नूतन गर्ग से साक्षात्कार


पति का नाम : श्री मुदित गर्ग
पिता का नाम : श्री विधासागर
माता का नाम : श्रीमती कौशल रानी
शिक्षा : एम० ए० (अर्थशास्त्र), ‌बी एड०

विधा : -
लघुकथा, कविता, गीत, मुक्तक, दोहा, हाइकु, कहानी, संस्मरण आदि ज्यादातर सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है।

व्यवसाय: -
अध्यापिका, लेखिका कम गृहणी,  महिला काव्य मंच दिल्ली की कार्यकारिणी सदस्या, समाज सेवा में संलग्न।

सांझा संकलन : -
जागो अभया, काव्यस्पंदन, समाज ज्योति, अविरल प्रवाह, समय की दस्तक, भाषा सहोदरी, आरूषि, साहित्य अर्पण, प्राज्ञ साहित्य, कोरोना काल में साहित्य आदि।

सम्मान: -
'हिंदी योद्धा' सम्मान  2020, उत्तराखंड में प्राज्ञ साहित्य सम्मान,  जय विजय पत्रिका द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ लघुकथाकार 2019' ,लघुकथा श्री, भाषा सहोदरी, 'हिन्दी साहित्य कर्नल' स्टोरी मिरर, गुरु वशिष्ठ सम्मान, जागो अभया सम्मान, नदी चैतन्य हिंद गौरव सम्मान, गीत गौरव सम्मान, मां वीणापाणि साहित्य सम्मान - 2020 ,स्वामी विवेकानन्द साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ श्रोता सम्मान, देश में जल बचाने हेतु जागरूकता सम्मान, पृकति प्रहरी सम्मान, काव्य भूषण सम्मान, जैमिनी अकादमी हरियाणा द्वारा स्वामी विवेकानंद सम्मान 2021, भारत गौरव सम्मान 2021, टेकचंद गुलाटी स्मृति सम्मान, उत्तम चंद स्मृति सम्मान ,हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा भिन्न-भिन्न सम्मानों से नवाजा गया है। आदि अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।

पता : -                                  
ई-708, नरवाना अपार्टमेंट, 89 आई०पी०एक्सटैंशन,
दिल्ली -110092

प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उत्तर -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व संदेश होता है जो कथा में छिपा होता है। वस्तु और चरित्र उसी पर केंद्रित रहते हैं।


प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ? जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?

उत्तर -  आ० कांता राय जी, आ० अशोक जैन जी, आ० योगराज प्रभाकर जी, आ० उमाकांत भारती जी‌ आदि‌ ऐसे कई लघुकथाकार हैं जो समकालीन लघुकथा साहित्य में अपने कार्यो द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मेरी नज़र में आ० बीजेन्द्र जैमिनी जी की है, जिनके अथक प्रयासों के कारण लघुकथाओं को एक जगह संकलित किया जा रहा है और हम जैसे छोटे लघुकथाकारों को भी अपनी बात कहने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।


प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर -  लघुकथा की समीक्षा हेतु कथा, वस्तु, नायक, शैली और संप्रेषण आदि मापदंड प्रयुक्त किए जाते हैं। समीक्षक को लेखक के नाम पर नहीं बल्कि उसकी लिखी लघुकथा पर समीक्षा करने की जरूरत है। जो आलोचना का प्रारूप भी धारण कर सकती है। तभी सही मापदंड उजागर हो सकता है।


प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  शोशल मीडिया ने लघुकथा साहित्य को एक नई पहचान दिलाई है। यहां अनेक ऐसे प्लेटफार्म हैं जहां लेखक लघुकथा लिखकर पोस्ट करता है और वह तुरंत पाठकों की प्रतिक्रियाओं से रूबरू होने लगता है। फेसबुक, वाट्स‌अप, ई-बुक, ब्लॉग , यू ट्यूब, इंस्टाग्राम, साईट्स आदि अनेक प्लेटफार्म हैं।


प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर -  साहित्य ने आज़ अपनी चरम सीमा को प्राप्त कर लिया है। हिन्दी के बढ़ते प्रभाव के कारण यह संभव हो पाया है। भागमभाग वाली जिंदगी में लघुकथाएं पढ़कर सभी अपने जीवन में परिवर्तन को महसूस कर पा रहे हैं। इसलिए मेरे नज़रिए से साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतर समझी जा सकती है। 


प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर - तो मैं कहना चाहूंगी कि अभी हमें और इस पर गहराई से काम करना होगा। आज़ जहां देखो वहां लघुकथाकार आपको दिखाई दे जाएंगे क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से क‌ई प्लेटफार्म आज़ प्रचलन में हैं। सभी अपने मन की बात कहने को आतुर हैं।


प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक पढ़े-लिखे परिवार से हूं। जहां सभी बहन-भाइयों की पढ़ाई पर जोर रहता था। पापा जीवन बीमा में थे, तो बच्चों को भी उन्होंने समय-समय पर मार्गदर्शन दिया। आर्य समाजी होने के कारण सात्विक विचार व समाज सेवा करना भी पापा-मम्मी से प्राप्त हुए। मुझे नहीं पता कि मैं किस प्रकार की मार्गदर्शक बन पाई हूं, परन्तु इतना ज़रूर कहूंगी कि किसी भी प्राणी, बुजुर्गों को सताओ नहीं बल्कि उनकी सेवा करो क्योंकि पता नहीं कब किसी की दुआ आपके काम आ जाए। 


प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है? 

उत्तर - मेरा परिवार ही मेरी दुनिया है। मेरे परिवार ने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया है। लेखन‌ की शुरुआत में उन्हीं को सुनाती थी। जिससे मुझे अपनी कमियों को पूरा करने में मदद मिलती। शादी के पच्चीस साल बाद अपनी लेखनी को उठाया और अपने परिवार की सहायता से आज़ भी लिखने में सक्षम महसूस कर पा रही हूं। मेरे बच्चे मुझे रूकने ही नहीं देते।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उत्तर - मेरी आजीविका में लेखन की कोई भूमिका नहीं है। मेरा लेखन करने का एक ही औचित्य है कि सभी को सकारात्मकता प्रदान कर सकूं और कोई किसी को कभी भूल से कष्ट दे भी दे तो शायद मेरे लेख पढ़कर अपने आप को बदल सके। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया की सोच में परिवर्तन लाना चाहती हूं। मैं तब तक लिखती रहूंगी जब तक बदलाव को महसूस न कर लूं।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा? 

उत्तर - मुझे लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई पड़ रहा है। जिस प्रकार इस पर काम हो रहा है उसके अनुसार तो लघुकथाएं ही सबसे ऊंचा पायदान प्राप्त कर पाएंगी। आज़ बच्चों के पास समय का अभाव है तो जो शिक्षा हम कम शब्दों में उनको परोसकर दे रहे हैं वह उनका भविष्य सुधारने में मदद जरूर करेगा और लघुकथा पढ़ने में छोटी जरूर है परन्तु सीधे मस्तिष्क पर वार करती है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उत्तर - लघुकथा साहित्य से मैंने उड़ान भरनी सीखी है। अपने आप को आत्मसात करना सीखा है। कुछ परिवर्तन जो जिंदगी में नहीं ला पा रही थी । वे भी कर पाई हूं। मेरा मानना है...

'लघुकथा देखन में छोटी लागे, 

पर मस्तिष्क पर घाव करे गंभीर।'


Comments

  1. बधाई हो सुन्दर साक्षात्कार

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    1. हार्दिक आभार जी🙏🌹

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