रश्मि सिंह से साक्षात्कार
जन्म तिथि : 28.जुलाई 1972
जन्म स्थली,शिक्षा दीक्षा,मायका ससुराल राँची
पति का नाम:श्री रामजी
पिता : दिवंगत सुरेंद्र प्रसाद सिंह
माता : अरुणलता
पति की कार्यस्थली -एच.ई.सी. राँची
शिक्षा: राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक
रुचि : हिंदी साहित्य में बचपन से रुचि रही। सामाजिक विसंगतियों पर छंदमुक्त कविताएँ ,लघुकथा और कहानियाँ का लेखन
पुस्तकें :-
कल आज और कल (काव्य संग्रह)
पंख अरमानों के (कथा संग्रह)
सम्मान: -
साहित्योदय शक्ति सम्मान,
साहित्योदय श्रमवीर सम्मान,
लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
शेयर योर ह्यूमैनिटी अंतरराष्ट्रीय पटल द्वारा काव्यपाठ हेतु विशेष सम्मान
विशेष : -
- कुछ एक सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी संलग्न हूँ आंशिक रूप से
- दो साझा काव्यसंग्रह और एक साझा कथासंग्रह में रचनाएँ प्रकाशित।
पता: एफ -2, सेक्टर-3 , एचईसी कॉलोनी, पो.धुर्वा, जिला: राँची , झारखंड - 834004
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है उसका कथ्य,शीर्षक और अंत ,जो सवालों के घेरे में छोड़ जाए पाठक को।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - पाँच नाम लूं तो सर्वप्रथम बीजेन्द्र जैमिनी जी, जिन्होंने लघुकथा समंदर में गोते लगाने का अवसर दिया ,फिर आदरणीया अनिता रश्मि जी,जिनकी कथाएँ, छोटा नागपुरी संस्कृति से लबरेज होती हैं। फिर आदरणीया चित्रा मुद्गलजी, आदरणीय सुकेश साहनी , कांता राय जैसे उत्कृष्ट लघुकथाकारों का नाम लुंगी।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - सर्वप्रथम कथानक,उसका संदेश, उसके पात्र और कसाव के आधार पर समीक्षा निरपेक्ष भाव से होनी चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - जाहिर है व्हाट्सएप समूह और फेसबुक सशक्त प्लेटफार्म हैं, ब्लॉग,ई बुक ,किंडल जैसे माध्यम से अधिकाधिक पाठकों तक अपनी रचनाएं पहुँचाई जा सकती हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं स्वयं इस विधा में कुछ ही समय से जुड़ी हूँ पर इसकी लोकप्रियता अपार है और साहित्यिक क्षेत्र में इसने अति महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित कर लिया है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिलकुल,लेखक पाठक दोनों में साहित्यिक समझ बढ़ी है इसे लेकर । व्यस्ततम दिनचर्या की वजह से लोग लंबी कहानियों की जगह इसे तरजीह दे रहे हैं ,क्योंकि कम शब्दों में गहरी छाप एक उत्कृष्ट लघुकथा छोड़ जाती है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि साहित्यिक नहीं रही है , हालांकि पिता और बड़े भाई को पढ़ने का बेहद शौक था जो मुझमें भी आ गया,पर लेखन की कोई पृष्ठभूमि नहीं रही।विवाह के बाद आदरणीय श्वसुर जी के रूप में एक उत्कृष्ट साहित्यकार से परिचय हुआ। हालांकि मेरा लेखकीय सफर उनके गुजर जाने के बाद शुरू हुआ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - बेहद महत्वपूर्ण, पारिवारिक सहयोग किसी भी क्षेत्र में सफलता का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है। मुझे सदैव लेखन,प्रकाशन ,आदि कार्य में अपने परिवार का पूरा सहयोग रहा है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - फिलहाल तो नगण्य। प्रकाशित पुस्तकों की रॉयल्टी के अलावा अन्य कोई आर्थिक लाभ नहीं। फिलहाल अपनी संवेनाएँ व्यक्त कर , एक छोटी सी ही सही पर अपनी पहचान बनाकर संतुष्ट हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरे ख्याल से बेहद उज्जवल है इसका भविष्य , लघुकथा लेखन में और लघुकथा पढ़ने में लोगों की अभिरुचि बढ़ी है। उत्कृष्ट संकलन प्रकाशित हो रहे हैं।भारतीय लघुकथा विकास मंच जैसे मंच भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - सबसे बड़ी चीज जो मिली वो है आत्मसंतुष्टि। मुख्यता छंदमुक्त कविताएँ ही लिखती रही हूं, सामाजिक विसंगतियों पर,एक कथा संग्रह भी प्रकाशित हुई है पर लघुकथा के माध्यम से अपनी बेचैनी, कुंठा बेहतर तरीके से निकाल कर खुश हो लेती हूँ। फिर पाठकों की प्रशंसा प्रोत्साहित करती है।
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