्त दोनों कहावत हमारे ऊपर पूरी तरह से लागू होती हैं।
बदलते दौर में पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक और जीवन जीने के तौर-तरीकों में परिवर्तन आया है। यह जरुरी नहीं कि प्रत्येक परिवर्तन को स्वीकार किया जाये परन्तु यही तो हमारे विवेक की परीक्षा होती है कि समयानुसार किस परिवर्तन को स्वीकार करके हम अपनी तरक्की कर सकते हैं। समय के साथ चलने का आशय यही है कि अपनी बुद्धि-विवेक से हम वर्तमान समय के अनुसार कदम उठायें और परिस्थितियों को अपने अनुकूल करें, तभी हम निरन्तर उन्नतिशील रह सकते हैं।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
यह सच है की समय किसी का इन्तजार नहीं करताऔर जब हाथ से निकल जाता है, कभी वापिस नहीं आता
समय के साथ चलने पर सफलता की चरमसीमा पर पहुंचा जा सकता है, समय के साथ चलने का मतलब है, अपनी कामजाबी वा नाकामजाबी सब को भुलकरआगे की मंजिल को तलाश करनाऔर सिर्फ चलते रहना,इसलिए जो समय के साथ चलते हैं कभी नहीं रूकते वो अपनी मंजिल तक जरुर पहुंचते हैं।
यह मानना तय है की जो समय के पाबंद होते हैं वो ही मंजिल को पाने में सफल होते हैं, इसलिए हर प्राणी को समय के पाबंद रहना चाहिए तभी वो अपनी मंजिल को हासिल कर सकता है, यह ज्ञान हमें प्रकृति से लेना चाहिए, मानो अगर सूरज समय पर न निकले तो, मौसम अपना मिजाज बदलना छोड़ दें ते सारा निजाम उथल पुथल हो जाएगा, इसी तरह समय पर कार्य न करने से हमारे जीवन में भी उथल पुथल हो जाती है मगर हम महसूस नहीं करते और मुकदर पर दोष डालते हैं।
समय वहुत बलवान होता है, लोग कहते हैं टायम पास कर रहे हैं, पर असल में टायम हमें पास कर रहा होता है, जो हमें कौसों पीछे धकेल देता है और हम अपना मुंह वनाकर खड़े रह जाते हैं अता हमें बक्त की ऱफतार के सा़थ चलना, चाहिए ताकि हम वक्त के पहले तरक्की कर सकें।
मुझे रफी जी का दर्द भरा नगमा याद आ रहा है ।
वक्त के दिन और रात, वक्त के कल और आज, वक्त की हर शै गुलाम, वक्त का हर शै पै राज , न जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज। इसलिए वक्त से पहले अपने आप को वदलो, तभी हम सब आसमान की उंच्चाईयों को छू सकते हैं, इसलिए हर प्राणी को समय के साथ चलना चाहिए, ताकि वो अपनी मंजिल को सही समय पर हासिल कर सके, क्योंकी आसमान की कोई सीमा नहीं, समय को ताक कर चलो वा इसको साथ लेकर चलो मंजिल हमेशा आपके चरण छुए गी, समय के साथ चलने वाले ही तरक्की कर पाते हैं, यही सत्य प्रमाण है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
किसी ने सही कहा है कि "समय और ज्वारभाटा किसी का इंतजार नहीं करते हैं। इस का अर्थ है कि समय किसी का इंतजार नहीं करता,बल्कि सभी को समय के साथ ही चलना चाहिए। समय कभी रुकता नहीं। समय सभी को अपने चारों ओर नचाता है। समय को ना हराया जा सकता है और ना ही जीता जा सकता है। बस समय के साथ कदम ताल मिलाना जरूरी है। हर पल जीवन में अनेक अवसर लेकर आता है। इस लिए हमेशा ही समय का सदुपयोग करना चाहिए। कहा जाता है कि समय अमूल्य धन है, लेकिन हम धन की तुलना समय से नहीं कर सकते क्योंकि धन को खो कर दुबारा प्राप्त कर सकते हैं मगर समय को एक बार खो दिया तो हम इसे किसी भी साधन द्वारा प्राप्त नहीं कर सकते।
इस लिए यह बात शत -प्रतिशत सही है कि हमेशा समय के साथ चलने वाले ही तरक्की पाते हैं। कहा जाता है कि जो समय को नष्ट करते हैं, समय एक दिन उन को बर्बाद कर देता है। प्रजापति शिवा जी महाराज ने कहा ,"जो मनुष्य समय के कुचक्र में भी पूरी तरह से अपने कार्यों में लगा रहता है उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
समय के साथ चलने में भलाई रहती है क्योंकि समय, परिस्थितियां व मान्यताएं बदलती रहती हैं। इसलिए इंसान को तात्कालिक स्थिति अनुसार निर्णय लेना होता है किंतु हमेशा समय के साथ चलने वाले तरक्की पाएं यह कोई जरूरी नहीं है। कुछ भाग्य पर भी निर्भर करता है। देखने में आया है कि हमेशा समय के अनुसार चलने वाले कई परिश्रमी लोग तरक्की नहीं पा पाते। पूर्णतः ईमानदारी से काम करने पर भी उन्हें उसका सही प्रतिफल नहीं मिलता जबकि कई लोग बिना परिश्रम किए ही तरक्की पा जाते हैं। हाँ इतना अवश्य है कि समय के साथ चलने से जीवन आसान हो जाता है, उसकी जटिलताएं कम हो जाती हैं।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
हाँ समय के साथ चलने वाले तरक्की पातें है ।जितने भी महा पुरुष हुए सब ने समय के साथ कदमताल की । न तो समय व्यर्थ मे गवाँया ,न तो समय के विपरीत दिशा में गये ।वक्त को यदि आदमी ठीक से समझता है तो वह सही मार्गदर्शन करता है ।
हम बराबर पढ़ते हैं कि विकलांग लोग अपने जीवन की बुलंदियों को छू रहे हैं । पढ़ाई के क्षेत्र मेंहो या खेल के क्षेत्र में ।मैं तो विस्मित होती हूँ कि कितने संघर्षों के बाद ये लक्ष्य की प्रप्ति करते होंगे । इस कदमताल में समय की मैनेजमेंट सबसे ज्यादा है ।
इस्टेफेन हाॅकिंस शरीर से एकदम विकलांग थे लेकिन खगोलशास्त्र के सबसे बड़े वैज्ञानिक बने क्यों ?क्योंकि उन्होंने समय की कीमत पहचानी ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
तरक्की, सौभाग्य, दुर्भाग्य, विकास, उन्नति इत्यादि सब शब्द हैं। जिनका समय से कोई लेना-देना नहीं है। समय तो एक काल चक्कर है। जो हमेशा गतिमान है। जो युगों-युगों का दर्पण और साक्षी है। जो सुख और दुःख में एक सामान चलता रहता है। जिसने राजा को रंक और रंक को राजा बनते देखा है।यही नहीं सत्यवादी राजा हरिशचंद्र को चांडाल के रूप में देखने का साक्षी भी एक मात्र समय ही है।
समय वह प्रत्यक्षदर्शी है। जिसको त्रेता युग में माता सीता के रावणहरण से या द्वापर युग की द्रोपदी चीरहरण या कलयुग की दामिनी बलात्कार से कोई सरोकार नहीं है। वह आंखें मूंदे अपने पथ पर अग्रसर होता रहता है। जिसने स्वार्थियों के स्वार्थ के वह क्षण भी देखे हैं। जो अपने स्वार्थ के लिए गधे को भी बाप बना लेते हैं और स्वार्थसिद्धी के बाद अपने बाप को भी गधा बनाने से चूकते नहींं हैं।
जबकि तरक्की संघर्षीय पेड़ के फल से महकती है और पसीने की खुश्बू से सुगंधित होती है। जिसपर 'समय' मात्र अपने हस्ताक्षर करता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
एक कहावत हैं "अब पछताए होत कया जब चिडिय़ा चुग गई खेत"।अतः किसी भी कार्य का महत्व तब तक ही होता हैं जब उसे सही समय पर किया जाए।
जिस इंसान ने समय का महत्व समझ लिया उसकी तरक्की निशचित है।
कोई छात्र परीक्षा के उपरांत कितना भी पढ ले इस परीक्षा मे पास नहीं हो सकता।
एक किसान को भी अच्छी फसल चाहिए तो समय का ध्यान रखते हुए सही खेती करनी होगी।
सही समय पर किए गए कार्य से मिट्टी भी सोना बन जाती हैं, अनयथा सोना भी मिट्टी।
सही समय पर,उचित कदम ही तरक्की का,प्रगति का रास्तापरहैं।
- सुधा करन
रांची - झारखंड
जैसी बहे बयार
पीठ तब वैसी कीजै
इस लोकोक्ति की प्रासंगिकता आज भी बनी हुयी है। समय की गति व स्थिति दोनों ही तीव्रता के परिचायक है। कालचक्र के मध्य दिवस , निशा की परिधि में हम सभी निरंतर गतिमान रहते हैं ।
जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती रहती है , जिसके फलस्वरूप जीवन संभव है । प्रकृति के चहुं ओर दिशाएं , वायुमंडल , पेड़ - पौधे , जीव-जंतु तथा समस्त प्राणी जगत का अस्तित्व समय के साथ तालमेल बिठाने में ही निहित है।
इस तथ्य से यह स्पष्ट होता है कि वक्त के धार पर चलने का हुनरमंद व्यक्ति ही सदैव सफलता का स्वाद चखता है।
- संगीता सहाय "अनुभूति"
रांची - झारखण्ड
समय एक अमूल्य धरोहर हैं, जो पुन: वापस नहीं आता, एक बार धन व्यय करने उपरान्त वापस आ जाता हैं। समय रहते सभी प्रकार के कार्यों को संपादित करने से दूसरे कार्यो को गति मिलती हैं और कुछ नया सृजन करने की इच्छा शक्ति का अहसास भी होता हैं। इसलिए जो समय के महत्व को समझता हैं, उसे हमेशा युद्ध स्तर पर तरक्कियों का अम्बार बढ़ता जाता । प्रातःकाल अगर प्रतिदिन दिनचर्या को विभक्त करते हुए, योजनाबद्ध तरीके से, जिस दिन का कार्य सुचारू रूप से उसी दिन सम्पादित करने का तरीका अपनाना चाहिए ताकि भविष्य में सभी कार्यों को बल मिलता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
यदि जीवन में तरक्की यानि कामयाबी पानी है तो समय के साथ चलना ही पडता है । जो व्यक्ति समय की कदर नहीं करता और समय आने पर सोया रहता है वो कभी भी कामयाब नहीं हो सकता । जीवन में कामयाबी का सबसे पहला उसूल है कि जब भी विकास का कोई मौका मिले तो तुरन्त उस मौके को हाथ से जाने ना दें और उसी क्षण उस मौके पर कार्य किया जाए । जो भी लोग आज कामयाबी की बुलंदियो पर पहुंचे हैं वे यही कहते हैं कि वे जीवन में कभी सोए नही । ऐसे लोगों ने मौके पर चौका मारा । जिन लोगों ने समय आने पर आंखें बंद कर ली वे कभी ऊपर नही उठ सके ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज में होने वाले उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं होता। समय के साथ जो बदलाव हो रहा है उसके अनुसार सामंजस्य स्थापित करते आगे बढ़ते रहना ही बुद्धिमानी का परिचायक है। आज का युग डिजिटल युग है। प्राचीन काल से हम तुलना करते हुए अपने रहन-सहन, खान-पान, शिक्षा और अन्य कार्यों या विचारों में अगर परिवर्तन नहीं किये तो हम कुपमंडूक की भांति हीं जीवन जीते रह जाएंगे।
अपने व्यक्तित्व को निखारने की खातिर भारतीय संस्कृति के समावेश के साथ-साथ पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करना हितकर है। महात्मा गांधी ने भी कहा था-- खिड़की सदा खुली रखें। शुद्ध हवा आने दें। प्रदूषित हवा आए तब बंद कर दें।
यानी सदा अच्छे विचारों का अनुकरण करें। अंधानुकरण न करें। सद्गुणों से व्यक्तित्व को पूर्ण कर समय के साथ कदम ताल मिलाते हुए आगे बढ़ते रहें तभी मंजिल पाना संभव है। हमेशा समय के साथ चलने वाले ही तरक्की करते हैं। अगर दकियानूसी विचारों से जकड़े रहे तो व्यक्तित्व का विकास पूर्णत: संभव नहीं होगा।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
समय के साथ न चलने वाला पीछे ही रह जाता है,यह बात सत्य है।और समय तो हमेशा आगे बढ़ता ही है,एक बार पिछड़े तो फिर पल पल
पिछड़ते ही जाना है। उदाहरण आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी से दूर लोग बहुत पिछड़ गये हैं, उन्हें पग पग पर दूसरों की सहायता लेना पड़ता है। एक ई मेल भी स्वयं से नहीं कर पाते।बैंक में जाकर मशीन पर ए टी एम
कार्ड तक स्वयं इस्तेमाल नहीं कर पाते,एक सहायक की जरूरत होती है। समय के साथ चलने का उदाहरण कोरोना काल में देश में देखने को मिला,जब बहुत से लोगों ने मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया।इस काल की आवश्यकता को पहचानते हुए उन्होंने अपने लिए व्यापार के अवसर पैदा कर लिए।जबकि अधिकांश लोग समय के साथ न चलकर पिछड़ गये। कुछ आलसी लोग इसे अवसरवादिता कह देते हैं।यह अवसरवादिता नहीं समय की नब्ज को पहचानना है। समय के साथ चलने वाले हमेशा तरक्की पाते रहे हैं। ध्यान रहे तरक्की पाना और तरक्की करना दो अलग अलग स्थिति है। तरक्की पाने वाले के पीछे तरक्की करने वाले का विशेष योगदान होता है, जबकि तरक्की करने वाले के पीछे उसकी स्वयं की मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति होती है। इनमें एक बात समान होती है और वह है समय के साथ चलना।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जीवन चलने का नाम
चलने का नाम ही जिंदगी है
यह कभी रुकती नहीं समय कैसा भी हो परिस्थितियां कैसी भी हो चलना निर्बाध रूप से यही जिंदगी की सच्चाई है।
परिवर्तन यह जीवन का क्रम चक्र है
समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना यह किसी भी राष्ट्र देश गांव समाज परिवार के लिए नितांत आवश्यक है प्रगति के लिए साध्य (लक्ष्य) तक पहुंचने का साधन है ।
समय के साथ चलकर ही विज्ञान टेक्नोलॉजी और विभिन्न क्षेत्रों में
तरक्की के कारण संचार क्रांति के माध्यम एक स्थान से बैठकर सारे विश्व की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
निश्चित ही समय के साथ चलने वाले तरक्की पाते हैं ।
यहां तक कि जीवन को खुशहाल बनाने के लिए हमारे अनुभवी सूझ बूझ
रखने वाले बुजुर्ग भी परिवार और बच्चों के साथ समय के साथ तालमेल बनाकर रखते हैं और परिवार की गरिमा बनी रहती है।
किसी ने खूब कहा है--
*कदम से कदम बढ़ाए जा तू खुशी के गीत गाए जा*
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
जो समय के साथ चलता है, उसके साथ उसका भाग्य भी चलता है और जो रुक जाता है तो उसके साथ उसका भाग्य भी रुक जाता है ।
हम थक जाने पर विश्राम करते हैं लेकिन हमने समय को थकते हुए, विश्राम करते हुए कभी नहीं देखा ।
हम आलस, फालतू बात- चीत में समय को व्यर्थ गमा देते हैं । आवश्यक काम को भी अभी कर लेंगे अथवा अभी तो बहुत समय है ऐसा कह कर कल पर टाल देते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि या तो समय पर काम पूरा होता ही नहीं और यदि होता भी है तो उसकी गुणवत्ता में कमी रहती है ।
समय जीवन में महत्वपूर्ण है, इसके निकल जाने के पश्चात पश्चाताप के अलावा और कुछ नहीं बचता । कहा भी है-
" अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ।" इसलिए-
" काल करै सो आज कर, आज करै सो अब, पल में परलै होयगी, फैर करैगो कब ।"
अतः समय से आगे नहीं चल सकते तो इसके साथ अवश्य चलिए ।
--- बसन्ती पंवार
जोधपुर राजस्थान
हां! मैं इस बात से सहमत हूं! संसार में सभी व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते हैं कोई छोटा बनकर जीना नहीं चाहता ! अपनी आकांक्षाओं को आकार देने के लिए मौके यानी अवसर की तलाश में रहते हैं हमें यदि उचित अवसर मिलता है तो बिना समय गवाएं लपक लेना चाहिए ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे भाग्य ने एक अच्छा स्वर्णिम मौका ना दिया हो ! हां ना के चक्कर में उचित समय पर निर्णय ना लेकर मौके का स्वागत नहीं कर पाते यूं कहें मौका छोड़ देते हैं तो वह लाभ कोई दूसरा उठा लेता है ! वह कहते हैं ना समय निर्मम है वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता ! समय ही तो वह कुंजी है जो हमें अवसर प्रदान करती है उदाहरण के लिए यदि परीक्षा में पढ़ाई कम करने की वजह से पर्ने ठीक ना गए हो किंतु अचानक किसी कारण से घोषणा होती है कि पर्चे पुनः लिए जाएंगे परीक्षा फिर से होगी हताश ना होय सुनहरा अवसर और समय दोनों मिले हैं लग जाए मेहनत, लगन ,विश्वास के साथ दृढ़ संकल्प लें अवसर को जाने ना दें और समय की महत्ता को ध्यान में रखते हुए तैयारी करें तो अवश्य सफलता मिलेगी वरना कल कर लूंगा कह समय गंवाने से असफलता ही हाथ लगेगी और सभी कहेंगे अब पछताए क्या जब चिड़िया चुग गई खेत !
अतः समय के साथ जब हमें तरक्की का मौका मिलता है हमें बिना समय गवाये लपक लेना चाहिए!
वह कहते हैं ना "समय बड़ा बलवान "
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
यह बात सत्य है कि जो समय के साथ चलता है वह अपनी जिंदगी में सब कुछ हासिल कर लेता है।
भारतीय उक्ति भी यही है कि शुभ काम में देरी ठीक नहीं, अर्थात समय के साथ चलो देर ना करो ।
समय के साथ चलने का अर्थ यह भी है कि जितने भी नए परिवर्तन और नई सोच विकसित हो रही है उनको लेकर आगे बढ़ना ।
छोटी मानसिकता को लेकर आगे बढ़ना नहीं ।आज यही समय की मांग भी है ।
अगर आप रूढ़िवादी सोच, दकियानूसी ख्याल के रहे तो समय के साथ कभी नहीं चल पाएंगे ,अर्थात खुद के अंदर विकास कर आगे बढ़ा जाए।
समाज में होने वाले परिवर्तनों को अपनाना भी समय के साथ चलना है, चाहे वह घर के परिवर्तन हो या बाहर के ।
,,समय,, का मतलब है जो आज है वह कल नहीं होगा जो कल था वह आज नहीं है इसलिए कल की चिंता छोड़िए ,,,यही गीता का सारांश भी है ,,,,।
भाग्यवादी विचारधारा को अपनाने वाले एक आध विकल्पों को छोड़कर असफल ही होते हैं, क्योंकि कर्म के बिना सफलता सम्भव नहीं और समय निकल जाने के बाद किया गया कर्म प्रायः निष्फल ही हो जाता है।
समय सीमित है,,,, ।
हम हमेशा कहते हैं कि समय बीत रहा है जबकि सच यह है कि समय कभी नहीं बीतता ,,, बीतते तो हम हैं ,,,।
समय तो तब भी था जब कुछ नहीं था समय तभी रहेगा जब कुछ भी नहीं रहेगा ।
लोग कहते हैं कि हम टाइम पास कर रहे हैं जबकि टाइम हमें पास कर रहा होता है ।
समय के साथ चलने का मतलब सिर्फ चलना है रुकना नहीं ,चाहे कुछ भी हो जाए ,कोई भी परेशानी हो सिर्फ चलना ।क्योंकि समय कभी नहीं रुकता जो समय के साथ चलते हैं रुकते नहीं वह किसी न किसी मंजिल तक जरूर पहुंचते हैं ।
समय अच्छा हो या बुरा गुजर तो जाता ही है,,,,।
हमें भी इसी तरह कोशिश करनी चाहिए ।हम तरक्की पा लेते हैं और वहीं पर रुक जाते हैं अपने दिमाग में सफलता को बिठा लेते हैं और नई मंजिल खोजना भूल जाते हैं ।
यहां पर समय के साथ चलने का मतलब है अपनी कामयाबी,नाकामयाबी सब को भूल कर फिर आगे एक दूसरे मंजिल की तलाश करना और सिर्फ चलते रहना ,,,,अर्थात कार्य को अंजाम देते रहना ।
,समय ,परिवर्तन को स्वीकार करके उस से होकर गुजरता है,,,,।
समय में परिवर्तन को सहने की, उसे स्वीकार करने की क्षमता होती है ।उसी तरह हमें भी परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए ,और परिवर्तन के अनुरूप खुद को ढाल लेना चाहिए इसे ही समय के साथ चलना कहते हैं।
बहुत से लोगों से सुना है कि समय के साथ चलो आगे बढ़ जाओगे, इसका आशय यह है कि जिस तरह प्रत्येक दिन अपने साथ नहीं आ जाएं कुछ अच्छे बुरे अनुभव लेकर आता है ठीक उसी तरह हमें भी अपने साथ में सकारात्मक बदलाव करते हुए समय के साथ तालमेल मिलाना चाहिए तो सफलता एक दिन तो मिलेगी ही ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
अवश्य समय के साथ चलने वाले ही तरक्की पाते हैं। जो समय के साथ नहीं चलते वो पीछे रह जाते हैं। अगर हम हवा के विपरीत दिशा में चलेंगे या पानी के विपरीत धारा में चलेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हम आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे और हवा या पानी की धारा हमें पीछे की तरफ धकेलेगी।ठीक उसी प्रकार यदि हम समय के साथ नहीं चलेंगे तो तरक्की नहीं पा सकते।
इस संदर्भ में मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहूंगा। राजीव गाँधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में जब कंप्यूटर चालू करने की बात हुई तो इसका बहुत विरोध हुआ। काफी विरोध के बाद कंप्यूटर आया,तबतक हम काफी पीछे रह गए। यदि भारत में कंप्यूटर और पहले आ गया रहता तो टेक्नोलॉजी के मामले में हम भारतवासी और आगे रहते।
और बहुत सारे उदाहरण है जिससे ये बात सिद्ध होता है कि जो समय के साथ चलते हैं वही तरक्की करते हैं। चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो, घर हो ,परिवार हो समाज हो देश हो।
तो समय के साथ चलिए आगे बढ़ते रहिये।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - प. बंगाल
हां,समय के साथ तो क़दम मिलाकर चलना हीं पड़ेगा।समय बड़ा बलवान होता है, ये हम सब जानते हैं।अगर हम इस परिवर्तनशील समय में समयानुसार खुद को अपडेट्स नहीं रखेंगे तो फिर हम शायद पिछड़ जाए। आज इस दौड़ती जिंदगी से और लोग हमें आउटडेटेड घोषित करने में तनिक भी देर ना करेंगें। अतः आज यही समय की मांग और ज़रुरत भी है कि हम हमेशा समय के साथ हीं चलने की कोशिश करें। व्यक्ति को इसी चौबीस घंटे में सब और सब के लिए करना पड़ता है। इसलिए व्यक्ति को नियमित दिनचर्या अपनानी चाहिए।समय पर यदि व्यक्ति अपना काम पूरा करता है तो व्यक्ति को खुशी के साथ हीं आत्मविश्वास और आत्मबल भी मिलता है। व्यक्ति अगर समय का मान रखता है तो निश्चित हीं तरक्की भी उसके क़दम चूमती है।समाज या जिस भी परिवेश में वह व्यक्ति विशेष हो और समय की पाबंदी को अपना लक्ष्य या ध्येय बना कर उस पर दृढ़ रहता है तो फिर सब उस व्यक्ति की मिशाल देते हैं और वह व्यक्ति भी सफ़लता और तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ता जाता है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
जीवन में जरूरी नहीं कि परिश्रम करने से धन संबंधी ही लाभ हो या लाभ भी ना हो ।
कभी-कभी ज्यादा परिश्रम करने से कुछ भी लाभ नहीं होता । और जीवन में कभी कभी ऐसा कुछ प्राप्त हो जाता है कि जिसकी कल्पना भी नहीं की हो।
समय के साथ चलने वाले इंसान अधिकतर धैर्य के साथ अपने कर्म पथ पर चलते रहते हैं ।
कहते भी हैं कि उगते समय भी सूर्य लाल होता है और छि पते समय भी सूर्य लाल होता है उसी प्रकार महान पुरुष सुख और दुख दोनों समय में हमेशा एक समान रहते हैं।
यदि अच्छा समय आता है तभी वह सुख के साथ अपना कर्म करते रहते हैं और इस दुख का समय आए तो भी अच्छे कार्यों के साथ धैर्य बनाए रखते हुए अपने पथ से विचलित नहीं होते, अपना कार्य करते रहते हैं ।
जैसा देश वैसा भेष।
यानि समय अनुरूप चलने वाले इंसान वहां के माहौल वातावरण को समझते हुए कार्य करते हैं। तभी उन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है ,और कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं आती।
सबसे अच्छा उदाहरण या अनुभव कहें तो कोरो ना काल ने सभी को समझाने कि क्कोशिश भी की है कि समय के साथ चलने वाले तरक्की पाते हैं।लॉकडाउन के समय भी जिन व्यक्तियों ने समझदारी का परिचय दिया वे सभी समस्याओं का समाधान करते हुए अच्छे अच्छे कार्य में संलग्न रहे ।संक्रमित भी नहीं हुए।
दूसरा उदाहरण दूसरे शहरों से अपने शहर या गांव आते हुए कुछ मनुष्यों को भी उन्हें कितने ही दिक्कत का सामना करना पड़ा उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी ।
को रोना काल में समय के साथ साथ चलने वाले इंसानों के उनके फालतू खर्चे का भविष्य तथा भविष्य के लिए आय व्यय बजट बनाने का ज्ञान चक्षु भी खोल दिया।
कोरोना काल के चलते समय के साथ चलने वाले हमारे कई नवांकुर कवि, रचनाकारों, साहित्यकारों ने अपने लिखने कार्य से काफी प्रसिद्धि पाई । लेखन कार्य में कई संस्थाओं से प्रमाण पत्र प्राप्त कर एक नई पहचान भी बनाई । जिस के बधाई के पात्र हमारा जैमिनी ग्रुप पानीपत का मंच है
अत : यह सही है कि समय के साथ चलने वाले हमेशा तरक्की पाते हैं।
तरीके का मतलब यह नहीं है कि अच्छी नौकरी या तो नौकरी में प्रमोशन ।
मेरी राय में तरक्की का मतलब एक अच्छा इंसान बनकर सभी समस्याओं का समाधान हो ।अपने विवेक , बुद्धि म ता और धैर्य के साथ समाधान कर जीवन बिताएं और दूसरों के भलाई के कार्य में भी अपना सहयोग दें।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
समय के साथ चलने वाले हमेशा तरक़्क़ी पाते हैं ये ऐसा वाक्य है जिसे धरती के किसी भी कोने पर परखा जाएगा तो उत्तर एक ही आएगा. हाँ । सब यही कहेंगे ये सौ प्रतिशत सही है जो हर हाल काल में परिस्थिति से भी प्रभावित नहीं होगा, इसका मतलब यह सार्वभौमिक सत्य है इसी से यह अकाट्य नियम बन जाता है और सभी को समान रूप से प्रभावित करता है। समय पृथ्वी पर सबसे कीमती वस्तु है, इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। यदि एक बार यह चला जाए, तो कभी वापस नहीं आता।अब आप समझिए कि समय को तो जाना है अगर कोई इसके साथ नहीं चलेगा तो स्वयं का ही नुक़सान करेगा जिसे सफलता चाहिए उसे सबसे पहले समय को ही समझना होगा और अति महत्वपूर्ण समझना होगा ।
समय हमेशा आगे की ओर सीधी दिशा में चलता है न कि पीछे की ओर। यह कभी वापस नहीं आ सकता । इस संसार में सब कुछ समय और व्यक्ति की सजगता पर निर्भर करता है, कहते हैं समय से पहले कुछ भी नहीं मिलता है परन्तु साथ ही ये भी कहा जाता है कि जो लोग समय पर क्रिया करते हैं अर्थात् निर्णय लेते हैं उन्हें समय से निराशा नहीं मिलती । ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जिन्हें समय साथ चलकर ही तरक़्क़ी मिली है।विचार करने से पता चलता है कि यदि हमारे पास समय नहीं है, तो कुछ भी नहीं है और इसे कभी स्टोर भी नही किया जा सकता है । समय को नष्ट करना इस पृथ्वी पर सबसे बुरी चीज मानी जाती है क्योंकि, समय की बर्बादी हमें और हमारे भविष्य को बर्बाद करती है। हम कभी भी बर्बाद किए हुए समय को फिर से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। यदि हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, तो हम सब कुछ नष्ट कर रहे हैं। तरक़्क़ी की चाह रखने वाले को समय पर निर्णय लेना अनिवार्य है समय पर चूक जाने पर कुछ भी पा लेने की संभावना शुन्य ही रहती है जैसे एक किसान समय पर बीज न बोने के कारण कभी भी लहलहाते खेतों को नही देख सकता है । शिकारी समय पर निशाना न लगाने के कारण शिकार नही कर सकता है । अर्थात् समय के साथ चलने वाले लोग सफलता के हक़दार होते ही हैं ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
तरक्की मेहनत है। काम का महत्व है। जब काम को पहचान मिलती है तभी तरक्की भी निश्चित होती है। समय के अनुसार बदलाव भी जरूरी है। इस डिजिटल युग में हम पासबुक और लाइन में खड़े होकर भुगतान करने की बात करें तो परेशानी हमें ही झेलनी पड़ेगी। छोटा काम लम्बा हो जाएगा।
समय के साथ चलना अति आवश्यक है। इससे कार्यविधि में रफ्तार आ जाती है। हम नए तकनीक के उपयोग से आगे बढ़ने के रास्तों को अपना सकते हैं।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हमेशा समय के साथ चलने वाले तरक्की पाते हैं बेशक इसके कुछ अपवाद हों। समय के साथ चलना ठीक उसी प्रकार है जैसे जलधारा चलायमान होती है पर बीच में कहीं रुक जाये तो जल का वह अंश पीछे रह जाता है और पड़ा पड़ा सड़ जाता है। इसी प्रकार यदि हम समय के साथ नहीं चलते तो हम भी पिछड़ जायेंगे और असफल रहेंगे। पल पल बीता, और बीत रहा, क्षण क्षण बीता, और बीत रहा, है बीत रहा हर इक लम्हा, न थमा कभी, न रुका कभी, न किया कभी इन्तज़ार कहीं, ओढ़ के आंचल सच का चलता, नाता कभी न झूठ से रखता, ओ वक़्त ! ज़रा रुक जा थम जा, पर तुझको ये मंज़ूर नहीं, चल रहा वक्त, तू भी तो चल, क्यों वक़्त घड़ी में ढूंढ रहा, संग वक़्त के तू अब कदम मिला, न देख तू पीछे मुड़ कर के, पिछड़ेगा दूर भटक कर के, ग़र चला तू वक़्त का दामन थाम, शानदार होगा इसका अंजाम, तेरी मंज़िल से तू दूर नहीं, कामयाबी तुझ से दूर नहीं। अतः हमेशा समय के साथ चलने वाले तरक्की पाते हैं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " समय का सही उपयोग ही तरक्की का रास्ता खोलता है । जो समय की उपयोगिता नहीं समझता है । वह पीछे रह जाता है । यही हकीकत है ।इस को समझने वाले ही तरक्की कहते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान
समय के साथ चलने में ही भलाई है उसी से तरक्की होती है इसमें कोई दो मत नहीं है। समय के साथ साथ परिस्थितियां बदलती रहती है। परिस्थितियों के अनुसार सामंजस्य बिठाना और उसके अनुरूप चलना ही समझदारी होती है। एक कहावत है का बरखा जब कृषि सुखाने अर्थात फसल सूख जाने पर वर्षा होगी तो क्या फायदा उसी प्रकार से समयानुसार कार्य नहीं किया गया तो कोई मतलब का नहीं । इसलिए
ReplyDeleteसमय के अनुसार चलने में ही फायदा है उसी से तरक्की संभव है ।