डॉ. उपमा शर्मा से साक्षात्कार

जन्म : 05 सितम्बर 1979 रामपुर - उत्तर प्रदेश
माता:श्रीमती सरोज शर्मा
पिता:श्री राम निवास शर्मा
शिक्षा : बी एस सी ,  बी.डी.एस
संप्रति :दंत चिकित्सक

लेखन की विधाएँ :  लघुकथा, कहानी, कविता, यात्रा वृतांत, हाइकु

विशेष : -
अनेक सांझा संकलनों में लघुकथाएं संकलित
अनेक लघुकथा की आडियो रिकार्डिंग

सम्मान : -

सत्य की मशाल द्वारा साहित्य शिरोमणि सम्मान
हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच , गुरुग्राम द्वारा लघुकथा मणि सम्मान
लघुकथा शोधकेंद्र भोपाल के दिल्ली अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
प्रतिलिपि सम्मान

संपर्क : बी-1/248, यमुना विहार, दिल्ली-110053

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? 

उत्तर – जिस तरह किसी भी रेसिपी को बनाने के लिए उसमें आवश्यक सभी इनग्रेडियेंटस जरूरी होते हैं लेकिन नमक के बिना रेसिपी बेस्वाद हो जाती है। वैसे ही लघुकथा के लिए कथातत्व होना अति अनिवार्य है। लघुता के साथ कथातत्व उपस्थित होना लघुकथा की अनिवार्यता है। 


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है 

उत्तर – समकालीन लघुकथा साहित्य में पाँच नामों का लेना मेरे लिए बहुत मुश्किल काम है। लघुकथा की मशाल को जलाये रखने में हमारे वरिष्ठ ने बहुत महत्वपूर्ण काम किया है़। सब अलग अलग ही सही । लेकिन लघुकथा के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं। बीजेन्द्र जैमिनी जी आप निरन्तर लघुकथाकारों को एकजगह एकजुट करने का काम कर रहे हैं। बलराम अग्रवाल , भगीरथ, सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ये सभी लघुकथा के लिए निरन्तर समर्पित हैं। 


प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर – समीक्षक का कर्तव्य है वह लघुकथा के भीतर तत्कालीन परिस्थितियों से सम्बन्धित घटनाओं की खोज करके उसकी व्याख्या करे और अगर लघुकथा में कोई समाधान भी दिखाई देता है तो उसका भी वर्णन करे।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर – लघुकथा साहित्य के इस सारस्वत यज्ञ में सब अपने अपने तरीके से आहुति डाल रहे हैं। फेसबुक पर लघुकथा के विभिन्न समूह, यू ट्यूब, ऑडियो - वीडियो ये सभी लघुकथा के लिए निरंतर कार्यरत हैं। 


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर – आज लघुकथा बहुतायत में लिखी जा रही है। सम्भवतः आकार में छोटी होने के कारण इसके लेखकों की संख्या में वृद्धि हो रही है।प्रयास होंगे तभी अच्छी रचनाएं भी निकलकर आयेंगी। 


प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर – आज लघुकथा हर जगह अपना परचम लहरा रही है लेकिन संतुष्ट होना अर्थात विकास का रुक जाना।


प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर – मेरे पापा इन्टरकॉलिज के प्रधानाचार्य रहे हैं। पढ़ाई को बेहद समर्पित। अपने विद्यार्थी काल में मैंने सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया है। मेरी कोई लेखकीय पृष्ठभूमि नहीं है। मेरी मम्मी बहुत अच्छी किस्सागो होने के साथ सुंदर भजन भी रच लेती हैं। मुझे लेखनी की यह विरासत वहीं से मिली है। मेरे भाई भी , तुकांत अतुकांत कविता लिखते हैं। सीखने को समुद्र भर है। अभी उसकी एक बूंद भर भी नहीं सीख पाई हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर – बिना पारिवारिक सहयोग लेखन सम्भव ही नहीं।सहयोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों रुप में हो सकता है। मैं और मेरे पति दोनों दंत चिकित्सक हैं।मेरी दो छोटी बेटियाँ हैं।मुझे लिखने के लिए समय देना, लेखन कार्य के लिए कहीं आने जाने पर घर पर रुककर बच्चों पर ध्यान देना, छोटे बच्चों का मम्मी के बिना घर पर अकेले रुक जाना, इन सब सहयोग के बिना मेरी लेखन यात्रा असंभव थी। मैं प्रभु की शुक्रगुज़ार हूँ मुझे इतना प्यारा, सहयोगी परिवार दिया। 


प्रश्न न. 9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर –मैं दंतचिकित्सक हूँ। लेखन मेरा पैशन है। मेरे विचार से लेखन को आजीविका बनाने के लिए दायरे में बाँधना होगा। दायरे में बंध कर मेरी लेखनी उन्मुक्त नहीं रह सकती। 


प्रश्न न.10 -  आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर – लघुकथा के लिए हमारे वरिष्ठों ने बहुत मेहनत की है।हमारे साथी भी इसके लिए पूरे मन से समर्पित हो काम कर रहे हैं।किसी विधा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं पर होती है और सौभाग्य से आज की पीढ़ी लघुकथा के लिए समर्पित है। लघुकथा का भविष्य उज्जवल ही नहीं बहुत उज्जवल है। 


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर – साहित्य सदैव कुछ न कुछ सिखाता है।लेखन अनुभव का निचोड़ होता है।मैंने भी लघुकथाएं पढ़ कर बहुत कुछ सीखा है और निरन्तर सीख रही हूँ।

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