उमा मिश्रा " प्रीति " से साक्षात्कार

W/O : एस. के. मिश्रा
पद:  भूतपूर्व शिक्षिका/स्वतंत्र लेखन

विधा - 
दोहा, गीत ,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। 

भाषा ज्ञान - 
हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत
साहित्यिक सेवा हेतु भाषा - हिंदी 

शिक्षा -
M.A ( समाजशास्त्र) , 
B.Ed (हिंदी साहित्य सामाजिकअध्ययन) 

उपलब्धि : -
साहित्यिक समूहों में अनेक पुरस्कार।
लाइव काव्य पाठ व लाइव गोष्ठियों में सहभागिता।

पता -  
बिलहरी  , जबलपुर - मध्य प्रदेश

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उ० - लघुकथा का महत्वपूर्ण तत्व कथानक शिल्प और शैली है। यह लेखन की आत्मा है।

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उ0 - १.डॉ बलराम अग्रवाल २.डॉ अशोक भाटिया
३.आदरणीय कांता राय 4.आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी
5.आदरणीय सिद्दीकी जी 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उ0 - समीक्षा का मूल्यांकन के दो पक्ष हैं ।समीक्षा और आलोचना । समीक्षक को गिद्ध दृष्टि रखनी चाहिए। अपने विवेक से ,मन को शांत रखें जो सही निर्णय हो उसी को देना चाहिए।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उ0 - व्हाट्सएप , फेसबुक , टि्वटर , इंस्टाग्राम। बहुत सारे फेसबुक में ग्रुप भी है भारतीय लघुकथा विकास मंच/लघु कथा के परिंदे।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ0 - आज के साहित्य परिपेक्ष में लघु कथा की स्थिति बहुत ही सरल है क्योंकि लोग चलते फिरते अपने जीवन जीवन शैली में लघु कथा को पढ़ना और सुनना ही पसंद करते हैं।और लेखन के लिए भी लघुकथा बहुत ही अच्छा क्षेत्र है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ0 - वर्तमान परिवेश में लघुकथाएं पढ़कर मैं बहुत दुखी होती हूं क्योंकि लोग लघुकथा कैसे लिखनी चाहिए यह सही ढंग से सीखते ही नहीं है किसी गुरु से उन्हें अवश्य सीखना चाहिए। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ0 - मैं शहर में रहती हूं लेकिन मुझे प्रकृति और ग्रामीण परिवेश भी बहुत आकर्षित करता है, मुझे प्रेमचंद जी की लघुकथाएं बहुत पसंद थी और मैं छोटी-छोटी कहानियां लघुकथा लिखती थी । हमारे जबलपुर शहर में एक लघुकथा संगोष्ठी में मेरी मुलाकात कांता राय दीदी से हुई और कांता राय दीदी ने ही मुझे समझाया। कि मैं लघुकथा कैसे लिखूं, और लघुकथा की बारीकियां भी मुझे कांता राय दीदी ने बताई। मेरी गुरु कांता राय दीदी हैं। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उ0 -  लेखन में मेरे परिवार का बहुत योगदान है मेरे बच्चे और मेरे पति दोनों ही बहुत सहयोग करते हैं ।
वे लोग मेरी लघुकथाएं सुनते हैं और और मुझे सलाह भी देते हैं कि मुझे क्या लिखना चाहिए। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ0 - मेरे लेखन का सहयोग मेरी आजीविका में नहीं है। 
मैं अपने आत्म संतुष्टि के लिए करती हूं। लघुकथा लिखना मेरा शौक है। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उ0 - लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल है  क्योंकि हम लघुकथा के माध्यम से बहुत ही कम शब्दों में अपनी बात पहुंचा सकते हैं और लघुकथा बहुत ही शिक्षा देने का सशक्त माध्यम है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ0 - लघुकथा साहित्य से मैंने बहुत कुछ सीखा ।
लघुकथा के माध्यम से मेरे अंदर बहुत धैर्य आया और अपनी कथाएं लिखते लिखते  कथानक का ताना-बाना बुनते  मैंने जीवन के हर पहलू को महसूस किया।
समाज को देखने का मेरा दृष्टिकोण भी बदला और मुझे लोगों को शिक्षा देने का यह एक सशक्त माध्यम लगा। 

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