स्वतंत्रता दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन




जैमिनी अकादमी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है । जिसमें लगभग 55 कवियों ने भाग लिया । सभी को सम्मानित किया गया है । सम्मान के साथ रचनाओं को पेश किया है । जो इस प्रकार हैं : -
 अनेकता मे एकता 
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भारत हमारा प्यारा  देश है ।
हमारा भारत सुन्दर प्यारा देश है ।
यहाँ अनेकता  मे एकता का समावेश है । 
विश्व मे निराला यहाँ का परि वे श है । 

धर्म अौर जाति , यहाँ भाषाएँ  अनेक है ।
यहाँ की सनसकृति अौर संयम विवेक है ।
अनेक भाषियों का निराला  परिवेश है । 
धर्म सनसकृति  सिधान्त उदेश्य है । भारत हमारा ........ 

यहाँ की सनसकृति  विश्व मे निराली है । 
हम सभी को क्या विश्व मे प्यारी है ।
विश्व प्रसिद्ध कवि लेख को की भूमी है ।
धर्म सनसकृति अनेक होकर उदेश्य एक है ।
भारत हमारा ..........  

जाति , धर्म कभी भाषा का विवाद आया है ।
विवादों को सभी ने एक होकर सुलझाया है । 
सत्य अौर अहिंसा हमारा परम उदेश्य है । 
यहाँ की धर्म सनसकृति  सभ्यता विशेष है ।  
भारत हमारा  प्यारा देश है । 
हमारा भारत सुन्दर प्यारा देश है ।   

- जयप्रकाश सूर्य वंशी " किरण " 
नागपुर - महाराष्ट्र

हर बच्चा एक पहचान है
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देशभक्तों की भूमि भारत, हर बच्चा एक पहचान है,
वीर,शहीद,देशभक्त इसके,भारत मां की सुंदर शान हैं,
नमन आज  उन वीरों को,जिन्होंने दिया बलिदान है,
भारत शहीदों का धाम है,मेरे वीरों का एक पैगाम है।

धोखा देकर, गद्दारी कर, पीठ  पर वो वार करते हैं,
जांबाजों का नाम सुनकर, दुष्ट  गीदड़  भांति डरते हैं,
माटी को जब सलाम करे, देशभक्त जो आगे बढ़ते हैं
दुश्मन को वे पकड़ पकड़,कीड़ों की भांति मसलते हैं।

तिरंगा हमारा झुकने न पाये,  माटी को सींचा खून से,
उनकी कुर्बानी रंग लाती है,देश प्रेम के एक जुनून से,
सोने की चिडिय़ा होता था, सभ्यता संस्कृति से भरपूर,
तगड़े, छैल गबरू,जवान हैं,भारतवासी को होता गरूर।

पूरे जगत में नाम कमाया, बापू, सुभाष और लाल ने,
अंग्रेजों को चकित किया, भगत सिंह के बलिदान ने,
वीर हुए बड़े धीर हुये ,  पल में  न्योछावर की जान,
दस-दस को मारकर मरते,देश के लालों की पहचान।

ऋणी रहेगा  उन वीरों का,देशभक्ति की बनते मिसाल,
दुश्मन तो क्या उन्हें छू पाये,नहीं छू पाए उनको काल,
चलती रहेगी परंपरा यूं, भूला  नहीं पायेगा यह जहान,
सोने की चिडिय़ा फिर बनेगा, बच्चा बच्चा गायेगा गान।।

याद आता है बीता वो जमाना,वीरों ने फांसी खाई थी,
भारत के बच्चे बच्चे ने, अपने सीने पर गोली खाई थी,
आजादी पाने की खातिर, जन जन की बलि चढ़ाई थी,
तब आजाद हुई मातृभूमि, हर जन ने खुशी मनाई थी।

आजादी का जश्र मनाये, बस करो, उन वीरों को याद,
एक दीया याद में जला दो, बस इतनी है मेरी फरियाद,
दीवाली,होली ईद मनाते, उनका भी कुछ करो यशगान,
है सौगंध तुम्हें नहीं भूलेंगे, देश की हो सच्ची पहचान।।
- होशियार सिंह यादव
 महेंद्रगढ़ - हरियाण

     हमारे देश के जवान     
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 तुम हो आजादी, की अस्मिता 
     के प्रतीक ,देश के जवानों। 
    हो तिरंगे की, आन बान शान 
    मतवाले, रखवाले, तुम वीर जवानों। ।

 तुम भीषण सर्दी, गर्मी, बरसात में 
    सम रहते, न घबराते ना डरते कभी। 
    प्रहरी बनकर देश, की रक्षा करते
    चाहे आतंकी हो, या दुश्मन कोई भी। ।

   है अंश तुममें, आजादी के दीवानों का
     जिनने अपना, सब कुछ खोया।
    लक्ष्य से ना, भटके कभी वे
     जीवन होम कर, अमरत्व पाया। ।

    तुम्हारा ऋणी है, देश का 
     हर बच्चा, बूढ़ा और जवान। 
     तन मन की, ना की परवाह 
     प्रेरणा स्रोत रहे, सबके तुम जवान।।

    मां भारती के तुम, हो सच्चे लाल 
     मिसाल बन देशभक्ति, की करते पुकार। 
    उदाहरण हो तुम एकता,अखंडता, हौसलों की 
    दुश्मन भी थर्राते, जब तुम भरते हुंकार। ।

    चाहत होती है, देशभक्तों की 
     वतन की माटी,मिले और 
     कफ़न नसीब हो, तिरंगे का।
    हमारे देश के, जवानों तुमने पाया
     प्रारब्ध जन्मों का, कर्म करते 
    हुए कफ़न, पाते तिरंगे का। ।

  जवानों जैसे तुम्हारे, कर्म और धर्म 
    हर नागरिक, बने सच्चा तुमसा। 
   मादरे वतन की, सेवा में 
   हर भारतीय गर्व,से बने तुमसा।।
     - डॉ•मधुकर राव लारोकर 
    नागपुर -महाराष्ट्र

यौवन
*****

माटी निर्मित माटी तन
माटी मिल माटी को अर्पण
नाम लिखा जिस तन वतन
धन्य हुआ वो सुत सुता का यौवन ।

धरती माँ , धरती थाती
भारत माँ के सपूत है हम
धरा धाम है पावन तीर्थस्थल
 बलिहारी है जीवन यौवन।

कर्ज दुग्ध का फर्ज देश का
माँ चरणों में अर्पित हो यौवन
शहीद भगत सिंह और विवेकानंद
आदर्श हो यौवन का हर क्षण।

बलिदानी , ज्ञानी हो यौवन
युगप्रवर्तक कहलाए जीवन
नाम लिखा है भाल वतन
धन्य है वो बलिहारी यौवन।
- संगीता सहाय "अनुभूति"
रांची - झारखंड

तिरंगा
*****

हमारा देश, हमारी शान ,
इसपर क़ुर्बान अपनी जान ,
 रहे नाम इसका ऊँचा  ,
हमारी यही है अभिलाषा ।

शहीदों ने अपनी लहू से,
लिखी आजादी की कहानी ,
धन्य वो माँ,धन्य ये धरती ,
अपने लाल पर है भरोसा ,
हमारी भी यही अभिलाषा ।

अपने देश की शान में ,
शीश हम अपना झुकायेंगे,
पर यह नहीं झुकेगा कभी  ,
किसी दुश्मन के सामने ,
आन है हमारी,शान ये हमारा,
सदा लहराये तिरंगा ऊँचा ,
हमारी यही है अभिलाषा ।

प्रगति की राह में ,
आगे बढ़ते जायेंगे ,
हौसला है बुलंद ,
कदम न डगमगायेंगे,
जीत के दिलों को,
दुनिया भी जीत लेंगे ,
लहराये तिरंगा ऊँचा 
हमारी यही अभिलाषा

देखो फिर से,
गणतंत्र दिवस है आया
बड़े शान से हमने
झंडा है फहराया 
शान है हमारा, स्वाभिमान हमारा 
लहराये हमेशा ऊँचा 
हमारी यही अभिलाषा  ....
                  - रंजना वर्मा उन्मुक्त
                   रांची - झारखण्ड

पूजित है वो चरित
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*हर क्षण हर पल,देश को करें सबल,
काम करते प्रबल, देशप्रेम धुन का।
भारतमाता के लाल, सीमाओं पर कमाल
रखते वो ऊंचा भाल, बखान है गुन का।
श्वांस श्वांस देशहित, प्राण प्रण के सहित
राग द्वेष से रहित, जीवन है जिनका।
पूजित हैं वो चरित,दिए प्राण देशहित
रहे सदा अविजित,देश ऋणी उनका।‌।

कहिए वंदेमातरम्
*भारती का गुणगान,गाते रहो देशगान,
इतना रखना ध्यान,मान घट जाए न।
करो मत खींचतान,आपस में ही श्रीमान,
रहे बना यह मान,चीर फट जाए न।
बढ़ते रहें कदम,रुके नहीं कहीं हम,
कहिए वंदेमातरम्,पीछे हट जाएं न।
किसी से नहीं है कम,हमको नहीं भरम,
देश ही मेरा धरम, देश बंट जाए न।।

गाते रहो राष्ट्रगान
*देश की पुकार सुन,मारों शत्रु चुन चुन,
सीमाओं की ओर शत्रु,कदम उठाए न।
पीछे को ही लौट जाएं,कदम  जो भी बढ़ाए
जान अपनी बचाएं, आगे कभी आए न।
 सीमा पर,शांति रहे, खुशहाल देश रहे
कभी भी युद्ध के कहीं, घन मंडराएं न।
वंदेमातरम् का गान, जयहिंद का सम्मान,
गाते रहो राष्ट्रगान, कभी घबराएं न।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश

वन्दे मातरम् 
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जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर, 
उल्लास से स्वतंत्रता दिवस मनायें सब मिलकर। 
हृदय से क्रांतिवीरों को नमन करें सब मिलकर, 
मातृभूमि के वन्दन गीत गायें सब मिलकर।। 

स्वयं का शासन हमने 15 अगस्त को पाया था, 
भारत आजादी का अखंड सूर्य देख पाया था। 
लाल किले पर तब तिरंगा शान से फहराया था, 
जन-जन में स्वानुशासन का संदेश लहराया था। 
गरिमा स्वानुशासन की सदा बढ़ायें सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।। 

स्वतंत्र आसमां मिला हमें उड़ने के लिए, 
मां भारती की गोद मिली स्वच्छन्द विचरने के लिए।
परतंत्रता की जड़े काटी जिन्होंने जुल्म सहकर, 
15 अगस्त का दिन है उन्हें याद करने के लिए। 
बलिदानियों को श्रद्धा से नमन करें सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।।

गीत देशप्रेम के स्वयं से बड़े थे उनके लिए, 
लक्ष्य आजादी का था अपने देश के लिए। 
ऋणी रहेंगे युगों-युगों तक हम भारतवासी, 
नमन शहीदों को सर झुकता है सजदे के लिए। 
शहीदों को सदा वन्दन करें सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।। 

देश का कण-कण रंगा था तब तिरंगे के रूप में, 
जन-जन गौरवान्वित था भारत के नए स्वरूप में। 
जल-थल-नभ में गूंज रही थी धुन वन्दे मातरम् की, 
चांद-सूरज मुस्करा रहे थे भारत के नए प्रारूप में। 
भारत के मान को विकसित करें सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।। 

विश्व भी करता है स्वागत आज भारत की शान का, 
स्वतंत्रता दिवस पर्व है भारतीयों के स्वाभिमान का। 
स्वर्ग बनें देश हमारा स्वतंत्रता की राह पर चलते हुए, 
रखना है ध्यान सभी को स्वतंत्रता के सम्मान का। 
आन-बान-शान भारत की सदा बढ़ायें सब मिलकर।। 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर, 

स्वतंत्रता का मंत्र किस-किस को याद है विचार करें, 
सपने शहीदों के उतरे हैं क्या धरातल पर विचार करें। 
समर्पित हैं हम स्वतंत्रता की गरिमा के प्रति विचार करें, 
संविधान का संदेश कितना समाया है मन में विचार करें ।
संविधान के विधान का सम्मान करें सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।। 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ना कभी दुरुपयोग करें, 
सामाजिक न्याय के उद्देश्यों को हम पूर्ण करें ।
एकता, बंधुत्व के भावों से भरा रहे देश हमारा, 
बनी रहे राष्ट्र की अखण्डता सदा ऐसे प्रयोग करें।
झुकने ना देंगे तिरंगा संकल्प करें हम सब मिलकर, 
जय भारत जयहिंद का उद्घोष करें सब मिलकर।। 
-सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड

गजल
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तिरंगा  राष्ट्र  का  तो  मान है|
वतन पर मर मिटा जाना शान है |

सपूतों की बदौलत पाया इसे
ये मातृभूमि वीरों की खान है |

करो या फिर मरो नारा दिया
ये आजादी दिला दूं दी जान है |

मरे थे वे बचाने निज देश को
बचाई भारती की जो आन है|

नशे से देश जब होगा मुक्त तो
बिखेरेगें सुरों की तब तान है |

लडे़ रणवीर भारत खातिर सदा
वो केसरिया ही पहना परिधान है |

सभी दीपा दिखे स्वतंत्र यहाँ
तभी भारत यहाँ लगता महान है |
- दीपा परिहार'दीप्ति'
जोधपुर - राजस्थान

     
                    राष्ट्रीय एकता                        
                 *******                      

हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता,
अनेकता में एकता की उत्कृष्टता ,
समाहित है इसी में राष्ट्रीयता ,
मानवीयता और ऊर्जस्विता ,
धर्म, जाति, संप्रदाय में सर्वोपरि है,
राष्ट्रीय एकता।
यही कारण हैं, 
देश की रक्षा करते रहे,
हमारे शूरवीर रणबांकुरे,
त्याग, शौर्य और बलिदान से, 
आन बान और शान से।
वे लिख गए अमर गाथायें रक्त से अपने, 
देश की माटी का तिलक लगा भाल पे,
लहू बहा, भारत मां के लाल बने,
रक्तरंजित देश की माटी कहती हमें कि
'यही है हमारी गौरवान्वित भावनात्मक एकता'
तभी आज लंबे संघर्षों के बाद,
जीवन्त है! अनुकरणीय है! वंदनीय है!
विश्व मंच पर, 
हमारी अखंड सभ्यता और राष्ट्रीय एकता।
खतरे आज भी मंडरा रहे हैं,
भीतरी और बाहरी अराजकता के,
स्वार्थलिप्तता के कारण,
राष्ट्रीय एकता पर, हो रहे आक्रमण,
दिग्भ्रमित न हों !
बचाना है हमें, सिरफिरों से,
राष्ट्रीयता और देश की अखंडता,
हमारा गौरवशाली देश, 
हमारा भारत देश!
 - प्रज्ञा गुप्ता 
बाँसवाड़ा - राजस्थान

 मान जा
******

कह रहा हूं मान जा
वरना फिर इतिहास रचा जाएगा
देख पड़ोसी है 
वही बनकर रहा कर
वरना पटखनी पुनः खाएगा,

कितनी बार बताऊं
बता कितना तुझे समझाऊं
कहा अपनी हदों में रह
ना छेड़खानी कर 
शरहद है को दोनों के बीच
उस पर जरा अमल कर,

सुधारने के मौके कई दिए हैं
अब बार बार ये भी न होगा
सैनिकों का लहू बहा रहा है
उसका फिर सीधा हिसाब होगा
कद भी तेरा तो सीने तक
भारतीय सैनिकों के आता है
आजमाइश कैसी है ये
आंखों का शोला देखने में
तू हर बार सिर से
सम्मान अपना गिरा बैठता है,

किस बात की अकड़ है
जरा हमें भी बता तो दे
पिछला भूल गया हो तो
औकात अपनी अपने आकाओं से
फुर्सत में कभी पूछ तो ले
कितना छेड़ेगा तू भी अब
उठ गया जिस पल हमारा सैनिक
गरजना से ही दुबक बैठेगा तू तब,

समझता है खुद को शूरमा
बात ताज की करता है
नजरें मेरे वतन की मिट्टी पर
क्यों नापाक अपनी रखता है
जरा भी नसीब ना होगा
व्यर्थ कल्पना करता है
मेरे भारत के सपूतों की
धरा को कैसे अपना कहता है,

चेता रहा हूं 
अब भी संभल जा
वरना अब भयंकर होगा
दुनिया तो युद्ध कहती है उसे
पर तेरे साथ तांडव होगा
तेरे सोचने तक तेरा
धड़ अपना पता खो देगा
जो छोटी सी काया बचेगी तेरी
उसे मेरे देश का
पंछी नोच नोच खिंचेगा,

थम जा ठहर जा
जिस गलत राह पर है
प्रलय से पहले मुड़ जा
वरना हमारी कोई गलती न होगी
पर तेरी कहानी से ही
शीर्षक की संज्ञा गायब होगी
फिर ढूंढता फिरता वजूद अपना
शरहद पर ही तेरे धड़ से
तेरे लहू की धार बह रही होगी
और भारत की आबादी
जयकारा लगाते नांच रही होगी।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड

 आजादी के दीवानों को
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आजादी के दीवानों को
भारत के उन परवानों को
खम्मा घणी... हैं घणी खम्मा...

मुश्किलों से मिली आजादी 
खूं से नदियां यहां बहा दी 
जोशीले थे सबसे हटके 
हंसते हंसते फांसी लटके 
बोस भगत आजाद सरीखे 
वीर सपूतों का था जज्बा 
मां चरणों में शीश चढ़ाकर 
गाया आजादी का नगमा
खम्मा घणी... हैं घणी खम्मा...

घर-घर ऐसी अलख जगाई 
गांधी ने अहिंसा सिखाई
सत के आगे गोरे हारे 
पाशे उनके उलटे सारे 
मरने मारने फौजें खड़ी 
रण में लड़ती करती खात्मा 
आखिर पन्द्रह अगस्त के दिन 
आजादी का आया लम्हा
खम्मा घणी... हैं घणी खम्मा...

आओ मिलकर के सब जन हम
जश्न आजादी का मनाएं
जन गण मन अधिनायक गाकर
आज तिरंगा हम फहराएं
वंदेमातरम जयकार कर
मातृभूमि मेरी आत्मा
तीनों रंगों में दिखलाएं
मेरा पूरा आज आसमां
खम्मा घणी... हैं घणी खम्मा...

आजादी के दीवानों को
भारत के उन परवानों को
खम्मा घणी... हैं घणी खम्मा...
- छगनराज राव "दीप"
जोधपुर - राजस्थान

आओ स्मरण करें
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आओ 
स्मरण करें उनको 
जो स्वतंत्रता के लिए 
अपना घर, स्वजनों को तज कर 
अप्रतिम पौरुष धारण कर 
अंग्रेजों से लोहा लेते 
फाँसी के फंदे पर झूल गये....
फिर 
स्मरण करें उनको 
जो लड़े,बचे 
और सारा जीवन 
जिये राष्ट्र के लिये..
न पद लिया,
पद भी लिया, 
तो देश का काम किया 
सादगी, स्वाभिमान से 
जीवन जिया...
और 
स्मरण करें उनको 
जो शहीद हुए 
सरहद पर 
और लौट के घर ना आये....
अपने 
इस स्वतंत्र देश में 
श्वास जो 
हर पल हम लेते हैं 
उतने ही ऋणी बनते हैं 
उनके राष्ट्रप्रेम और त्याग के 
हर पल इन्हें स्मरण करें...
और बचे जो 
उनके स्मरण का भी 
समय आयेगा 
जब उनके कृत्यों का हिसाब 
आने वाला समय लगायेगा
इतिहास लिखा जायेगा
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड 

झुके रहते शीश शहादत में 
******************

सदा झुके रहते हैं शीश उस शहादत में 
जिनकी वजह से मिली है आजादी हमें।
शत् शत् नमन उन सभी वीर सपूतों को
जो स्वतंत्रता संग्राम में नींव की ईंट बने।

नींव की ईंट चाह नहीं प्रसिद्धी की  जिन्हें
सर्वस्व समर्पित कर खो गए गुमनामी में।
चमकते कुछ स्वतंत्रता सेनानी रूपी कंगूरे ,
इतिहास के रंगीन पन्नों में, स्वर्ण अक्षरों में।

कंगूरे जो नींव की ईंट पर हैं अडिग खड़े,
कंगूरे जिस पर प्रतिवर्ष माल्यार्पण करते।
राजनेता जिनके नाम पर राजनीति करते,
काश! कोई देखे नींव में कितने ईंट दबे ?
        
कीचड़ में दबे जो आजादी की खातिर,
कंगूरे की मजबूती बनाये रखने खातिर।
त्याग निःस्वार्थ भाव से होकर समर्पित,
क्यों नहीं जान पाता कोई उसे आखिर?

माल्यार्पण की न हो जिसकी कामना, 
समर्पण की है जिसकी प्रबल भावना।
उनकी भावनाओं का हो रहा है दमन,
क्षुद्र राजनीति से अब हो रहा सामना।

उनके बलिदानों पर कंगूरे चमक रहे,
कंगूरे-सा स्वार्थी नेता सत्ता लपक रहे।
बाह्यआडंबर देख रोती उनकी आत्मा,
कैसे सत्ता की खातिर कंगूरे झगड़ रहे।

जो नींव की ईट बन मजबूती से खड़े,
 गगनस्पर्शी आकांक्षाओं में नहीं पड़े। 
सर्वस्व बलिदान कर दिलाई आजादी,
गुमनाम इतिहास के पन्नों में दबे पड़े।

वो लाल माँ का, सिंदूर अर्धांगिनी का ,
वो राखी बहन का, वो सपूत देश का।
नींव की ईंट बन,किए सर्वस्व समर्पित
कैसे कर्ज उतारें उनकी शहादत का ?

शत-शत नमन स्वतंत्रता सेनानियों को।
शत शत नमन हर वीर सपूत योद्धा को।
सदा झुके रहते हैं शीश उस शहादत में
प्राण न्योछावर किये जो मातृभूमि-रक्षा में।
                           -  सुनीता रानी राठी
                      ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश

 आये वतन पे खतरा 
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आये वतन पे खतरा वो जान भी लगा दो ,
ये मुल्क के जवानो जंग का ज़ूनून भर लो ,

इसी जंग के कोने मे कही जन्नत नजर आयेगी ,
जंग आ ही जाये सर पे तो जुल्म भी तू कर ले ,

आजाद मुल्क है तो आजाद हम रहेगे ,
कुर्बानियो के खातिर , कफन का ताज धर लो ,

ये ज़मी तुम्हारा , ये आंसमा तुम्हारा ,
अपनी आबरू के खातिर , अरमान दिल मे भर लो ,

रश्के जीना वतन है , अपना इस ज़हाँ मे ,
पांसवा है हर जंवा , गुलिस्तान दिल मे भर लो ,

है नहीं जंहा मे कोई भी अपना मरहम ,
दर्दनिया के दिल मे रखकर उड़ान भर लो ,

मजहब की बात छोड़ो , हम साया है अपना ,
गुलशन मे बहुत फूल है सब फूलो से प्यार कर लो !
- रूपेश कुमार

 देश भक्ति   
******

 वीर पुरुषों की गाथा कहता आया
स्वतंत्रता दिवस का यह पावन अवसर
तम काट उज्जवल भविष्य 
ले आया है भास्कर !

है चाहना भारत के हर माता की
  पुत्र रत्न हो ऐसा 
राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह के जैसा !
श्रवण बन हर मात-पिता की
  करते हर क्षण सेवा
मां बहनों की रक्षा को ले
 चिंतित रहते हमेशा !

कार्गिल हो या गलहान
भारत का हर वीर जवान
बर्फीले चट्टानों का गर्म लहू बन
सदा तिरंगे को है फहराया !

लद्दाख की सीमा पर भारत दुश्मन पर
गिद्ध की नजर रखता है
अपने शौर्य का लोहा मनवाता 
हो निडर, 
दुश्मन के खेमे में जाकर
छक्के उनके है छुड़वाता !

दुश्मन को सबक सिखाने 
भारत हुआ सशक्त
अर्जुन का गांडीव बन
आया है अब ' राफेल ' !

स्वतंत्रता के इस अवसर पर
नमन करती हूं उन माताओ को
अपने जिगर के टुकड़े को दे
भारत को आजादी दी ...२
 - चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र

  
          तिरंगे की अभिलाषा        
 **************

चाह नहीं माॅलों के उपर 
         उँचे में फहराया जाऊँ 
चाह नहीं कि सिनेमैक्सों में
           राष्ट्र-गीत संग फहरा जाऊँ 
चाह नहीं छुटभैये नेता की
            लाल बत्ती संग इतराऊँ
या दबंग किसी बाहुबली के
            खादी वस्त्र सजाऊँ।। 

चाह नहीं शाला-कार्यालयों पर
             रोज चढाया जाऊँ 
 चाह नहीं आजादी पर्वों पर चढूं
              गिरूं पैरों तले कुचला जाऊँ 
चाह नहीं मंदिर मस्जिद के
             वादों का साक्षी बन पाऊँ
या कहीं शपथ विधि की लय
             पर मधुरिम गरिमा गाऊँ

अभिलाषा है ध्वज में फलीभूत
                रंगों की महिमा गाऊँ
सिंदूरी शक्ति युवजन की
              भारत भूमि संरक्षक पाऊँ 
शुभ्र् शांति धुन दूत बनूं 
               वसुधैव कुटुम्बकम गाऊँ
हरित क्रांति निखरी वसुंधरा
                 रिद्धि सिद्धि मय पाऊँ  

चिर अभिलाषी सदासर्वदा
                  सरहद पर फहराया जाऊँ 
भारत की पहचान राष्ट्र ध्वज 
                  आन बान और शान बढाऊँ
 तिरंगी अनेकता में सतरंगी 
                 शक्ति एकता की बन आऊँ 
युगों युगों तक भारत माता 
                 आसमानों तक तुझे पहुँचाऊँ 
 - हेमलता मिश्र मानवी 
नागपुर - महाराष्ट्र

        कवि और शब्द            
***********    

शब्दों की छवि निराली
अद्भुत है मेरी कहानी
   वर्णों की दुनिया से
    रचकर  सजकर
    सवरकर पहुंची
    भावनाओं की दुनिया में

कवि की एक खोज हूं मैं
कवि के गर्भ से जन्मा हूं मैं
कवि की कल्पना हूं मैं
कवि की भावना हूं मैं

    कवि शब्द का रिश्ता है अटूट
    तराश तराश कर बनाया मुझे
    कठोर मधुर महान
प्रेम विरह का गीत बनाया


कवि की हूं मैं एक तड़प
पेट है खाली जेब है खाली
पर शब्दों की झोली भारी

शब्दों के शक्तिशाली
वाणोसे होते जख्मी
मन मस्तिष्क की झोली


शब्दों के मधुर बोली
पनपते प्रेम हृदय में
उठते जोश मन में
घर जाते मन के भाव
औषधि वन हर लेते दर्द

 तेरी यात्रा अलबेली
रवि से भी तेज तेरी रफ्तार
तेरी संगति ने नाता जोड़ा
बनकर हर क्षेत्र का रिश्ता

कवि और शब्द की
कहानी निराली
कवि की झोली
रहे ना खाली
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

सुनो वतन तुम्हारा है
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वतन के वासियों सुनो वतन तुम्हारा है।
वतन की लाज है तुम्हारी छत्र-छाया है।
लहू से सीच कर हमने वतन को पाला है।
इसी के नाम पर हमने कफन निकाला है।
सदा इंसान को ईमान ही सिखाया है।
वतन के वासियों सुनो वतन तुम्हारा। 

वतन के वास्ते मरना मेरा ही मुमकिन है।
जहां के नाम पर सर को कटा दे मुमकिन है।
मगर न कत्ल करके जान को दुखाना है।
वतन के वासियों सुनो वतन तुम्हारा है। 
खुदा के सामने सिजदा सभी तो करते हैं।
मगर इंसान ही इंसानियत से डरते हैं।
मिटा दो देश की जलती हुई जो ज्वाला है।
वतन के वासियों सुनो वतन तुम्हारा है। 
- अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी
 प्रयागराज - उत्तर प्रदेश

स्वाधीनता दिवस
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स्वतंत्रता संग्राम के तमाम शहीद
स्वर्ग में चुपचाप बैठे थे
उनका उमंग उत्साह 
ठंडा पड़ा हुआ था
तिरंगा भी गुमसुम खड़ा था
तभी एक शहीद ने कहा-
मुझे अपना देश सदैव प्राणों से भी प्यारा रहा है
जिसकी खातिर ही हमने
हंसते-2 हर गम सहा है
बचपन से हम देश की
स्वतंत्रता का ख्वाब अपनी आंखों में सजाते रहे 
परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को बिसराते रहे
आज उसी भारत देश में
भाई-2 का है दुश्मन 
सबको चाहिए सिर्फ धन
बहन बेटियों को अब 
अपनों से है खतरा 
जिसे देख रोता है मेरे खून का कतरा-2 
भ्रष्टाचार और शिष्टाचार अब हमारे देश में एक हैं
दुखी आज वही है जो नेक हैं
हम देश की आज़ादी के लिए शहीद हो गए
लोग अपनी सुख सुविधाओं के गुलाम हो गए
क्या गलत क्या सही
किसी को नही पता है
नैतिकता तो बिल्कुल लापता है
हे भारतीयों, 
आजादी की वर्षगांठ पर
कोई औपचारिकता मत निभाओ
सिर्फ अच्छे इंसान बनकर दिखलाओ
और नही कुछ कहना बस
बहुत अनमोल हीरा है स्वतंत्रता दिवस! 
   - सरिता "साहिल "
शास्त्री नगर - दिल्ली

           आजादी का ज़ुनून            
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 आजादी का ज़ुनून इस कदर छाया हुआ था ,
अमर वीर शहीद क्रांतिकारियों  में,
चढ़ गए फांसी के फंदे पर वे,
उबाल था ऐसा उनकी जवानी में।

न घर देखा, न परिवार देखा ,न ही
 किसी का प्यार देखा ,न चूड़ियों की झंकार देखी ,न बहनों का दुलार देखा।

देखा तो केवल भारत माता को ,
अपनी मातृभूमि को।
तड़फ़ रही थी दारुण वेदना से वह,
बेड़ियों में कसी हुई सिसक रही थी वह।

चरम सीमा पर था फिरंगियों का अत्याचार,
कर रहे थे भारतीयों के संग नाना प्रकार का दुर्व्यवहार।
ऊधम पांडे ने कर दी शुरुआत स्वतंत्रता अभियान की ,
लक्ष्मीबाई ने भी जला दी थी मशाल क्रांति की।

तिलक कहते," स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार "।
गांधी ने "अहिंसा" का किया था प्रचार।
 "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" नारा था वीर सुभाष का।
"आजाद हूं आजाद रहूंगा" नारा था चंद्रशेखर आजाद का।

 चढ़ गए फांसी पर भगत सिंह, राजगुरु ,बटुकेश्वर दत्त ,उधम सिंह जैसे वीर।
आजाद ,सावरकर ,खुदीराम बोस जैसे अनगिनत खेल गए अपने जीवन से वीर।

कई तो इतिहास के गर्भ में छिपे हुए हैं आज भी,
 नई पीढ़ी नहीं जानती शहादत का पता  उनका आज भी।
 है शत-शत नमन मेरा उन असंख्य बलिदानी वीरों को,
आजादी की शमा पर  मरने वाले स्वतंत्रता के परवानों को।

 इच्छा मेरी यही जश्न ए आजादी के दिवस पर,
फूले फले भारत मेरा बन जाए पूर्ण आत्मनिर्भर।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश

स्वतंत्रता दिवस 
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आज १५ अगस्त का दिन है। 
आओ मिलकर स्वतंत्रता दिन मनाए। 
तीन रंगों का है ये तिरंगा, 
ये देश की आन-बान-शान है। 
यही है गंगा और यही है हिमालय, 
हर एक भारतवासी का अभिमान है।
और ईंस तीन रंगों से रंगा है
ये अपना सारा जहां 
हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई
आपस में सब भाई भाई
यही तो है भारत की पहचान
          देश की शान...।
- निलेश राठोड "नील"
आणंद - गुजरात

 तिरंगा 
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मेरी जान तिरंगा है , मेरी शान तिरंगा है ।
सकल विश्व में लहराये तूफान तिरंगा है ।।
मेरी शान तिरंगा है ।......१......,,,,२
धर्म ध्वजा यह बतलाती है सदा नीति अपनाओ ।
स्वयं जियो  सबको जीने दो राग खुशी के गाओ ।।
सत्य अहिंसा सदाचार का ज्ञान तिरंगा है ।.........१

सकल विश्व की वसुधा पर अब छा जाये हरियाली ।
बाला बालक वेद रिचा पढ़ें शोभित हो पूजा थाली ।।
शांति मंत्र सुनकर के हर्षित हुआ तिरंगा है ।...........२

सत्य और सुचिता संदेश ले हम दुनिया में जाये । 
यह वसुधैव कुटुम्ब हमारा ये सब  को समझाये ।।
करें कर्म सिर चक्र धार साकार तिरंगा है ।..........३

केसरिया रंग ज्ञान त्याग सन्यास अग्नि दुतिकारी ।
वेद उपनिषद  स्मृति  ग्रंथ  का ज्ञान भरा है भारी ।।
झंडा का डंडा बल ए स्वाभिमान तिरंगा है ।..........४

यह त्रिदेव तीन गुण सत रज तम से परे हुआ है ।
कीन्ही यदि कुदृष्टि तो समझो आगे खुदा कुआ है ।।
वीर  बांकुरे पुरुष सिंह का मान तिरंगा है ।...........५

- राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी - उत्तर प्रदेश

मेरा देश भारत
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इतिहास है गवाह ...
देश की आजादी के लिए मर मिटे जो यहां वीर ..
आजादी के दीवानों की तुम सुनो कहानी...
क्या जुनून था क्या देश भक्ति थी
धन्य थे वह वीर जवान...
धन्य उनकी जवानी देश पर न्यौछावर कर दिए अपने तन मन प्राण...
देशों में एक देश भारत...

जन्म लिए मातृभूमि में...
चंद्रशेखर आजाद.. वीर भगत सिंह.
सुभाष चंद्र बोस... मंगल पांडे वीर सावरकर... देश की आजादी के ना जाने कितने परवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी ..
हर भारतवासी ने   अपना खून बहाया है  ..
ना कोई हिंदू ना मुस्लिम ना कोई सिख ईसाई...
भारत की सरहद पर मर मिटने....
सभी हिंदुस्तानी भाई भाई...
आज उनके बलिदानों से...
हम आजाद हुए घर में बैठे..
अपने प्राणों की आहुति...
दिया आजाद भारत तुमको...
भारत का मान तुमको बढ़ाना 
तीन रंगों से बना तिरंगा ..
तिरंगे का शान बढ़ाना है
जब तुम तिरंगा लहरा आओगे..
दुश्मन का दिल  दहल जाएगा..
देखे दुश्मन आंख उठाकर...
गोली से छलनी  तुम कर दोगे..
बनो तुम स्वाभिमानी और अभिमानी
चंद चांदी के टुकड़ों की खातिर..
दुश्मनों से कभी ना हाथ मिलाना...
ऐसे देश के गद्दारों से बचना....
खुद्दारी अपने मन में जगाना...
याद तुम उन शहीदों की करना ..
जो तुम्हारी आजादी की खातिर..
सरहद पर दे दी अपनी जान...
लिपट कर तिरंगे में शहीद वह आया..
अपनी मातृभूमि का मान बढ़ाया...
देशों में एक देश भारत...
ऐसा देश क्या तुमने देखा..
मेरा भारत देश महान...!!!
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली

 स्वतन्त्रता दिवस
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१५ अगस्त का दिवस है आज,
भारत पर अपने हमें है नाज़,
ध्वज फहरायें राष्ट्रगीत गायें,
आज सब मिलके खुशियाँ मनायें,
देश को अंग्रेजों से बचाने,
सुभाषचन्द्रबोस,अशफ़ाक,
लाजपत, भगतसिहं भाई,
सभी ने क्रांति की आग फैलाई,
अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ी लड़ाई,
किया देश के लिए सर्वस्व बलिदान,
गाँधीं, बल्लभपटेल, शास्त्री ने,
अहिंसा-सत्य की नीति पे चलके,
गए जेल अनेकोबार,
किए आन्दोलन भी खूब,
अंग्रेज हुए तब देश से,
निकलने को मजबूर,
वीर-सपूत चन्द्रशेखर आजाद,
देश को मिलके कराया आजाद,
मिला इतने संघर्षों के बाद,
आज १५ अगस्त का दिन,
दिन आज शहीदों के प्रति,
श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का,
नतमस्तक सीस झुकाने का,
करें सब देश पर गर्व,
एकता की भावना से,
एक-साथ मिलके सब रहें,
भ्रष्टाचार-घूस को अपने,
देश से मिलके समाप्त करें,
बचें आंतरिक कलह से,
करके सारे अच्छे काम,
भारत को हम आगे बढ़ाये,
भारत के नागरिक होकर,
फैलाएं भाईचारा-प्रेम,
यही है प्यारा संदेश,
हमारा भारत देश महान,
जय जवान,जय किसान।
- डॉ०विजय लक्ष्मी
काठगोदाम - उत्तराखण्ड

अखण्ड भारत
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आपस के हम बैर भूलाकर
आओ मुक्त हृदय से गले मिलें
हर मां की चाहत होती है
बन कर सपूत सब साथ चलें

हिंसा से पड़ती दरार
आपस के भाई चारे में
जला दिये कितनों को तुमने
हिंसा के अंगारे में

किंतु नहीं जल सका कभी भी
मानव का मिथ्या अभिमान
बर्बर हिंसा कोरी कलंक है
मानवता का है अपमान

धू-धू करके धधक रही है
भाषाई अग्नि प्रचंड
ऐसे में क्या रह पायेगा
भारतवर्ष अब एक अखण्ड

पनपेगा दूना दिना बढ़कर
दूराचार सम्पूर्ण देश में
जब तक रहेगें देश के दुश्मन
देशभक्त के छद्मवेश में

आगे बढ़कर फहराना है
विश्व विजय का यदि परचम
मिलकर परस्पर गाना होगा
एकता के लय में सुर संगम

बहुत हो चुका मिट जाने दो
अन्तर्निहित विद्रोह की मंशा
यक्ष प्रश्न है बुद्ध-गांधी के देश में
क्यों होती इतनी हिंसा

हिंसा नहीं है हर मसले का हल
समाधान है सहज शांति पथ
शांति पथ पर चलते रहने का
तुम दिल में कर लो दृढ़ सपथ

हटा दो हिंसा का भाव हृदय से
शांति पथ पर चल पड़ो निकल
फहराओ तिरंगा सब मिल कर
भारत माता है बड़ी विकल
                          - ब्रजेश नंदन सिह
                          नागपुर - महाराष्ट्र

 मेरे मन की बात 
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आसमान भी रोया था और
धरती भी थर्रायी थी
लाखों ने आहुति दी थी
तब आज़ादी आई थी
आज़ाद,भगत सुखदेव सुभाष ने
शत्रु से लोहा लेकर 
धरती को स्वाधीन किया
अपने तन का लहू देकर
ये रंग तिरंगे के इसलिए ही
निर्मल उज्ज्वल हैं क्योंकि
इसके रंगों में शामिल
पंडित मोमिन और बिस्मिल हैं
कहीं लाठियां, कहीं गोलियां
कहीं जीवनभर कारावास
कहीं नारियों का क्रंदन था
मृतवत्साएं थीं बदहवास
रक्तरंजित थी पावन धरती
था कोलाहल चारों ओर
अंग्रेज़ों तुम भारत छोड़ो
गली गली में था ये शोर
बड़े बड़े विद्वानों ने जब 
अपने घुटने टेक दिए
भोले भाले लोगों ने फिर
अपने मस्तक वार दिए
कटी तृणों की भांति जनता
और नामचीन सोए थे
वे तो तुच्छ सत्ता की ख़ातिर 
दिवास्वप्न में खोए थे
बैरिस्टरी धरी रह गई थी उनकी
सत्यम अहिंसा थी नाकाम
शत्रु को लोहा मनवाने आए काम 
दंड भेद और साम दाम
सैकड़ों झूले फांसी पर
लाखों ने गोली खाई थी
कई बरस के जप तप का 
परिणाम आज़ादी पाई थी
कीट पतंगों की भांति
जनता ने जान गंवाई थी 
और तुम कहते हो साहब 
चरखे से आज़ादी आई थी

 - कु. गीता रामकृष्ण तिवारी
नागपुर -महाराष्ट्र

वंदे मातरम्
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आजादी का आव्हान गान।
वंदे मातरम वंदे मातरम ।
क्रांतिवीरों की पहचान।
 वंदे मातरम्। वंदे मातरम।

 था क्रांतिवीरों का बलिदान ।
ना कोई जाति ना धर्म कैई ।
एक प्राण, एक था हिंदुस्तान ।
लेके रहें देश हम । वंदे मातरम्। वंदे मातरम्।

 आजादी सत्तर पार हो चली।
 बढ़े  कपूत ,रह गए सपूत कम । आजादी निज संपत्ति मान ली। भूल गए कैसे हम? वंदे मातरमम्। वंदे मातरम्।

भूखी नजरे़ घूर रहीं विश्व। की।
बदनियति का है लक्ष्य अधम।
 गाथा भारत के
 इतिहास की ।
करलेआज याद हम 
वंदे मातरम्। वंदे मातरम्।

आजादी का आव्हान गान
वंदे मातरम्।वदें मातरम्।
था क्रांतिवीरों की पहचान।
वंदे मातरम्। वंदे मातरम्।
    - डा. चंद्रा सायता
           इंदौर - मध्यप्रदेश

सैनिकों को नमन
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शत्रु   दस   सुला   दिए
 सैनिक  एक  वार  से ।

देश भक्त बनो सभी,
शस्त्र हाथ  लो अभी।
गुरु द्रोण शिष्य आज,
करते हैं स्वयम नाज।
कभी न छेड़ते प्रथम,
मगर आग गोला हम।
वीरता   में    शेर  हैं,
करें  पल  में   ढेर हैं।
क्रोधित हो कभी कभी
सदा  बोलें  प्यार  से।।
शत्रु  दस  सुला दिए,  
सैनिक  एक  वार से।।१।।

समय बुरा है या भला, 
हर  कोई  है  यूं  ढला।
शांति  के  पुजारी हम,
रौद्र   रूप  धारी  हम।
छोड़  दें   विनाश  को,
हर  दिशा विकास हो।
शक्ति  हाथ में प्रचंड,
चूर  हम   करें घमंड।
पल  में  धूल को चटा,
देशभक्ति-धार     से।
शत्रु  दस  सुला दिए,  
सैनिक  एक  वार से।।२।।

मां  तुम्हें  नमन  सदा ,
कर  रहा  हृदय  मेरा।
जन्में   बेटे ,  दे  दिए,
धरती  रक्षा  के लिए।
माटी  माथ पर लगा,
स्वाभिमान को जगा।
बोलते हैं मिल के सब,
मारकर   रुकेंगे  अब।
न चीन अब बचेगा तू,
भारत  के  संहार  से।।
शत्रु  दस  सुला दिए,  
सैनिक  एक  वार से।।३।।

कवि की कल्पनाओं में,
नभ की भी भुजाओं में।
खिला दिए  हैं यों सुमन,
कभी न कुम्हलाए  तन।  
सुन लें मम विनती आज,
मिल सभी करें यों काज।
भूल  हास्य  औ'  श्रृंगार,
ओज   रौद्र    रूप  धार।
लिखें ,  मारें   शत्रु   को ,
निज कलम-हथियार से।।
शत्रु   दस    सुला  दिए,  
सैनिक   एक   वार  से।।४।।

- हितेन प्रताप सिंह "तड़प"
            मेरठ - उत्तर प्रदेश
भारत हो भारत जैसा
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गांव,घर देश विश्व में मुकाम,
प्रयास हो तो पा लेंगे अंजाम
अगर सभी ओर से बढ़े कदम,
राह चाहे हो कितनी ही अगम।
सहिष्णुता का रख कर संयम,
भारत को भारत सा रखें कायम।
संस्कृति को ना समझना दोयम,
सहेजें  यह है भविष्य का आगम।
  
- श्रीमती रजनी शर्मा बस्तरिया
 रायपुर - छत्तीसगढ़

तिरंगा हमारी शान है
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आन, बान, शान, तिरंगा हमारी पहचान है
सर्व धर्म का हक़ समान, यह हिंदुस्तान है
                   तिरंगा हमारी शान है

गीता, बाइबल, गुरुसाहेबग्रंथ और कुरान है
प्रार्थना, इबादत और नित यहां अजान है
तिरंगा हमारी शान है

सारे जहां से अच्छा , वन्दे मातरम् यहां गान है
भारतीकी रक्षा करने, सहरद पे खड़े जवान है
                        तिरंगा हमारी शान है

शहीद हुए सपूत यहां, देशका  अभिमान है
लिपट आए तिरंगेमें, मां को दिया बलिदान है
                                 तिरंगा हमारी शान है

धर्म -राजनीति से,बढ़कर यहां संविधान है
समभाव और समानता, ये भारत महान है
                          तिरंगा हमारी शान है
शिवा, राणा,आजाद , झांसीरानी यहां की शान है
वंदन है उस जननी को, दिया देशको नौ जवान है
                               तिरंगा हमारी शान है
गांधीवाली आंधी की, अंग्रेजों को पहेचान है
कारगिल वाला युद्ध, निडरता की पहचान है
                             तिरंगा हमारी शान है

खड़ा हिमालय, कश्मीर स्वर्ग सामान  है
गर्व से मै कहता हूं, देश मेरा हिंदुस्तान है
                   तिरंगा हमारी शान है

मा भारती को नमन, सहीद हमारे फक्र का प्रमाण है
देशकी शान,तिरंगे को, *कलम"का सो सो सलाम है
                             तिरंगा हमारा सम्मान है
                               तिरंगा हमारी शान है
- सुथार सुनील एच. "कलम"
 बनासकांठा - गुजरात 

लहराता तिरंगा बडे़ शान से
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लगता सबसे है न्यारा ऐ जहान से।
कैसी लहराता तिरंगा बडे़ शान से।

रंग केशरीया स्वेत बीच मे हरा रंग आमन भाए।
आशोक चक्र शोभा न्यारी अद्भूत ज्ञान बताए।

सबको प्यारी जैसे प्रेम करते प्राण से।
कैसे लहराता तिरंगा बडे़ शान से।।

स्वतंत्रता पाने के लिए किए कई बलीदान।
कितने अपने बच्चे खोए कितने पती जवान।।

धरती सिची थी शहीदो के बलीदान से।
कैसे लहराता तिरंगा बडे़ शान से।।

आज हम सब भारत वासी सादर नमन करे।
देश शहीदों को अर्पण श्रद्धासुमन करें।।

एक दिपक जलालो उनके नाम से।
कैसे लहराता तिरंगा बडे़ शान से।।
- गोवर्धन लाल बघेल
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़

वतन के वास्त जीना
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मातृभूमि के स्वाभिमान को
हँसकर फांसी स्वीकार किया
धन्य जीवन उन विरो का 
साहस, त्याग अपार किया ।

भुला सकते नहीं है हम
 उन वीरों की शहादत को,
हुए बलिदान बलि वेदी पे 
जो उनकी इबादत को।

वतन के वास्ते जीना
 वतन के वास्ते मरना,
वतन के वास्ते जो हैं 
न्यौछावर उस मोहब्बत को।

साहस शौर्य और वीरता
 की जो गौरवगाथा थे,
त्याग समर्पण देश प्रेम की
 जो अद्भुत परिभाषा थे।

राष्ट्र ऋणी हैं ऋणी रहेगा 
बलिदान की अमर कहानी को,
शिवम् करे शत शत हैं नमन
अमर वीर बलिदानी को।।
- शिवानंद चौबे
भदोही - उत्तर प्रदेश

गीत
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आर्य देश के जवान जुझारू ,
अपनी भुजा उठाओ रे।
 सीमा पर फिर शोले भड़के,
  भड़की आग बुझाओ रे ।

 ओ प्रताप शिवा के बेटों ,
अपनी भुजा उठाओ रे ।
धरती फिर से बुला रही है ,
मौसम को पहचानो रे।


आजादी पर फिर खतरा है, फिर दुश्मन ललकारा है।
 स्वर्ण मुहर्त अब फिर आया 
है ,
अवसर बिता जाता  है ।


राजघाट की पावन माटी ,
सौ -सौ बार शपथ तेरी ।
फूलों के बदले अब तुझ पर ,
रिपु के मुंड चढ़ाएंगे।

फौज हमारी जिंदाबाद,
 मौज हमारी जिंदाबाद ।
जवान हमारे जिंदाबाद ,
किसान हमारे जिंदाबाद ।

तिल -तिल करके धरती से ,
रिपु कोटि-कोटि कट जाएंगे ।
अरि लोधों से हिम परस्तों के ,
रीते पथ पर जाएंगे ।

महाकाल होगा चंडी का,
 रक्तो नदी लहराएगा ।
जो भी सीमा पार करेगा ,
 कट कर ठोकर खाएगा ।

पता नहीं इस रक्त सिंधु के ,
ज्वार कहां तक जाएंगे ।
फूलों के बदले अब तुझ पर ,
अरि के मुंड चढ़ाएंगे ।


फौज हमारी जिंदाबाद ,
मौज हमारी जिंदाबाद ।
जवान मारे जिंदाबाद ,
किसान हमारे जिंदाबाद ।।

- सीता देवी राठी
कूचबिहार - पश्चिम बंगाल

प्यारा हिंदुस्तान हमारा
*****************

कितना सुंदर दिन‌ है आया
देश का त्यौहार कहलाया
मातृभूमि की रक्षा के लिए
कितनों ने निज खून बहाया

15 अगस्त का ये शुभ दिन है
तिरंगा ऊंचा हम सब लहराएं 
भारत माता की जय जय कार
आओ सब मिलकर लगाएं

प्यारा हिंदुस्तान हमारा
हमको है ये जान से प्यारा
हिमालय मुकुट जैसे चांद सितारा
रहता दक्षिण में सागर का पहरा

ये जन्म भूमि है वीरों की धरती
सोने की चिड़िया कहलाती थी
तपस्वीयों के तप से सींची हुई
नदियां हैं गंगा यमुना पावन सी
 - शिवानी गुप्ता
 हरिद्वार - उत्तराखंड

मेरे भारत की माटी
**************

मेरे भारत की माटी  ....
कहती मुझसे..
सुनो कहानी आजादी के दीवानों की ....
धरती पर ऐसे लाल हुए ....
सीने में गोली खाई है...
भारत की लाज बचाई है..
सीमा पर बंदूक तान खड़े...
दुश्मनों को यह ललकारते...
अंग्रेजों से हमें आजाद किया. ..
अपने प्राणों का बलिदान किया...
ऐसे दीवाने भारत में...
आजादी के वह मतवाले..
कहां भगत आजाद मिलेंगे..
कहां सुभाष और लाल मिलेंगे...
जो तुम्हारी आजादी की खातिर...
जहां से जुदा वह हो गए...
परवाह नहीं  अपनी जान की..
भारत का मान बढ़ाया है..
तिरंगे का शान बढ़ाया है...
तुम्हारी आजादी की खातिर..
धरा पर अपना खून बहाया है..
आजादी का जश्न मनाते हो...
गोली बारूद की होली खेली...
तुम दिवाली मनाते हो..
मेरे भारत की माटी..
सदियों तक ..
कहानी सुनाएं ..
वीरों की...
धरती पर सो रहे मेरे लाल..
बंद करो आतंकवाद..
भेदभाव नफरत की दीवारें...
जाति धर्म का तुम नाम न लो..
देश की आजादी में....
खून बहा भारतवासी का...
भारत मां के लाल बनो..
जाति धर्म में मां ना बांटो...
मातृभूमि का कर्ज चुकाना है...
 तुमको अपना फर्ज निभाना है...
मेरे भारत की माटी..
कहती कहानी....!!!
- प्रीति हर्ष
 नागपुर - महाराष्ट्र

 मातृभूमि प्रेम
 **********

हे मातृभूमि तेरी जय हो सदा विजय हो।
तेरे प्रशस्त नभ से सुख सूर्य का उदय हो।
निज प्रेम की किरण से मन को जगा दे मेरे।
तेरी भक्ति में सदा मेरा जीवन विलय हो।
तेरी भक्ति में ऐसी विजय की आशा हो ।
पीछे न पैर डालू चाहे महाप्रलय हो।
मेरी जीवन में जो तेरी प्रेम कि जो आग है।
जन जन तक पहुंचाऊ मेरा जीवन हो।
-  प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश

         यह पुण्य पर्व       
         ********        

यह पुण्य पर्व,यह क्रांति पर्व,यह कीर्ति पर्व अपना 
जन-जीवन का सपना 
 यह भारत का सपना।।

पंद्रह अगस्त आया,सबके मन को भाया
टूटे बंधन तन-मन के,मन मुक्त मगन हरषाया
यह धर्म पर्व,कर्तव्य पर्व,यह शुद्धि पर्व  अपना 
जन-जीवन का सपना
यह भारत का सपना।।

आओ मिलजुल कर हम ,गायें ख़ुशी के गीत
फूलों से सजा लें गुलशन,शूलों को बना लें मीत
संकल्प पर्व,संदेश पर्व, समृद्धि पर्व अपना
जन-जीवन का सपना
यह भारत का सपना।।

जागे हर भारतवासी और देश हमारा सँवरे
चहुँ ओर ख़ुशी छा जाए,यह देश और भी निखरे
यह त्याग पर्व,बलिदान प्रेम, सम्मान पर्व अपना 
जन-जीवन का सपना
यह भारत का सपना।।

अपना तिरंगा झण्डा,फहराए विश्व में ऊँचा 
पहुँचेंगे उस शिखर पर,कोई न जहाँ तक पहुँचा
यह भक्ति पर्व, यह शक्ति पर्व, यह मुक्ति पर्व अपना 
जन -जीवन का सपना
यह भारत का सपना ।।
- डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ 
  फ़रीदाबाद -हरियाणा 

                 जागो सपूतों                 
                     **********                  

 जागो देश के संस्कार इन सपूतों, नवीन भारत निर्माण करो 
जन -जन के जीवन में फिर से 
नई संचेतना संचार भरो।

 नई, आकाश है नया दिवाकर,
 नई सुबह है प्रकाश नई।
 नई आशाएं नई  उम्मीदें
 नई उमंग बहारें  न ई। 
 कई वर्षों से मुरझाए चेहरों में,
 मधुर मधुर मुस्कान भरो।

 जागो देश के संस्कारी सपूतों, नवीन भारत निर्माण करो।।1।।

 द्वार द्वार पर बैठे मनु कुछ,
 नई चिंतन विचार करें।
 गुनगुनाती बालाएं खुशी से,
  मधुर गान गाया करें।
 नवयुग की नुतन स्वागत में,
 प्रेम राग नव गान भरो। 

 जागो देश के संस्कारित सपूतों नवीन भारत निर्माण करो।।2।।

 डाल डाल पर बैठी पंछी कुछ,
 नव कलरव राग सुनाते हैं।
 गुनगुनाते भवरे भी मस्त,
 बागों में मंडराते हैं।
 रूग्ण कलियों में फिर से,
 नवरस मधुरम मधु भरो-। 

 जागो देश के संस्कारित सपूतों,
 नवीन भारत निर्माण करो।।3।।

नवीन सोच है न ई समझ है, 
नव उत्साह नया पथ है। 
 शिकवा शिकायत कर त्याग, 
 सख्य भाव संचार हो।
 दलित समाज में फिर से,
 प्रेम स्नेह नव भाव भरो-। 

 जागो देश के संस्कारी सपूतों,
 नवीन भारत निर्माण करो।।4।।

 विद्यालय हो पावन मंदिर,
 विद्या अधिकार तुम्हारा है।
 तुम इसके संरक्षक सुरक्षक, 
 तुम ही  इसके भागीदार हो।
 जन -जन ज्ञान दीप जलाकर,
 नवयुग का आव्हान करो।

 जागो देश के संस्कारित सपूतों,
 नवीन  भारत निर्माण करो।।5।।
 - उर्मिला सिदार
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़ 

लाल किले पर तिरंगा
***************
आजादी है हमने पायी बड़े ही संघर्षों के बाद
लाल किले पर तिरंगा फहराया गाया राष्ट्रगान

शहीद हुए हैं जाने कितनी सरहद पर मांओं के लाल
ये मत पूछो यारों हमसे सूनी हुई हैं यहां कितनी मांग

कितने चढ़े हैं फांसी पर थे जो आजादी के दीवाने
क्या कसूर था उनका चले थे जो आजादी दिलाने

आज मनाते हम दिवाली घरों में ये एहसान उनका हैं
खड़े हैं जो सीना ताने सरहद पर ये कमाल उनका है

भारत देश हमारा प्यारा जग में सबसे महान है
दुनिया की छोड़ो सबसे आगे मेरा हिन्दुस्तान है
- ललित जैन
हरिद्वार - उत्तराखंड

आजादी दिवस
***********

आज आजादी दिवस है आया 
सब के मन को है हरछाया। 
        इसे पाने के लिए खून बहाया 
          अपने प्यारे सपूतों को खोया ।
तभी यह देश भारत कहलाया 
दुनिया भर में नाम कमाया। 
         तिरंगा बना हमारे देश की शान
          सब मिलकर रखो इसका मान
सब भेद मिटा कर प्यार  बढ़ाओ
प्रगति के पथ पर देश ले जाओ ।
           अनेकता में एकता इस की पहचान 
          विशव में भारत इस लिए महान ।
इस की संस्कृति बचा कर रखें 
आपस में भाईचारा बना के रखें ।
       मिल कर दुश्मन का करें नाश
        कभी ना ताके फिर लेकर आस ।
आज आजादी दिवस है आया 
सब के मन को है हरछाया। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 

हिंदुस्तान मेरा
**********

हम हिंदुस्तानी.....
देश हमें प्राणों से प्यारा...
कश्मीर से कन्याकुमारी तक...
हिमालय से हिंद महासागर तक..
मानसरोवर लेह लद्दाख...
गंगा ब्रह्मपुत्र महानदी...
ध्यान ज्ञान की तप भूमि...
आयुर्वेद औषधि का खान ...
वह ऊंचा हिमालय है...
हिंदुस्तान मेरा...

अलग अलग है भाषा बोली...
पर हम सब हैं हमजोली...
 मन में नहीं कोई भेदभाव..
ईद दिवाली साथ मनाते...
गिरजाघर शिवालय जाते...
गुरुद्वारे की गुरबाणी प्यारी...
मस्जिद की अज़ान से भोर हमारी...
हम सबका सूरज चांद एक है..
तुम हो कौन जो हमें बांटते हो ....
हिंदुस्तान मेरा...

हिंदुस्तान की आजादी में....
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई..
सबने अपना रक्त बहाया...
कितनी मां की गोद हुई सूनी...
कितनी सुहागिनों का सिंदूर मिटा...
कितनी बहनों की राखी रोती रह गई...
भाग्यहीन वह बूढ़ा पिता...
बेटे की अर्थी पर  रोए ...
यह आजादी सस्ती नहीं है...
खून से पूरी धरती सनी है...
तब कहीं जाकर यह आजादी मिली...
मत दोहरवो इतिहास पुराना ...
सत्ता कुर्सी के लालच में...
भाई को भाई से लड़वाते हो..
जात धर्म ऊंच नीच का भेदभाव..
शतरंज सी चाल बिछाते हो ...
मातृभूमि के लिए मिटे जो ...
सरहद पर सभी रखवाले है...
 शहीदों की कोई जात नहीं ...
वह देवतुल्य मानव हैं...
हिंदुस्तान मेरा..... !!!
- रश्मि राजेश "विदुषी"
कोरबा -  छत्तीसगढ़

भारत  देश  महान  रे
***************

सभी देशों से प्यारा मेरा ,
भारत  देश  महान  रे ।

हरियाली धरती पर देखो ,
अन्न  - धन  की  खान  रे । 
प्रहरी बना अटल हिमालय ,
उसकी   देखो  शान   रे ।
         सब देशों से न्यारा मेरा ,
         प्यारा    देश     महान रे।

जिस में जन्मे राम  औ कृष्ण,
 वीर, शहीद, सीता जैसी नार रे ।
चरणों को धोती पावन गंगा ,
जल   जीवन  की  जान  रे ।
        सब देशों से न्यारा मेरा ,
        भारत  देश  महान  रे।

 ध्वज  तिरंगा   लहराए ,
सब  वीरों  की  शान  रे ।
केसरिया रंग है गाथा कहता ,
शहीदों  का   बलिदान  रे ।
         सब देशों से न्यारा मेरा,
          भारत  देश  महान  रे ।

हम सब की रक्षा की खातिर ,
दिल   में   बसा   तूफान  रे ।
आसमान में सदा गूंजते ,
भारती   वंदन  गान  रे ।
          सब देशों से न्यारा मेरा ,
          भारत   देश  महान रे।

 शांति का संदेश लहराए ,  
तिरंगे  की   पहचान   रे ।
नीला चक्र है तत्पर कहता ,
 बढ़ते   चलो   जवान  रे ।
           सब देशों से प्यारा मेरा ,
          - रंजना हरित
           बिजनौर - उत्तर प्रदेश

कौमी तिरंगा मस्त गगन में 
******************

नाम करेंगे, काम करेंगे 
जग में रोशन नाम करेंगे l 

आन बान और शान तिरंगा 
इसकी खातिर प्राण भी देंगें l
सत्य, शिवम, सुन्दर को लेकर "वंदे मातरम"गान गूंजेंगे ll 

आई है संघर्ष घड़ी अब 
आपस में हम जोश भरेंगे l
"जय जवान"का नारा लेकर 
अरि के सपने चूर करेंगे ll 

भारत माँ की सेवा में हम 
हँसते हँसते जान भी देंगें l 
जब जब शत्रु आँख दिखाए 
एक एक सिर काट धरेंगे ll 

श्रम की शक्ति के बल पर हम 
नव नूतन अभियान रचेंगे l 
लाल बाल और पाल है बनकर 
देश का नव निर्माण करेंगे ll 

कृषि भूमि की उपज बढ़ाकर 
आओ, हम श्रमदान करेंगे l 
शस्य श्यामला धानी चूनर 
भारत माँ की गोद भरेंगे ll 

भारत माता के सपूत हम 
भारत की तस्वीर बनेंगे l 
आया नवल विहान जगत में 
भारत की तकदीर बनेंगे ll 

"जय हिन्द"का नारा लेकर 
आँच नहीं हम आने देंगें l 
अभी तपने दो मन को, तन को 
आनंद की बरसात करेंगे ll 

त्याग और बलिदान,तपस्या 
सुख समृद्धि का रास रचेंगे l 
विजय पताका लहराकर हम 
निज पथ अविचल खड़े रहेंगे ll 

देश प्रेम का पीकर प्याला 
कुर्बानी को याद करेंगे l 
तन -मन धन जीवन कर अर्पण 
देश का हम उत्थान करेंगे ll 

कौमी तिरंगा मस्त गगन में 
लहर लहर ओ जन गन मन में l 
कभी नहीं झुकने देंगें हम 
केसरिया बाना पहिनेंगे ll 
      - डॉ. छाया शर्मा
   अजमेर - राजस्थान

  स्वतन्त्रता दिवस 
************

स्वतन्त्रता हमे 
जान से प्यारी है 
लाखों सिर कलम 
हो गये हैं 
देशकिआजादी में 
जिसके खातीर
हम रोए
मिलीं वही आजादी 
वीरों के बलिदानो से 
आओ हम शीश 
झुकाए और 
नमन करें हम सब 
उन वीरों को
- कमलेश कुमार राठौर
मंदसौर - मध्यप्रदेश

आजाद भारत
***********

हम सब आजाद है भारत में...
चैन से अपने घरों में सोते हैं..
तो कभी तुमने सोचा पल भर को..
किसने यह बलिदान दिया..
अपने प्राणों की दी‌ आहुति...
तुम्हारे सुखचैन के लिए..
अपना सर्वस्व जीवन त्याग दिया..
घर गांव छोड़कर चले बांके सिपाही..
मातृभूमि की सेवा में सीमा पर पहरा देते..
जो दुश्मन आंख उठाए तो..
जवाब  वह गोली से देते...
तुम्हारी आजादी के लिए...
अपने प्राणों की होली खेलें..
छोड़कर पीछे मां-बाप पत्नी बच्चे..
कभी सोचा तुमने उनके परिवारों का..
कैसी विशाल हृदय मां वह होगी..
अपने लाल को देश की रक्षा के लिए..
हाथ में थमा बंदूक वह देती..
कैसी देवी है वह पत्नी जो 
सुहाग अपना लुटा देती...
बस तुम्हारी आजादी की खातिर...
देश के वीर जवानों ने..
अपनी जान की बाजी लगा दी
आजादी का मतलब समझो..
व्यर्थ वह बलिदान न जाने दो..
आजाद भारत मेरे सपनों का नहीं..
यह सपना है अमर बलिदानों का...
जो शहीद हुए सीमा पर गोली खाई..
तिरंगे में लिपट कर घर वह वापस आए
देखो आजादी के मतवालों को..
कैसे शान से सोते हैं..
फिक्र नहीं परिवार की उनको...
बस हिंद के लिए वह जीते हैं....ं
आजाद भारत रहे....
जज्बात यही सीने में.....!!!
- वरुण राज मिश्रा
कोरबा - छत्तीसगढ़

जलाओ एक दिया 
**************

न झुकें हैं, न झुकेंगे, न झुकने देंगें कभी,
अपने प्यारे भारतवर्ष को,
देश के उन वीरों को मेरा नमन,
जिनके हौंसलों तले हम, 
आज बैठे अपने घरों में सुरक्षित,
जिनके उत्साहवर्धन के लिए,
कर रहे आज हम वंदना,
देशवासियों की महाशक्ति को,
है आज जाग्रत करना,
उठो धरा के सपूतों,
जलाओ एक दिया,
अपने गौरवशाली भारतवर्ष के लिए,
दिखा दो दुनिया को सब आज मिल,
हम अकेले नहीं बल्कि सब एक हैं,
एक ही माला के हैं मोती हम,
न झुके हैं, न झुकेंगे, न झुकने देंगे कभी,
अपने प्यारे भारतवर्ष को,
जलाओ एक दिया।
- नूतन गर्ग 
दिल्ली

हमारे देश में
*********

हो रहा कैसा हवन बोलो पुजारी देश में  ?
रोज बनती आग की मीनार नारी देश में।
योजनाओं का ढिंढोरा पीटने से क्या हुआ ?
कम कहीं दिखते नहीं अब भी भिखारी देश में ।
फिर कोई मजबूर खाली पेट क्यों सोने चला।
जब भरी है अन्य की लाखों बखारी देश में ।
दिनदहाड़े भीड़ में चलती जहां पर गोलियां ।
बोलिए क्या जान की कीमत हमारी देश में ?
हाय रिश्वत, तस्करी, कालाबाजारी लूटपाट।
हो रही इन सब की जमके तस्करी देश में ? 
डिग्रियां हाथों में है लेकिन जगह कोई नहीं।
इस कदर फैली हुई बेरोजगारी देश में।
कोई मजहब का कोई भाषा का है यहां मरीज।
लग गई है छूत की सारी बीमारी देश में।
- मुनीश कुमार वर्मा
 बोकारो - झारखण्ड

मेरा भारत
********

ये देश है मेरा अलबेला
यहाँ लगता खुशियों..... का मेला।
जहाँ मिट्टी भी खरा सोना है
जहाँ उजला हर कोना कोना है
जहाँ पत्थर भी पूजे जाते हैं
जहाँ पौधे भी मुस्काते हैं
जहाँ सौहार्द के फूल खिलते हैं 
जहाँ बयार भी झूम के आती है
जहाँ नेह के मेह बरसाती है
जहाँ रवि का तेज बरसता है
जहाँ चंदा भी कुलांचे भरता है।
ये देश है मेरा अलबेला
यहाँ लगता खुशियों..... का मेला।

जहाँ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे है
जहाँ हर धर्म के मीत हमारे है
जहाँ कोई बड़ा न कोई छोटा है
जहाँ हर एक बराबर होता है
जहाँ बस एक ही मज़हब होता है
जहाँ हर दिल में भारत बसता है
जहाँ हर जन से आवाज़ आती है
इस तिरंगे पर जान ये वारी है
ये देश है मेरा अलबेला
यहाँ लगता खुशियों..... का मेला।

आज ही क्यों, रोज मनाए ये दिन
कोई अस्तित्व नहीं इस स्वतंत्रता बिन।
आओ इसका हम मान करें
सब मिलकर जय गान करें।
संकल्प हम सब ये दोहराए
दुश्मन कोई हमें पाट न पाए।
कोई कुदृष्टि जो इस तरफ आए
उसे दृष्टिहीन बना जाएँ।
चलो मिलकर ये त्योहार मनाएँ
तिरंगे का मान बढाएं।
ये देश है मेरा अलबेला
यहाँ लगता खुशियों..... का मेला।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली

भारती भारती
**********

हिन्द हिंदी की सेवा , सदा कीजिए ।
फर्ज के साथ अपने, वफ़ा कीजिए ।।

वीर सच्चा वही जो, हिफाजत करे ।
देश हित फैसले ही, किया कीजिए ।।

मिल के  सारे चलो , मिल के सारे चलो ।
नेह भावों से पोषित ,रहा कीजिए ।।

देश से बढ़ के कुछ भी कहीं है नहीं  ।
मान इसका ही सारे रखा कीजिए ।।

आसमाँ में तिरंगा  , फहरता रहे ।
भारती- भारती ही, कहा कीजिए ।।
-छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश

 भारत
*******

नवप्रभात ,नवतेज नवकिरण 
हो प्रादुर्भाव नवजीवन का ।
तमिस्र का हो समापन
हो उजास नव बोध का।
राष्ट्र का हो उत्कर्ष 
हो अन्त वैमनस्यता का ।
रिपु की हो पराजय
अभिन्नता का वास हो।
विभाजनकारी मान्यता 
की सदैव हार हो।
सभ्यता का हो विकास
मनीषी संतान हो।
ज्ञान का स्रोत हो
विश्व का प्रणेता हो।
विश्व गुरू बनकर
भारत की पहचान हो।
वर्तमान मे भारत 
तेरी ऐसी ही पहचान हो।।
-जगदीप कौर
अजमेर - राजस्थान

नये युग का भारत
  *************

आओ करें नये युग का स्वागत 
पर न भूले स्वर्ण युग का भारत ।

देश विकास की ओर बढ रहा है
ज्ञान विज्ञान से संबृध्द होता भारत।

मिलो मे श्रमिक, खेत मे किसान
खेत खलिहान से महकता भारत।

पत्थरों से जोड़ा था नाता देखों 
मिट्टी में हरितक्रांती लाता भारत।

प्रगति के पथ पर बने स्वावलंबी    
अब स्वदेशी को अपनाता भारत।

कर दिए एप बैन चायना पे वार
नये युग मे सरताज होता भारत।

रूककर कोई मंजिले मिलती नही
उन्नति के पथ,पग बढाता भारत । 

अस्त्र-शस्त्र अनुसंधान मे बढ चले
संरक्षा मे आत्मनिर्भर बनता भारत।

भारती के जाबाँजो की होड नही
जल-थल-वायु में दहाड़ता भारत ।

जागो जन जन अलख जगाना है 
जनजागृति से जगमगाता भारत।

भूल नही जाना शान्ति दूत गांधीजी  को
वीरों की कुर्बानी से "आजाद" भारत। 

स्वतंत्रता दिवस पंद्रह अगस्त आया 
तिरंगा आसमान में लहराता भारत ।
- सुनील कुमार निखारे
 नागपूर - महाराष्ट्र

र्हिंदुस्तान हमारा 
***********

हिन्दुस्तान  हमारा है 
यह हमे जान से प्यारा है! 

राष्ट्र  चेतना जगायेंगे
सबको याद दिलायेगें! 

अमर शहिदो की गाथाएँ
और उनका त्याग प्रसंग! 
बन्दे मातरम् !  बन्दे मातरम् !!

राष्ट्र ध्वज को शीश झुकाकर 
आओ हम करे सम्मान  !
बच्चे. वृद्ध  जवान सभी
मिल गाये जन गण मन गान!!

मिली आजादी देश को
जब बहनो ने  भाई खोया! 
माँ ने खोया पूत और
पत्नी ने माँग को धोया!! 

राजगुरू शुकदेव भगतसिह
हंसकर फाँसी पर झूले.  !
चन्दशेखर अश्फाक बिस्मि
सा फूल चमन मे खिले !!

मंगल पान्डे झाँसी की रानी
कुँअरसिह तात्या टोपे! 
महाबली सब सन्तावन के
नही कोई थे छोटे!! 

उधम सिह सरदार के सर
जालिवाला खून था बोला! 
वीर सुभाष केआजाद हिन्द से
अंग्रेजी  शासन डोला  !!

इधर नरम दल मे गांधी ने
सत्याग्रह   कई  कई छेडा! 
चम्पारण  बम्बई  और
जगह गुजरात मे  खेढा"  !!

सत्य अहिंसा त्याग  तितिक्षा 
के रहे गांधी सच्चे पुजारी! 
जाति पाति छूत अछूत की
कुरीति मिटायी  सारी!! 

दाँडी मार्च नमक सत्याग्रह 
का बापू ने बिगुल बजाया! 
सबसे पहले चल रहा वही 
फिर पीछे जन जन आया!! 

करो यार मरो नारा बुलन्द किया
सन बयालीस अगस्त मे गांधी! 
हिल गया अंग्रेजी राज्य
उठी जनता की आँधी!! 

दमन चक्र तब चला मगर
हुए फिरंगी राजी! 
आजादी तो मिली पर
देश बाँटे तुनुक मिजाजी!!

अब भारत केा हम सब मिलकर
पावन और सुखी बनाये! 
ध्वस्त करे इरादे पाक के
दुश्मन को खेत सुलाया!! 

रामराज्य  और स्वर्ग  हमे
धरती पर है लाना! 
आओ बढें संग सब मिलकर
देश को है आगे ले जाना!! 

आए करे मिलजुल कर
अपने देश भूमि का वंन्दन !
भारत माता प्यारी हमको
माटी इसका चन्दन!! 

वन्दे मातरम् !
वन्दे मातरम् !! 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र

 हम भारत के है वीर जवान
*******************

मातृभूमि की रक्षा के लिए, 
हर पल रहेंगे तत्पर ! 
इंच - इंच नहीं छोड़ेंगे , 
हम भारत के है वीर जवान !!

सुन ले जरा ए पाकिस्तान,
मर्यादा रख ले, भारत के टुकड़े की !
तेरी कायराना हरकतों से, 
न रुकेंगे, न झुकेंगे हम,, 
सीमा पर मुस्तैद है मजबूती से !!

सुन ले जरा ए चाइना,
समझ परिभाषा मित्रता की ! 
तेरी छल - कपट हरकतें , 
नहीं चलेंगी अब सीमा पर,, 
तेरी मिट्टी में ही मिल जाएंगी !!

सुन ले जरा ए नेपाल, 
पड़ोसी धर्म को निभा ले ! 
चले कदम अगर मूर्खतापूर्ण के , 
तो तेरे काल्पनिक नक्शे को,, 
हम राख बना के उड़ा देंगे !!

सुन लो जरा..., 
ए मेरे पड़ोसी देशों ! 
अपने दृष्टिकोण को बदल दो...,
अन्यथा भूल जाओंगे की ....,,
हम भी थे भारत के पड़ोसी देश कभी !!
- कुमार जितेन्द्र "जीत"
 बाड़मेर - राजस्थान

 कैसे न कहूँ
**********

मेरा देश महान है" कैसे न कहूँ 
मेरा देश महान है,
न हम है जिंदा हमारे वतन के बिना।
कश्मीर मुकुट भारत की है,
असेतु हिमाचल है, तेरी काया विशाल,
ऊंचे शीश उठाकर सीना ताने खड़े है, चारु ओर गिरिराज यहां,
बहती नादियां बता रहे है, माँ भारत की कथा महान,
गौरवशाली इतिहास इस का, 
विश्व न में सब से प्राचीन है।
"सोने कि चिड़ियां" नाम से विश्व
में मशहूर है देश मेरा, 
यहां कि मिट्टी में सोने की खुशबू,
पानी अमृत सा, यहां कि वायु
में है जीवन धारा।
कैसे न कहूँ, मेरा देश महान है।।
सूर्योदय ह जैसे ही हुई, 
बजी मंदिरों में घंटी, मस्तिज में आंजा, गिरिजा घर में प्रार्थना,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
हर धर्म के लोग यहां पर
मिल जाते है।
किसी जात में क्यों न हो जन्म,
सब लेते भारतीय का नाम,
अनेकता में एकता का प्रतीक है
मेरा देश।
कैसे न कहूँ, मेरा देश महान है।।
सत्य, अहिंसा, शांति, विश्वबंधुत्व,
अतिथि देवोभव,
मानवीयता है, यहां के जैसे, 
विश्व के लिए अनुकरणीय।
सहृदयता है यहां जैसे विश्व के
लिए देवदूत,
भारत कि परम्परा ऐसी है कि,
कहलाती है कर्मभूमि, 
वासुदेव कुटुंबकं का निर्वाह करती है ए धर्मभूमि,
नित्य नया जीवन देकर प्रेरित
करनेवाली स्वर्णभूमि।
जान के बदले में जान लेना, 
यह नहीं अदब हमारी,
जान के बदले में जान देना
यह है  आदत हमारी।
कैसे न कहूँ, मेरा देश महान है।।
छात्रपति शिवजी, महाराणा प्रताप, साम्राट अशोक,
शहीद भगत सिंग, चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर
आदि के अमर बलिदानों से 
भरा पड़ा है इतिहास।
वीरों ने अपनी बलि देकर भारत
बलिदानियों का देश कहलाया,
स्वतंत्रता के न मशाल लिए
 अमर हुए तेरे अनगिनत संतान,
जीजाबाई, जंसिरानी लक्ष्मीबाई, 
मीराबाई, अक्कमहादेवी, कित्तूर 
रानी चेन्नम्मा, रानि पद्मिनी की जोहर गाता से।
कैसे न कहूं, मेरा भारत महान है।
स्वामी विवेकानंद, डॉ राधाकृष्ण,
डॉ आंबेडकर, डॉ अब्दुल कलाम
जैसे वरिष्ठ जन्म लिया है इस
पवित्र भूमि पर,
विश्वगुरु बसवण्ण, बुद्ध, महावीर,
कबीर, रामकृष्ण परमहंस जैसे 
महा सन्तों ने जन्मे है इस पुण्य
धरती पर।
धर्मशास्त्र के प्रवचन हुआ 
महाभारत न में,
सत्य, निष्ठा, वचन पालन हुआ
रामायण में।
शांति, अहिंसा का बोध हुआ
गौतम बुध्द से,
इन्हीं संस्कृति का धरोहर फैला है
सारे दुनिया में।
कैसे न कहूँ, मेरा भारत महान है।।
यहां मिर्जा ग़ालिब के गजलें हैं,
शिवशरणों के वचन साहित्य है,
ज्ञानपीठ पुरस्कृत साहित्यकारों का अमोघ सायित्य है।
गणित, अर्थशास्त्र, जोतिष, 
योगा, राजनीति, विश्व को 
देनेवाला महागुरु है मेरा देश।
यहां विश्वविख्यात ताजमहल है,
प्यार का दास्तान बनाकर,
चित्रकला, शिल्पकला, नृत्यकला,
यहां का मशहूर कलाएं है।
इन्ही ख़ूबहियों से भरा हुआ 
मेरा भारत , विश्व में सर ऊंचा किया, सदा बना रहे मेरा देश,
कैसे न कहूँ, मेरा भारत महान है,
मेरा भारत महान है।।
                - डॉ.सरोजिनि भद्रापूर
                      पुणे - महाराष्ट्र
             

 राष्ट्र- नमन
*******

कर लें राष्ट्र को नमन
चले देशभक्ति की पवन।
        राष्ट्र है तो मिलजुल कर सब
        प्रेम- शांति से रहते हैं
        राष्ट्र है तो लोग सुखी हैं
        अपने मन की करते हैं
        राष्ट्र है तो गौरव है
        राष्ट्र बिना कुछ भी नहीं
        राष्ट्र है तो जीवन है
        बिना राष्ट्र पल भी नहीं
है राष्ट्र ही चमन
कर लें राष्ट्र को नमन।

         राष्ट्र है तो सारे दुख
         छोटे, लघुत्तम लगते हैं
         राष्ट्र है तो कांटे भी
         फूल सुगंधित लगते हैं
         राष्ट्र है तो तिरंगा भी 
         उत्सव पर लहराता है
         हर नागरिक आजादी के
         गीत मज़े से गाता है
हों राष्ट्र में मगन
कर लें राष्ट्र को नमन।
चले देशभक्ति की पवन
कर लें राष्ट्र को नमन।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात

सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद । भविष्य में भी ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन होता रहेगा ।


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