क्या हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं ?
कहते हैं समय बहुत बलवान होता है । इससे कोई नहीं बच पाया है । अमीर हो या गरीब , राजा हो या रकं । सभी को समय का सामना करना पड़ता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
दरअसल हम अपने बुद्धि- विवेक, संघर्ष और परिस्थिति के कसौटी पर कसे जाते हैं। अगर बरसात का समय है तो पानी अवश्य होगा। इस बरसात के समय मे पानी से बचना है तो हाथ मे छाता होना जरूरी है। समय - समय पर उत्पन्न विपरीत परिस्थिति को ब्यक्ति काटने का प्रारंभ से ही प्रयास करते आया है। आपने आपको इंसान विपरीत समय में सुरक्षित भी रखा है। धूप ,वर्षा, आँधी और मौसम से बचने के लिए आदमी ने घर बनाया। इस तरह के समय पर इन्सान ने विजय अपनी बुद्धि से प्राप्त किया है। आगे भी इंसान वैज्ञानिक ढंग से समय -समय पर उत्पन्न विपरीत परिस्थिति का काट खोजने मे सफल होगा। हाँ , कभी -कभी समय भी असामान्य रुप से प्रतिकूल हो जाता है तब वह हमारी बुद्धि और विवेक की परीक्षा करने लगता है।
अंत मे मैं यही कहुगी कि हम सब हमेशा सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक परिस्थिति के कसौटी पर कसे जाते हैं न कि समय की कसौटी पर ।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
समय तू धीरे धीरे चल
सारी दुनिया छोड़ के पीछे
आगे जाऊँ निकल
यह किसी फिल्मी गाने की पंक्तियाँ हैं । इसमें समय को धीरे धीरे चलने की बात कही है । किंतु यह हम सब जानते हैं कि समय कभी भी किसी के लिए भी एक पल के लिये नहीं ठहरता ।
समय का चक्र निरन्तर गतिशील है । जो व्यक्ति समय की गतिशीलता को जानते हैं वह सम्पूर्ण काम काज के लिए समय सारणी बनाकर चलते हैं ।जैसे कि विद्यालय कार्यालय आदि में सभी को सारे कार्य समयबद्ध नियमित पालन करना अनिवार्य होता है ।
जो समय के साथ चलते हैं यथा समय कार्य का उत्तरदायित्व कर्तव्यनिष्ठा से पूर्ण करते हैं । जग में वही व्यक्ति नाम अमर करते हैं । समय के लिए सजग सावधान मनुष्य का नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर अंकित हो जाता है ।
हम जीवन काल में निरन्तर काल चक्र का परिवर्तन देखते हैं ।
जन्मकाल से लेकर शैशव बाल किशोर जवान बुजुर्ग वृद्धावस्था एवं अन्त में मृत्यु की प्राप्ति ।
शनैः-शनैः व्यक्ति का जीवन समय काल बदलने के साथ ही परिवर्तित होता रहता है ।
एक ही दिन में हम दिन के कितने रूपों का दर्शन करते हैं । अमृतबेला प्रातः दोपहर संध्या निशा का आगमन कैसे समय एक के बाद दूसरे प्रहर में ढल जाता है।और निशा की समाप्ति के बाद फिर से नवीन भोर का प्रारम्भ हो जाता है । समय चक्र मानव को यही समझाता है कि दिन महीने साल यूँ ही बीतते जाते हैं । उमर घटती जाती है । कर्मशील प्राणी सजग प्रहरी की भाँति कर्म करने में प्रवृत रहो ।
प्रत्येक प्रहर में सूर्यदेव की गति के साथ समय परिवर्तन होता जाता है ।
जो व्यर्थ समय की के प्रत्येक पल का सदुपयोग करते हैं वही जीवन सफर को सरल सुगम उन्नतिशील बनाते हैं और समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं ।
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ - उत्तर प्रदेश
सुबह होते ही हमारी परीक्षा की घड़ी शुरु हो जाती है कि हमारा कौन सा कार्य पूरा हेता है कौन सा नहीं ।यही मानक हमारे लिए कसौटी हैं जहाँ हम कभी खरे उतरते हैं कहीं नहीं लेकिन इस कसौटी से हम समय का सदोपयोग जरुर सीख जाते हैं ।कहते हैं ...करत -करत अभ्यास जड़मत होत सुजान ।आज हरएक का प्रयास है कि वह सफल हो इसलिए हमसभी प्रयास रत रहते हैं तो निश्चय ही हमसब समय की कसौटी पर कसे जा रहे हैं ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
मनुष्य जाति चाहता तो यही है। की समय की कसौटी पर कसे रहे। लेकिन ऐसा होता नहीं है। हर मनुष्य स्वच्छंद होकर जीना चाहता है अर्थात मनमानी जीना चाहता है ।स्वतंत्र होकर नहीं। स्वतंत्र होकर जीने में अर्थात व्यवस्थित होकर जीने में समय की कद्र होती है और स्वच्छंद होकर जीने में समय की कोई लिहाज नहीं होती ।जो व्यक्ति समय की कसौटी पर जीना सीख लेता है। वह सफलता की ओर गति करता है और जो व्यक्ति समय के अनुसार व्यवहार कार्य नहीं कर पाता ऐसे व्यक्ति पीछे छुट जाते हैं। अतः हर व्यक्ति को समय की कसौटी पर कसे रहना चाहिए अर्थात समय रहते हुए ,अवसर रहते हुए अपना कार्य व्यवहार पूर्ण कर लेना चाहिए।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
समय बलवान कहा जाता रहा है .समय वो बेताज बादशाह है जिसके आगे अब को नतमस्तक होना पड़ता हैचाहे अमीर हो या गरीब बलवान हो या कमज़ोर !
समय की कसौटी ही वो सच्ची कसौटी है जिसपर मनुष्य की सच्ची परख होती है .उदहारण के लिए मुसीबत के समय कामआनेवाले दोस्त को ही सच्चा दोस्त कहा जा सकता है और मुसीबत मैं धोखा देनेवाले को दोस्त नहीं बेईमान .
इस प्रकार समय की कसौटी पर दोस्ती की तरह हर स्थिति और रिश्ते को परखा जा सकता है
समय मैं वो शक्ति है जो राजा को रक बना सकता है और अर्श से फर्श पर पटक सकता है .
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
अवश्य ! समस्त जीव मात्र समय की कसौटी पर कसे जाते हैं ! उतार चढ़ाव तो सभी के जीवन में आते हैं किसी का भी समय एक सा नहीं जाता ! जीवन है तो विपत्तियां मुश्किलें आएंगी किंतु जो इस कसौटी को बिना डर के अपना चरित्र और व्यक्तित्व ,व्यवहार खोए बिना समाज में अपनी छवि बनाए रखता है वही सही मायने में समय की कसौटी पर कसे जाने पर भी खरा उतरता है ! हर व्यक्ति िा अपना व्यक्तित्व होता है ! मुश्किलों के समय पर मित्र, रिश्तेदार, आत्मीयजनों की सही पहचान होती है कि हमारे बुरे वक्त में हमारी मदद कर समय की कसौटी पर वह सही उतरा या नहीं !
समय बडा बलवान होता है वह पल में राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है किंतु समय की कसौटी पर रहकर भी हिम्मत से मुकाबला करते हैं एवं दूसरों की भी मदद करते हैं! जो जितना आग में तपता है ,समय की कसौटी पर कसता है सोने की तरह निखर आता है ! संघर्ष और हमारी दृढ़ता किसी भी समय आने वाली कसौटी से हमें जीत दिलाती है!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
. जहांँ तक आज की चर्चा में यह प्रश्न है कि क्या हम समय की कसौटी पर कसे जाते हैं तो इस पर मेरा विचार है यहाँ प्रत्येक व्यक्ति समय की कसौटी पर अवश्य कसा जाता है वास्तव में यह जीवन ही एक परीक्षा है जिसमें अच्छा और बुरा समय चलता रहता है और बुरे समय में आदमी का कदम कदम पर इम्तिहान होता है उसे विभिन्न प्रकार की बाधाओं से पार पाना पड़ता है जो संयम के साथ अपनी सद्बुद्धि और अपने प्रयासों से इन बाधाओं का हल खोजते हुए इन से पार पाते हुए आगे बढ़ते वह जिंदगी में उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होते रहते हैं और जो ऐसा नहीं करते या असफल रहते हैं वे संकटों से घिरते चले जाते हैं और यह तक हो जाता है कि अपना स्थान व वदूद ही खो बैठते प्रकृति का भी यही नियम है जो समय के साथ साथ अपने में परिवर्तन ले आता है और समय के अनुकूल अपने आप को बना लेता है वह बना रहता है और जो ऐसा नहीं कर पाता समय के साथ धीरे धीरे धीरे धीरे वह अवनति के गड्ढे में गिरता जाता है और एक दिन ऐसा भी आता है जब वह समाप्त हो जाता है समय की है कसोटी अनवरत रूप से चलती रहती है यह अलग बात है कि इसका स्वरूप कुछ बदल जाए परंतु ऐसा नहीं होता कि हमेशा समय अच्छा ही चलता रहे और आदमी को कोई दिक्कत ना हो इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वास्तव में हम समय की कसौटी पर कैसे जाते हैं किसी समय में इस पृथ्वी पर डायनासोर का एकछत्र राज्य था और यह अपने आप को समय और परिस्थिति के अनुकूल नहीं बना पाए और अब केवल इनके जीवाश्म ही मिलते हैं यानी यह धीरे-धीरे नष्ट हो गए और अवशेष बन गए समय न केवल किसी व्यक्ति को बल्कि प्रत्येक जीव को कसौटी पर कसता है उसे समय के साथ-साथ प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है और अपने आप में सुधार करने होते हैं यह सुधार शारीरिक रूप से मानसिक रूप से सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से करने पड़ते हैं और यदि ऐसा करने में कोई भी जी विफल रहता है तो उसे बहुत सारे संकटों का सामना करना पड़ता है धीरे धीरे उसकी परेशानियां बढ़ती जाती हैं और समय के साथ-साथ एक दिन ऐसा भी आता है जब वह नष्ट हो जाता है
- प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
यह सर्वविदित है कि हमारा जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। हम अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के साथ कई अहम परिस्थितियों या विपत्तियों से होकर गुजरते हैं और जीवन के इस युद्ध क्षेत्र में साहसी योद्धा या कायर की भांति हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं।
कसौटी का अर्थ है-- जांचना या परखना ।
रहीम जी ने कहा है-
'विपत्ति कसौटी जे कसे तेई सांचे मीत'
अर्थात विकट घड़ी में हीं इंसान की सही पहचान होती है। सुनहरे समय में हजारों दोस्त रिश्तेदार हमारे हितेषी बनते हैं या बनने को तैयार रहते हैं पर मुसीबत की घड़ी में कौन कितना साथ देता है इसका निर्णय समय की कसौटी ही करता है।
कृष्ण- सुदामा की सच्ची दोस्ती की परख विपत्ति के समय में सुदामा का कृष्ण के महल में पहुंचने पर प्रेमपूर्वक स्वागत के बाद ही हुआ था।
हमारा भी फर्ज है कि अपने मार्ग में आने वाले हर बाधा को तोड़ते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर मेहनत और परिश्रम के साथ आगे बढ़ते रहें और जीवन की कसौटी पर खरा उतरें।
जो मुश्किल घड़ी में डटकर संघर्ष कर आगे बढ़ने का प्रयत्न करता है वही व्यक्ति जीवन में सफलता को प्राप्त कर पाता है। हम सब कभी ना कभी किसी ना किसी तरह समय की कसौटी पर कसे जाते हैं और यह सही भी है क्योंकि इसी कारण इंसान की कर्मठता की पहचान होती है।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
हर व्यक्ति चाहे बड़े हो या छोटे हो ,उन्हें समय की कसौटी पर से गुजरना होता है।
यहां मैं रहिमन के कुछ शब्दो से स्पष्ट करना चाहता हूं।
" कही रहीम संपत्ति सगे बनत बहु रिती।
विपती कसौटी जै तेई सॉचे मीत ।। अर्थात:- रहिमन सच्चे मित्र की पहचान बताई है।
इस दोहे में सुदामा के चरित्र की समानता किस प्रकार दिखती है?
रहिमन कहते हैं कि मनुष्य के पास धन संपत्ति होती है तो बहुत लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं।
सुदामा के चरित्र के अनुरूप यह दोहा पूर्णतया सही है। क्योंकि श्री कृष्ण और सुदामा बचपन के मित्र थे ।लेकिन बड़ा होकर श्री कृष्ण द्वारिकाधीश बने और सुदामा गरीब थे गरीब ही रहे।
एक बार सुदामा की पत्नी बहुत आग्रह की आप श्री कृष्ण के पास जाइए ,सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह को ठुकरा नहीं पाए ,और श्री कृष्ण से मिलने चले गए जब सुदामा श्री कृष्ण से मिलते हैं ,तो श्रीकृष्ण उन्हें सर -आंखों पर बिठाए। उनका आदर सत्कार किए, उनके मुंह से दिन दशा सुनकर चिंतित भी हुए ।
कुछ दिनों के बाद जब सुदामा वापिस घर आने लगे तो मार्ग में सोचते रहे ,कि मेरा मित्र कृष्ण के पास आना व्यर्थ हुआ ।हमें श्री कृष्ण से कुछ भी सहायता नहीं मिली। लेकिन जब अपने गांव पहुंचे तो देख कर हैरान हो जाते हैं,कि उनके राजसी ठाठ -बाट बन चुके हैं ।तब मन ही मन अपने मित्र श्री कृष्ण के प्रति कृतज्ञ हो जाते हैं।
प्रत्यक्ष रूप से कुछ देकर उन्होंने हमारे मित्रता को छोटा नहीं किया।
सच्ची मित्रता एक वरदान जो हर किसी को नहीं मिलता है।
इस जीवन की कड़ी में कई कसौटी हमारे सामने आएगी जो हमारे मार्ग में बाधा भी बन सकती है लेकिन हमें जीवन की हर कसौटी पर खरा उतरना है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर मेहनत और परिश्रम करते रहना होगा।
लेखक का विचार:- कहावत है कि:- "विपत्ति कसौटी जे कसे तेई सॉचे मीत" अर्थात इस जीवन की कसौटी पर मित्र या रिश्तेदार हमारे दुख की घड़ी में साथ दें वही हमारा सच्चा मित्र होता है।
कसौटी का अर्थ होता है जॉचना या परखना ।
- विजयेद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
समय अनवरत चलता रहता है यह कभी भी किसी क्षण किसी के लिए भी रूकता नहीं है। इसलिए हम सब को भी समय के साथ तारतम्य स्थापित कर चलना चाहिए।समय को व्यर्थ कभी भी नहीं गंवाना चाहिए। कहा भी गया है कि " काल करें सो आज कर ,आज करें सो अब"। अर्थात कभी किसी कार्य को कल पर नहीं टालना चाहिए।यथासंभव हर कार्य हमें समय पर संपन्न कर लेना चाहिए, तभी व्यक्ति सफ़लता प्राप्त करता है।समय बड़ा बलवान होता है। इसलिए हर किसी को समय की कद्र करनी चाहिए।समय तो हर वक्त हमारी परीक्षा लेता है और देखता है कि हम सब खरे उतरते हैं या नहीं ।जो व्यक्ति समय का महत्व समझता है वह सदैव समय का सम्मान और सदुपयोग करता है । फिर वैसा व्यक्ति निश्चय ही सफलता प्राप्त करता है। "समय का पहिया चलता जाए इक ऋतु आए इक ऋतु जाए"। अतः हम सब को भी समय अपनी कसौटी पर कसे रहता है और हम सब भी। समयानुसार अपनी दिनचर्या में लगे रहते हैं।जब सारी प्रकृति खुद समय में बंधी और कसी होती है फिर हम क्यूं नहीं ? हम भी समय का मान रखे फलत: समय भी हमारा सम्मान करेगा और यह हर व्यक्ति के हाथ में है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
विषय बिल्कुल यथार्थवाद है
वक्त के आगे सर झुकाना ही समझदारी है वक्त के कितने रंग और रूप होते हैं वक्त जब काल बनकर आता है तो कितनों को व्हाट डस कर चला जाता है
वही वक्त जब अवसर बनकर आता है तो खुशियां ही खुशियां चारों ओर बिखर जाती हैं
वक्त के इस दौर में इंसान की सही पहचान होती है यदि विपत्ति या बुरे वक्त में आपका अपना परिवार दोस्त मित्र संगी साथी साथ दे रहे हैं तो वक्त की विपत्तियां कम होती जाती हैं लेकिन प्राय देखा जाता है कि जो लोग स्वार्थी होते हैं वह विपत्ति के समय अपने आप को उन लोगों से अलग कर लेते हैं वक्त से ही व्यक्ति के इमानदारी और बेईमानी की पहचान हो जाती है इसलिए समय की कसौटी पर हर इंसान किसी न किसी रूप में परखा जाता है और वही से व्यक्ति के व्यक्तित्व की एक अलग कहानी शुरू हो जाती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
हम सब से आरंभ करते हैं। संसार के सभी जीव जंतु, कीट पतंगे, पशु पक्षी और पेड़ पौधे भी समय की कसौटी पर कसे जाते हैं, परखे जाते हैं तराशे जाते हैं ।
मानव.का व्यक्तित्व तो जितना समय-समय पर कसा जायेगा उतना ही निखरेगा ।कसना यानि सख्त सीमा रेखाओं में बाँधा नहीं। बँधी लीक राह पर चलने के लिए तैयार करना नहीं पर हर ड़गर पर सधे कदमों से मंजिल तक पहुँचने की शारिरीक ओर मानसिक शक्ति को धार दार बनाना। धनुष की ड़ोर को कस कर बाँधते हैं तभी वह निशाने पर मार करती है ।कुँए से पानी निकालने के लिए खाली बाल्टी तो रस्सी के साथ लापरवाही से भीतर ड़ाल दी जाती है पर भरे बर्तन को ऊपर लाने के लिए कसकर रस्सी को सही दिशा में ऊपर खींचना पड़ता है। सब से नर्म उदाहरण ले तो मख्खन निकालने के लिए भी रस्सी को कस कर पकड़े हुए मथना पड़ता है ।
समय सब की परीक्षा लेता है और जो समय के साथ चलते हुए ,परिस्थितियों में ढ़ल जाता है वही सच्चा विजेता है । समय ने तो राम ,कृष्ण, राजा हरिश्चंद्र, सीता, द्रौपदी, मरियम व साधुसंतों को भी कस कर जीवन का मूल समझा दिया।
सच है समय की कसौटी बड़ी अनोखी होती है। अनेक रूपों में हमे परखती है ।
- ड़ा नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
समय ने राजा-रंक सभी को कसौटी पर अवश्य कसा है। यह सत्य है कि किसी का भी समय सदैव एकसमान नहीं रहता।
मनुष्य जीवन समय की धारा का विपरीत प्रवाह भी देखता है। कोरोना काल भी हम सबको कसौटी पर ही तो कस रहा है।
महापुरुषों के जीवन को भी समय ने कसौटी पर कसा है और इस कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही एक सामान्य व्यक्ति महापुरुष की पदवी को प्राप्त कर पाया है। पुरुषोत्तम श्रीराम को भी समय ने वनवास की चुनौती देकर कसौटी पर कसा, तब श्रीराम भगवान बने।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में परिस्थितियां रूप बदल-बदल कर विषम चुनौतियां बनकर सामने आती रहती हैं। मेरे विचार से हमारे जीवन में विपरीत समय का आना ही हमें कसौटी पर कसे जाने के समान है। यह कसौटी ही मनुष्य की असली परीक्षा होती है।
इस प्रकार समय, जब भी हमें कसौटी पर कसता है तो हमें अन्तर्मन में झांकने और स्वयं पर मनन-चिन्तन करते हुए स्वयं के संघर्ष करने की क्षमता को परखने का अवसर प्राप्त होता है।
समयानुसार हमारे जीवन के उतार-चढ़ाव ही हमें कसौटी पर कसते हैं। यह व्यक्ति के स्वविवेक पर निर्भर है कि वह उतार-चढ़ाव रूपी इन चुनौतियों का सामना सकारात्मक रूप से करते हुए उस कसौटी पर खरा उतरकर स्वर्ण बन सके।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
समय की कसौटी ज्यादातर विपत्ति मेंऑकी जाती है, या यूं कह लें विपत्ति पर खरा उतरने को ही समय की कसौटी कहा जा सकता है, वक्त पर काम आना या ना आना समय की परख कहलाता है।
युद्ध मे़ जब सैनिक किसी घायल सैनिक को दुश्मन की गिरफ्त से अपनी जान को खतरे में डाल कर अपने साथ लाकर उसे बचाने की कोशिश करता है, वो सही समय की कसौटी के लिए आंका जाता है।
पर हर दफा कसौटी पर खरा नहीं उतरा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है, कि हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते है्, कोई किसी के कितना करीब है यह सब समय की कसौटी तय करती है, कहने में तो दुनियाबर के दोस्त होते हैं लेकिन समय की कसौटी बताती है कौन कितना करीब है।
यह सच है,
"दिखावा सभी करते हैं वो हम नहीं दिखाएंगे, रिश्ते की कसौटी पर खरा उतरकर दिखाएंगे, जब भी मन करे दोस्त इम्तेहां ले लेना मेरा, क़भी भी तुम्हें गम का चेहरा नहीं दिखाएंगे"।
कोई किसी के कितने करीब है वा कितना मददगार हो सकता है यह सब समय की कसौटी पर ही पता चलता है।
लेकिन इन्सान होने की खातिर जितना हो सके इन्सान को विपत्ति के बक्त इन्सान तो क्या हैबान के भी काम आना चाहिए क्या पता समय कब करबट बदल ले, अगर आज हम किसी की मुसीवत में भागीदार वने हैं क्या पता कल हम पर कोई विपत्ति आ टपके और हमारा वोही सहारा वने जिसकी कल हमने मदद की थी।
किसी की भी विपत्ति में मदद कर के देखना वो हमेशा याद रखेगा और किसी न किसी रूप में वो भी मदद करेगा।
सच है,
"कसौटी है दर्द की हम खरे ही उतरे्गे, ये को़ई जलसा नहीं की दूर से ही गुजरेंगे, दुरियों की दलीलें हैं देर तक ठहरेंगे, आज हम उनको समझे हैं कल वो हमें समझेमगे"।
हर इन्सान को विपत्ति के समय एक दुसरे का सहारा वनना चाहिए यही एक अच्छे मानब का धर्म है, भलाई कर भला होगा बुरााई कर बूरा होगा, कोई देखे या ना देखे खुदा तो देखता ही होगा।
क्योंकी समय की कसौटी पर सभी परखे जाऐंगे।
इसलिए हंसते हंसते दीन दुखीया की मदद करनी चाहिए, चाहे किसी प्रकार का भी रिस्ता हो या ना हो लेकिन इन्सानियत का रिस्ता समज कर हर अवला की मदद करो,
क्योंकी हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं।
ठीक कहा है,
सख्त जानलेवा है सादगी मोहब्त की, जहर की कसौटी पर जिंदगी को कसती है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू -जम्मू कश्मीर
निस्संदेह हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं । कालचक्र बदलता रहता है, उसी के अनुसार परिस्थितियां बदलती रहती हैं। मनुष्य को उसी के अनुसार अपना निर्धारण करके चलना पड़ता है। तात्कालिक परिस्थितियों से समन्वय बिठाते हुए अपने आप को सही ढंग से कार्यान्वित करके उद्देश्य प्राप्ति में सफलता प्राप्त करना ही समय की कसौटी पर खरे उतरना होता है। समय हमारे धैर्य और सहनशीलता की परीक्षा लेता है और वही निर्णायक भी होता है। वही समय की कसौटी पर कसा जाना कहलाता है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
कटु सत्य है कि हम सब किसी न किसी कारणवश समय की कसौटी पर कसे जाते हैं। कड़वा सच तो यह भी है कि ईश्वर भी धरा पर अवतरित हुए तो वह भी समय की कसौटी पर कसे गए। भले ही वह त्रेता युग के श्रीरामचन्द्र जी हों या द्वापर युग के श्रीकृष्ण जी हों। ऐसे में हम सब किस खेत की मूली हैं कि समय की कसौटी से बच सकें?
असल में कसौटी ही वह चमत्कार है जो आत्मा को परमात्मा का रूप देता है। जैसे यदि राजकुमार रामचंद्र जी पिता के वचनों का पालन करने के लिए 14 वर्षों के बनवास की कसौटी को चुनौती न देते तो कभी मर्यादा पुरुषोत्तम राम न कहलाते। क्योंकि विपत्तियों में न घबराना और डट कर उनका सामना करना ही मानव को महान बना देता है।
इसी प्रकार मित्रता की पहचान भी समय की कसौटी से ही नापी जाती है। अपनी आत्मा और आत्मनिर्भरता की शक्ति को भी प्रतिकूल परिस्थितियों में ही आंका जाता है। समय की कसौटी के फलस्वरूप डाकु से संत बने महाऋषि बाल्मीकि जी को कौन नहीं जानता?
उल्लेखनीय है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र जी को भी समय की कसौटी ने ही चांडाल बनाया और अमर कर दिया।
अतः समय की कसौटी से डरकर ना भागें बल्कि उसका साहसपूर्ण सामना करें। क्योंकि समय की कसौटी भले ही कष्टदायक एवं अभिशप्त होती है। परंतु ध्यान रहे महानता की सीढ़ी भी समय की कसौटी ही बनती है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन में ऐसे अनेक अवसर आते हैं जब हम समय की कसौटी पर कसे जाते हैं। समय की कसौटी पर वही खरा उतरता है जो समय के साथ चला हो। जिसने समय का तिरस्कार किया हो वह समय की कसौटी पर कैसे खरा उतर सकता है। अक्सर हम सोचते हैं कि अगर हमने समय रहते हुए यह काम कर लिया होता तो उसका परिणाम अलग ही होता। लापरवाही, बेपरवाही, समय की अवमानना, आज का काम कल पर टालने की आदत, ये ऐसी आदतें हैं जो हमें समय की कसौटी पर फेल कर देती हैं। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होयेगी, बहुरि करेगा कब। कबीर दास जी समय की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो, कुछ ही समय में जीवन पूरा हो जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे। महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद सम्राट युधिष्ठिर ने घोषणा करवा रखी थी कि अगर किसी नागरिक को कोई कष्ट है तो वो उनसे मिलने आ सकते हैं। एक बार एक व्यक्ति अपनी समस्या निदान के लिए सम्राट युधिष्ठिर से मिलने आया। शाम हो चुकी थी और राजसभा का कार्य समाप्त हो गया था। लेकिन फिर भी युधिष्ठिर ने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और पूछा कि उसे क्या समस्या है। उस व्यक्ति ने उन्हें अपने समस्या बताई और उनसे समाधान की प्रार्थना की। तब युधिष्ठिर ने समय को देखते हुए उससे कल आने को कहा। राजा की आज्ञा को पाकर वो व्यक्ति वापस जाने लगा कि तभी भीम हँसने लगे। सभी आश्चर्यचकित रह गए। युधिष्ठिर जानते थे कि भीम कभी भी उनका अपमान नहीं कर सकते इसी कारण उनकी हँसी के पीछे अवश्य कोई कारण होगा। उन्होंने उस व्यक्ति को जाने से रोका और भीम से पूछा - हे अनुज! तुम्हे धर्म और राजनीति के मर्म का ज्ञान है। इसीलिए तुम्हारा इस प्रकार असमय हँसना मुझे आश्चर्य में डाल रहा है। अवश्य ही इसके पीछे कोई कारण है। इसीलिए ये बताओ कि तुम इस प्रकार क्यों हँसे? भीम ने हाथ जोड़ कर कहा - हे महाराज! मैं आज तक आपको एक मनुष्य ही समझता था किन्तु आप तो ईश्वर निकले। मैं इसीलिए हँस रहा था कि मैं इतने वर्ष आपके साथ रहा पर अब तक आपको पहचान नहीं पाया। भीम का ये जवाब सुनकर युधिष्ठिर और आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने उनसे पूछा कि वे ऐसा क्यों समझते हैं कि वे ईश्वर हैं। तब भीम ने निर्भीक होकर एक कटु सत्य कहा - हे महाराज! आज आपने इस याचक को यह कह कर लौटा दिया कि कल आना। किसी को ये ज्ञान नहीं हो सकता कि आने वाले समय में क्या हो सकता है। आपको ये पता है कि आप और हम कल तक जीवित रहेंगे। भविष्य का ऐसा ज्ञान तो केवल ईश्वर के लिए ही संभव है। किसी मनुष्य के पास ऐसा विश्वास नहीं हो सकता। यह सुनकर सभी अवाक् रह गए। युधिष्ठिर को भी अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने उसी समय उस याचक की समस्या का निदान किया। ये प्रसंग भी समय की कसौटी पर कसे जाने जैसा था।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
जी हां, यह सच है कि हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं क्योंकि जब हम जन्म लेते हैं, उसी दिन से हमारा समय शुरू हो जाता है; जो मृत्युपर्यंत रहता है।
जीवन की अवस्थाएं बचपन, जवानी, बुढ़ापा तीनों समय की कसौटी पर कसे जाते हैं। भारतीय संस्कृति में एक मनुष्य को जीने का समय 100 वर्ष तक आंका गया है। इसी समय को 25 + 25+ 25 + 25 यानी ब्रह्मचर्य, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ और सन्यास के रूप में विभक्त किया गया है।
ब्रह्मचर्य अवस्था विद्या अध्ययन, अनुशासन एवं सफल नागरिक होने की आधारशिला है। फिर गृहस्थ आश्रम विवाह ,परिवार का भरण- पोषण, धन- उपार्जन के समय की कसौटी है। ऐसे ही वानप्रस्थ में पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के उपरांत प्रभु चिंतन में संयमित जीवन जीने का समय होता है। अंत में सन्यास यानि एकांत वासी, आश्रमवासी होकर मोह- माया से विरक्त होकर जप ध्यान से ईश्वर- प्राप्ति की ओर उन्मुख होना।
प्राचीन काल से लेकर आज तक इसी आधार पर सभी को इस समय की कसौटी पर अपने आप को कसना पड़ता था और अब भले ही युग बदल गया है। हर व्यक्ति अपनी तरह से जीवन जीना चाहता है। इन मानकों पर उनका कोई विश्वास भी नहीं है; फिर देख लीजिए, आज मनुष्य का जीवन कैसा हो गया है; हर क्षेत्र में। यह सब जानते हैं।
अतः हम सबको समय से कर्तव्य पालन पर अनुशासनात्मक रूप से बल देना चाहिए। जो कि ठीक रहता है। समय चूकने पर कार्य में सफलता संदिग्ध हो जाती है। समय की कसौटी पर खरा उतरने की सफलता का निदशॆन कबीरदास जी ने भी इन पंक्तियों में कितने सहज रूप से किया है---------
""काल्ह करे सो आज कर
आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी
बहुरि करेगो कब।।""
अर्थात जीवन के समस्त कार्य नियम से एवं समय की कसौटी को ध्यान में रखते हुए करना ही अति उत्तम है।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
समय परिवर्तन शील हैं, जिसने समय के सदगुणों को समझ लिया तो, उसे हर तरफ सफलता मिलती जाती हैं, जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम सार्थक होते चले जाते हैं। अनेकों महापुरुषों, प्रबुद्ध लोगों ने समय की महत्ता को समझा हैं। आज भी उनके लिखे ग्रंथों का अध्ययन कर शोध कार्य
किया हैं। कोरोना महामारी के दौरान हम सबने मिलकर समय की कसौटी का आचमन पीते हुए आगे बढ़ रहें हैं, जिसके कारण आज भी वृहद स्तर पर
संघर्ष जारी, यह स्थिति तत्काल प्रभाव से समाप्त होने वाली नहीं दिखाई दे रही हैं। पारसमणि के आगे सब फीके पड़ जाते। काले सोने को तपाना, अत्यंत कसौटी से कम नहीं हैं। पौधों को वृहद स्तर पर रोपित करना सरल हैं, किन्तु दीर्ध काल तक जीवित रखना समय की कसौटी पर कसे रखना अत्यंत कठिन प्रतीत होता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट -मध्यप्रदेश
समय ऐसा मापक है जो हर किसी को अपने मात्रक के अनुसार मापता है, बल्कि यह कहें कि हर व्यक्ति के अनुसार उसकी माप बताता है। यह आज से नहीं , बल्कि मानव के अस्तित्व के साथ ही चारित्रिक और कार्य की नाप-जोख समय करता आ रहा है।
शास्त्र में कहा गया है 'समय मत चूको' खास कर अच्छे कर्म करने में जरा भी देर दूसरों को अवसर देता है। यह कसौटी आदमी को सतर्कता और नेकी के रास्ते से भटकने पर रोकती है, अगर उसे ध्यान रहे तो....।
समय का पहिया तो आगे बढ़ता रहता है। कसौटी तो खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए है। अगर हम समय को सतर्कता से नहीं पकड़ कर चलेंगे तो हमारे द्वारा होने वाले कई अच्छे काम नहीं हो पाएंगे । यह तो बाजी है। जिंदगी समाप्त हो जाएगी और अफसोस साथ जाएगा।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
निश्चित ही | समय की कसौटी पर खरा उतरना ही जीवन है; गतिशीलता है; निरंतरता है; मंजिल की ओर बढ़ना है और अंततः मंजिल को पाना है|
समय की कसौटी है क्या? समय कैसा भी हो ? चुनौतियों का सामना करना, उन्हें स्वीकार करना ही वास्तविक कसौटी है|
कितने ही दुख हो बस मनुष्य हार न माने | और अपने रास्ते पर आगे बढ़ता ही जाए तो ही समझो कोई समय की कसौटी पर खरा उतरा |
सुख मिले तो भी अहंकार का भाव जागृत न हो | सुख आए तो समझना चाहिए कि यह सुख भी सदा के लिए उसके जीवन में नहीं आया है | अतः अपने इस सुख के कारण वह दूसरों को निम्न कोटि का न समझे | दुख आए तो विचलित न हो | दुख को स्वीकार कर आगे बढ़ने के लिए तत्पर होना ही दुख से मुक्त होना है | इस प्रकार वह दुख से विचलित न होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान दे | गरीब है तो गरीबी से जूझ कर सफलता प्राप्त करने का प्रयास करें| केवल गरीबी ही नहीं | बल्कि समाज में सभी प्रकार के वर्ग भेद हैं|
शोषक और शोषित, छोटा -बड़ा, अमीर और गरीब आदि|
जीवन तो एक प्रयोगशाला है | इसलिए जो व्यक्ति सही -,गलत, सच झूठ व अच्छे बुरे की पहचान करता हुआ अपने पथ पर अग्रसर होता है| वही समय की कसौटी का अर्थ समझ सकता है|
बस एक बात समझ लेने जैसी है कि यहां कुछ भी ठहरता नहीं| न सुख न दुःख | इन दो किनारों के बीच ही
समय की धारा बहती है | कभी सुख आता है तो कभी दुख | कभी सफलता कभी असफलता ; कभी आशा तो कभी निराशा |
अत:समाज के सभी भेदभावों से ऊपर उठकर जो व्यक्ति चिंतन करता है वही समय के साथ खड़ा हो सकता है और जो समय की धारा के साथ बह निकला वही इस कसौटी पर खरा उतर सकता है |
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
समय एक चक्र है जिस पर लोगों की कसौटी कसे जाते है।संवेदनाएं बदलती है और उभरती है समय अगर अनुकूल हो तो किस्मत रंग लाती है और प्रतिकूल में बहुत सारी समस्याओं को उत्पन्न करके हमारी भावनाओं को खंडित करती है। बहुत सारी तकलीफों को लाती है समय का चक्र घूमता है तो मानव की तकदीर बदली हुई नजर आती है। और एक भिखारी भी राजा बन जाता ,तथा एक राजा रंक बन जाता है ।वक्त को बांधकर रखा नहीं जाता है ।प्रतिदिन समय की कसौटी पर हम कसे जाते है।समय बदलता जाता है यह वक्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी के हिस्से में कोई भी खुशियां या गम नहीं आती है। जो वक्त है इस वक्त का हमें सदैव उपयोग करना है समय का सदुपयोग करके हमें अपने किसी भी कला साधनों को विकसित करके आगे बढ़ना है। समय का चक्र निरंतर चलता रहता है प्रकृति का नियम जैसे सूरज का निकलना अनिवार्य है और शाम को अस्त होना है उसी प्रकार की गति निरंतर चलती रहती है। यह निरंतर अपने समय चक्रों से चलती रहती हैं।समय बेहद निराला होता है परंतु इंसान इसे दामन में बांधकर रख नहीं सकते । समय किसी के लिए नहीं रुकता किसी के दामन को पकड़कर उसके साथ एक जैसा नहीं रह सकता सुख के बाद दुख के दिन आते हैं और दुख के बाद सुख बिल्कुल अभी जैसे विषम परिस्थितियों का समय है ।आज कोरोना जैसी महामारी ने हमारे संसार को जकड़ कर रखा है ।हमारी दुनिया इसकी कहर फैली हुई है इस समय धैर्य से संयम से काम लेने की आवश्यकता है यह समय बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है ।और समय को प्रतिरोध करते हुए बंसत फिर आएंगे, पतझड़ का समय बीत जाएगा । खुशियां हमारे जीवन में हमारे भारत में जरूर आएगा। समय निरंतर चलता रहता है और समय के साथ चलने की कोशिश होनी चाहिए ।हमें हमेशा अनुकूलता से समय को स्वीकार करते हुए इसके साथ कदम से कदम मिलाने हेतू प्रयासरत होना चाहिए।हम सब समय की कसौटियों पर चले तो जीवन की गतिविधियों को आराम सें आसानी से पार करते रहेगें।परंतु अगर समय पीछे छूट जाये तो लौटकर नही आता।निंरतर समय की परिपक्वता और परिपूर्णता को ध्यान मे रखने से ही जिंदगी की कसौटियों पर हम खरे उतर सकते है।समय अमूल्य निधि होता है।सदउपयोग ही मानव कल्याण का सूत्रधार होगा।और हम सब समय की कसौटी मे कसे जातें है।जब जो होना है होकर ही रहता विधिवत विधान जो लिखा है।समय चक्रव्यूह मे चलता है।हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते हैं।मेहनत और प्रार्थना समयानुसार करते रहना है।समयरेखा अपने समय परीक्षा केंद्र होती है।लाचार और विखंडन करनेवाले हवाओं का भी समावेश जीवन मे होता है।अतः हम सब समयानुसार कसौटी में कसे होते है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
हर मनुष्य के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उसे समय की कसौटी पर कसाना पड़ता है। ये अलग बात है कि उस कसौटी पर वो खरा उतरता है या खोटा।
प्रायः यह देखा गया है कि समय की कसौटी पर खरे उतरने वालों की संख्या कम ही होती है। जो समय की कसौटी पर खरा उतरता है वो उस क्षेत्र में महान बन जाता है।
समय सभी को अपने कसौटी पर कसता है।भले उसका रूप अलग-अलग होता है।समय कही भी अपनी कसौटी पर मनुष्य को कस सकता है या कसता है।चाहे आप दफ्तर में हो या घर में, व्यापार में या खेल में,राजनीति में हो या किसी दूसरे क्षेत्र में समय हर जगह अपनी कसौटी पर कसता है। जो समय की कसौटी पर कसा जाता है वो सोने की तरह चमकने लगता है।
अक्सरहाँ संकट के समय में ही समय अपनी कसौटी पर मनुष्य को कसना शुरू करता है और जिसने धैर्य और सूझबूझ से उस कसौटी का सामना करता है वह उस कसौटी पर खरा उतरता है।
शायद दुनिया में एक भी ऐसा आदमी नहीं होगा जिसके ऊपर कभी कोई संकट न आया हो।चाहे वो छोटा हो या बड़ा। सबके लिए उसका रूप रंग तरीका अलग-अलग होता है। तो जरूर उसे समय की कसौटी पर चढ़ना ही पड़ता है।
इसलिए हम ये बात पूर्ण रूप से कह सकते हैं कि हम सभी समय की कसौटी पर अवश्य कसे जाते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - प. बंगाल
समय पर हमें कसा तो जाता है कितनी बार जीवननमें समय की कसौटी पर हम कसे जाते है
समय बहुत ही बलवान होता है| अगर एक बार जो समय चला जाए तो फिर वो वापिस नहीं आता है| सबसे अच्छा सही समय अभी है क्योंकि कल कभी नहीं आता है| इसलिए जो करना है आज करें,
रहिम कहते
गया समय आता नही, करनी को कर आज।
मत कर सोच-विचार तू, करले अपने काज।
तभी तो समय को बडा बलवान कहा गया है , समय सबसे बलवान है , समय का जिसने सही इस्तेमाल किया समय की किमत पहचानी वह हमेशा सफल हुआ है !
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जी बिल्कुल हम सब समय की कसौटी पर कभी न कभी जरूर कसे जाते हैं। अर्थात अच्छे और बुरे दौर से हर किसी को कभी न कभी गुजरना तो जरूर पड़ता है।
समय में परिवर्तन को सहने उसे स्वीकार करने की क्षमता होती है। समय अच्छा हो या बुरा गुजर तो जाता है ।
यह भी नितान्त सत्य है कि समय नहीं बीतता, बीतते तो हम हैं ।
उसी तरह हमें भी परिवर्तन को सहना चाहिए ,,,,,स्वीकार करना चाहिए ,,,,।
समय की कसौटी पर तभी तो खरे उतरेंगे हम ।
हम सब जब समय के अनुरूप स्वयं को ढाल लेंगे तो जीवन को सार्थक कर सकेंगे ।
समय की कसौटी पर कस कर ही तो व्यक्ति महान बनता है।
जैसे कि सोने को पिघलाकर ,तपा कर ही तो कंचन का बन जाता है ।
जब की हम समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं तभी तो जीवन सफल होता है और तभी सार्थक होता है।
समय ने महाराणा प्रताप जैसे महायोद्धा को घास की रोटियां खिलाई,,,,, उसी समय ने सोने चांदी के महलों में रहने वाली राजकुमारियां सीता एवं द्रोपदी को वन वन भटक कर कुश काश की चटाई पर घास फूस की झोपड़ियों में सुलाया ,,,,,।
समय में राजा नल की भीषण परीक्षा ली ।भूख से बेहाल राजा नल की भूनी हुई मछलियां भी समय की कसौटी के कारण ही तालाब को रेंग गयीं ।
समय ने राजकुमारी देवकी को गर्भावस्था में बेहद प्यार करने वाले अपने ही भाई द्वारा बेगुनाह होते हुए भी कारागार नसीब कराया ,,,,,।
यह समय है इस की कसौटी पर हम सबको कभी न कभी गुजरना तो पड़ता ही है ,,,।
बुरे वक्त से गुजरना तो पड़ता ही है लेकिन जो ऐसे में भी अपने धर्म का पालन करते हैं ,,,अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते ,,,,,वही कंचन की भांति खरे उतरते हैं जीवन की यात्रा में,,,,।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
समय बडा बलवान है, मनुज नहीं बलवान l
काबे अर्जुन लूटिया, वही धनुष वही बाण ll
महाभारत युद्ध की समाप्ति पर मथुरा नगरी सुरक्षित लग रही थी लेकिन वरदान पाये हुए काल यमन ने आक्रमण कर दिया l वरदान के अनुसार काल यमन को कृष्ण और बलराम नहीं मार सकते थे l जब समय राम और कृष्ण को कसौटी पर कस सकता है तो हमारी औकात ही क्या है?
रहिमन चुप हो बैठिए देखि दिनन को फेर.......
जब वक़्त कमजोर हो, साथ न दे तो विवेकशील इंसान को चुप रहना चाहिए l सामान्य दिनचर्या में "सर्वशक्तिमान "के रूप में पेश किया जाता है l खुद ईश्वर भी समय के बंधन में बँधा हैl
समय नहीं गुजरता, हम गुजरते हैंl
हम समय के अधीन हैं, समय हमें कसौटी पर कसता है और हमारे भाग्य का नियंता होता है l जिंदगी की मुश्किलें ही हमें सुहागे की भाँति चमकाती है अर्थात मजबूत बनाती है l
सुर्ख -रूह होता है इंसा ठोकरें खाने के बाद l
रंग लाती है हिना पत्थर पर पिस जाने के बाद ll
हम ईश्वर सेयह प्रार्थना नहीं करें कि कोई कठिन समय नहीं आये अपितु यह प्रार्थना करें कि वह हमें हर कठिनाई से लड़ने की शक्ति दे l
समय द्वारा आप जब कसौटी पर कसे जाते हैं तो सकारात्मक होकर जीवन में सफल हो जाइये l
------चलते चलते
1. वक़्त को बर्बाद न करो क्योंकि जीवन इसी से बना है l--फ्रेंकलिन
2. काल करै सो आज कर, आज करे सो अब l
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ll --संत कबीर
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
समय बड़ा बलवान समय बड़े-बड़े राजा को रंक ,रंक को राजा बना देता है समय के साथ सारी सृष्टि चलती है
सभी को समय के साथ चलना पड़ता है समय किसी के लिए नहीं रुकता
इस संसार में समय ने बड़े-बड़े खेल रचाया है समय एक सा कभी रहता नहीं है परिवर्तनशील है आज आप बहुत ऊंचाई पर हैं अगले कुछ पल में समय क्या करवट लेगा यह भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है एक झटके में
धरातल पर उठा कर रख देता है ।
सभी इंसान समय के हाथों की कठपुतलियां समय जैसा हम सभी को चलाता है उसी के साथ हमें चलना पड़ता है अच्छा बुरा सुख-दुख हर स्थिति में समय के साथ चलते हुए जीवन में आगे बढ़ना पड़ता है
यही जीवन का मूलमंत्र है इसके साथ जीवन का तारतम्य बैठाकर निरंतर बढ़ते रहना जीवन के हर्ष विषाद
सभी अनुभूतियों का रसास्वादन करते हुए आत्मिक मनोबल दृढ़ इच्छाशक्ति
के साथ ही समय की कसौटी पर
हम सब समय-समय पर कसे जाते हैं।
समय किसी का मित्र नहीं
समय किसी का दुश्मन नहीं
समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना ही जिंदगी है ।
*मैं समय हूं समस्त मेरे अधीन*
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
जी हां हम सब समय की कसौटी पर कसे जाते हैं। चाहे वे राजा या रंक , अमीर गरीब हो । समय कोई भेदभाव नहीं करता है । समय सोने की तरह खरा, सुच्चा होता है । समय निरन्तर गतिशील है जैसे नदियाँ , सागर में ज्वार - भाटा। जिसने जैसे कर्म किये हैं उसे समय वक्त , वक्त पर अच्छे , बुरे परिणाम दे देता है ।समय ही हमसे सब कुछ करा लेता है । तभी कहा है समय बलवान है । बीता हुआ समय वापस नहीं आता है । समय वर्तमान से भविष्य जाता है । अतीत में वापस नहीं जा सकता है
त्रेता युग में नजर डालें तो प्रभु श्री राम का अयोध्या के राजा बनने के लिए राज्य तिलक होना था लेकिन समय ने उनके जीवन को ऐसी कसौटी में कसा कि उन्हें 14 साल का वनवास मिला ।
राजा हरिश्चंद्र की सत्यवादिता को कौन नहीं जानता है ।श्मशान में डॉम के रूप में अपनी रानी पत्नी से बेटे राहुल के लिए कफ़न का पैसा मांगा तो रानी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़ के दिया ।
कोरोना वायरस ने जीवन को ब्रेक लगा दिया है
समय की चाल है । समय से पहले इंसान कुछ भी नहीं कर सकता है । समय पर ही सब कुछ मिलता है ।
समय को देखने के लिए घड़ी बनी है । उसकी तीनों सुइयों से समय का पता लगता है । ये तीनों आगे की ओर बढ़ती हैं । ऐसे ही समय आगे की ओर बढ़ता जाता है ।
मानव को जो भी काम करना है कल पर न टाले ।अभी इसी पल कर ले । कल का किसी को पता नहीं है आएगा भी क्या या नहीं।
समय हमें परखता है । पेड़ो पर फल तभी लगते हैं जब उसका मौसम यानी समय होता है । हम सच्चा यौद्धा
समय हमारा गुरु है वह हमें पाठ पढ़ा के सुधार देता है और कभी हमें मिट्टी में मिला देता है । बिन कहे अतिथि की तरह मौत भी तो अपने समय पर ही तो आती है ।
। मानव सच्चा यौद्धा बन के साकारात्मक रूप में समय के साथ चले ।
समय कसौटी नर कसे , देता हमको सीख ।
करे कभी बर्बाद है , कभी सफल -सा दीख ।।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
" मेरी दृष्टि में " समय से ऊपर कुछ नहीं है। जो समय निकल गया। वह दुबारा नहीं आता है । इसलिए समय का सही उपयोग करना चाहिए । वरन् समय कभी माफ नहीं करता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान
समय की कसौटी पर कसे जाने से अभिप्राय तात्कालिक परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढाल कर सही ढंग से जीवन निर्वहन करना होता है। परिस्थितियां अच्छी भी हो सकती हैं खराब भी हो सकती है। उनमें समन्वय बिठाते हुए धैर्य और शांति के साथ सही मार्ग निर्धारण करना ही समय की कसौटी पर खरे उतरना होता है। कालचक्र चलता रहता है परिस्थितियां बदलती रहती है। इंसान को उससे तालमेल बैठाना ही पड़ता है चाहे वक्त कैसा भी हो।तभी जीवन संभव हो पाता है।
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