सुनीता रानी राठौर से साक्षात्कार

जन्म तिथि : 18 मई 1971
जन्म स्थान :पटना - बिहार
माता : स्वर्गीय शकुंतला वर्मा
पिता : श्री अर्जुन कुमार वर्मा

शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा- दर्शनशास्त्र ,पटना विश्वविद्यालय
   स्नातकोत्तर हिन्दी , पूना विश्वविद्यालय,  N.T.T    B.Ed
व्यवसाय : (सेवानिवृत्त अध्यापिका)

रूचि : साहित्य लेखन, अध्ययन, अध्यापन, सिलाई प्रशिक्षण व समस्त गृह कार्य

विधा : कविता, कहानी, लघुकथा , संस्मरण, संवाद लेखन, निबंध,समसामयिक विचार आदि

संस्थाओ से सम्पर्क : -
   - साहित्य संगम संस्थान समस्त इकाई,
   - जैमिनी अकादमी (कविता, लघुकथा, समसामयिक विचार)
  - नवकृति काव्य मंच,
  - साहित्य रचना,
  - साहित्य आजकल,
  - साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर मध्य प्रदेश
        
सम्मान : -
-  गुरु रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान,
- उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान,
-   तिरंगा सम्मान,
- शिक्षक उत्थान रत्न सम्मान,
- आजाद-ए- हिंद सम्मान,
-  गोस्वामी तुलसीदास सम्मान,
-  कवि रत्न सम्मान,
- काव्य गौरव सम्मान,
- शहीद भगत सिंह सम्मान,
- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन सम्मान इत्यादि

विशेष : -
- काव्य संग्रह दिल से  -फेसबुक पेज, ब्लॉग
- पटना आकाशवाणी केंद्र से विविध कार्यक्रम की प्रस्तुति (सन्1985-88तक)
- एयर फोर्स स्टेशन के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विविध कार्यक्रमों में सहभागिता

पता : छपरौला ,गौतम बुद्ध नगर - 201009 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व : - कथ्य और उद्देश्य की स्पष्टता का होना अनिवार्य है। साथ ही साथ सटीक शीर्षक और भाषा का सरल सुगम्य होना भी अति आवश्यक है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर -  हरिशंकर परसाई जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, डॉ० रानू मुखर्जी जी, चित्रा मुद्गल जी, पृथ्वीराज अरोड़ा जी।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा के समीक्षा में गुणवत्ता, निष्पक्षता और तटस्थता का मापदंड जरूरी है। साथ ही विषय वस्तु से संबंधित शीर्षक की उपयुक्तता, संदेशप्रद होना, लघुकथा समाज के लिए हितकारी होना । समीक्षक को इन विंदुओं पर ध्यान रखने की जरूरत है। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - फेसबुक पेज, फेसबुक पर चलाए जा रहे अनेकों साहित्यिक पटल जैसे : - प्रसिद्ध पटल जैमिनी अकादमी ,  भारतीय लघुकथा विकास मंच, साहित्य संगम संस्थान की 20 इकाइयां, ब्लॉग, व्हाट्सएप, यूट्यूब, ई - पत्रिका, ई - पुस्तक, ऑनलाइन लाइव वाचन आदि वर्तमान में बहुत ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति सभी विधाओं में अच्छी और मजबूत दिखती है। सरल सुगम्य, बोधगम्य भाषा में संक्षिप्त रूप से अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में यह कारगर साबित हो रहा है और पाठक गण की पसंदीदा विधा भी बन गयी है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल। समय के साथ - साथ और भी उत्तम बन सके तो साहित्य जगत के लिए और भी अहोभाग्य।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं ग्रामीण परिवेश के शिक्षित, सम्पन्न परिवार से आई हूं। हमारे घर में ही गांव का पुस्तकालय खुला होने के कारण हमें बचपन से ही तरह-तरह के पुस्तकों को पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ। ग्रामीण परिवेश में हर तरह की सामाजिक समस्याओं से रूबरू होते हुए जो मैंने महसूस किया । उसे अपनी लघुकथाओं के द्वारा उजागर कर सामाजिक स्थिति का यथार्थ चित्रण कर जन-जन को मार्गदर्शित करने का प्रयास किया।अध्यापन कार्य के दौरान भी विद्यार्थियों के हृदय में लेखन कार्य के प्रति रुचि जगायी।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - हमारे लेखन कार्य में हमारे परिवार की अहम भूमिका रही है। किशोरावस्था में मां-पिताजी भाइयों के द्वारा और वैवाहिक जीवन में पति और बच्चों के द्वारा  हर कदम पर प्रोत्साहन मिला। हौसला अफजाई के कारण ही मैं निरंतर लेखन कार्य में आगे बढ़ते रही।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे पतिदेव उच्च पद से सेवानिवृत्त हैं। मैं भी कुछ वर्षों तक अध्यापिका पद पर कार्यरत रही हूं। लेखन कार्य से वर्तमान में कोई आमदनी नहीं है। समाचार पत्र वाले और कुछ ई पत्रिका के संपादकगण भी लेखकों से ही पैसा लेते हैं । यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेखन कार्य में रूचि होने के कारण आत्मसंतुष्टि हेतु समर्पित भाव से मैं अपने बहुमूल्य समय का योगदान देते हुए साहित्यिक रचनाओं के द्वारा समाज को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हूं।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - हमारी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्जवल व प्रकाशमान है क्योंकि वर्तमान में पाठकगण लघुकथा पढ़ना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। लघुकथायें गागर में सागर भरने का कार्य करती है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य के माध्यम से आत्मविश्वास में प्रगाढ़ता आई। कम शब्दों में अपने मन के संदेश को दूसरों तक पहुंचाने में सक्षम हुई। कहानी बड़ी होने के कारण पाठकगण कम पढ़ते थे जबकि लघुकथा संक्षिप्त होने के कारण रुचि लेकर पढ़ते हैं। मेरी रचना ज्यादा से ज्यादा पाठक पढ सकें । इससे आत्मसंतुष्टि मिलती है और कुछ कर गुजरने की लालसा मन मे जगती है। जय हिन्द! जय हिन्दी ! जय लघुकथा साहित्य !

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