सतीश राठी से साक्षात्कार
सम्पादन:क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी 'क्षितिज' का वर्ष 1983 से निरंतर संपादन । इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए 'सरोकार' एवं 'लकीर' पत्रिका का संपादन।
प्रकाशन:
पुस्तकें शब्द साक्षी हैं (निजी लघुकथा संग्रह),
पिघलती आंखों का सच (निजी कविता संग्रह )
कोहरे में गांव (गजल संग्रह) शीघ्र प्रकाश्य।
संपादित पुस्तकें -
तीसरा क्षितिज(लघुकथा संकलन),
मनोबल(लघुकथा संकलन),
जरिए नजरिए (मध्य प्रदेश के व्यंग्य लेखन का प्रतिनिधि संकलन),
साथ चलते हुए(लघुकथा संकलन उज्जैन से प्रकाशित),
सार्थक लघुकथाएँ( लघुकथा की सार्थकता का समालोचनात्मक विवेचन),
शिखर पर बैठकर (इंदौर के 10 लघुकथाकारों की 110 लघुकथाएं संकलित)
कोरोना काल की लघुकथाओं पर एक संपादित पुस्तक का प्रकाशन।
साझा संकलन-
समक्ष (मध्य प्रदेश के पांच लघुकथाकारों की 100 लघुकथाओं का साझा संकलन)
कृति आकृति(लघुकथाओं का साझा संकलन, रेखांकनों सहित),
क्षिप्रा से गंगा तक(बांग्ला भाषा में अनुदित साझा संकलन),
शिखर पर बैठ कर (दस लघुकथाकारों का साझा संकलन)
अनुवाद:
निबंधों का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला भाषा में अनुवाद ।
लघुकथाएं मराठी, कन्नड़ ,पंजाबी,नेपाली, गुजराती,बांग्ला भाषा में अनुवादित । बांग्ला भाषा का साझा लघुकथा संकलन 'शिप्रा से गंगा तक वर्ष 2018 में प्रकाशित।
विशेष:
लघुकथाएं दो पुस्तकों में,( छोटी बड़ी कथाएं एवं लघुकथा लहरी ) मेंगलुर विश्वविद्यालय कर्नाटक के बी ए प्रथम वर्ष और बी बी ए के पाठ्यक्रम में शामिल।
लघुकथाएं विश्व लघुकथा कोश, हिंदी लघुकथा कोश, मानक लघुकथा कोश, एवं पड़ाव और पड़ताल के विशिष्ट खंड(11) में शामिल।
शोध:
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एम फिल में मेरे लघुकथा लेखन पर शोध प्रबंध प्रस्तुत । कुछ पी एच डी के शोध प्रबंध में विशेष रूप से शामिल ।
पुरस्कार सम्मान:
साहित्य कलश, इंदौर के द्वारा लघुकथा संग्रह' शब्द साक्षी हैं' पर राज्यस्तरीय ईश्वर पार्वती स्मृति सम्मान वर्ष 2006 में प्राप्त।
लघुकथा साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मां शरबती देवी स्मृति सम्मान 2012 मिन्नी पत्रिका एवं पंजाबी साहित्य अकादमी से बनीखेत में वर्ष 2012 में प्राप्त ।
सरल काव्यांजलि साहित्य संस्था,उज्जैन से वर्ष 2020 में सारस्वत सम्मान से सम्मानित।
सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होकर इंदौर शहर में निवास, और लघुकथा विधा के लिए सतत कार्यरत।
पता : -
सतीश राठी
त्रिपुर ,आर- 451, महालक्ष्मी नगर,
इंदौर 452010 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कथानक होता है। बिना कथानक के कोई भी लघुकथा, लघुकथा के स्वरूप में स्थापित नहीं हो सकती है। वैसे भाषा शिल्प पंच का अपना महत्व होता है लेकिन कथानक सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - श्री रामकुमार घोटड़ ,श्री संतोष सुपेकर,श्री सुकेश साहनी ,श्री मधुदीप गुप्ता , श्रीमती कांता राय।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा उसकी भाषा, उसका कथानक, प्रयुक्त किया गया शिल्प ,लेखन शैली,उद्देश्य आदि पर निर्भर होती है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फेसबुक,ब्लॉग, व्हाट्सएप आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा सर्वाधिक लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित होती जा रही है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पुरानी पीढ़ी के द्वारा निर्मित की गई जमीन और नई पीढ़ी के द्वारा किया गया सशक्त बीजों का बीजारोपण यह दोनों इस विधा के बारे में संतुष्ट करते हैं और इस विधा का भविष्य बहुत उज्जवल दिखता है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक सामान्य मध्यमवर्ग परिवार से हूं एवं लेखन में बचपन से रुचि रही है। लघुकथा के क्षेत्र में वर्ष 1977 से लेखन जारी है तथा लघुकथा विधा के पालन पोषण के लिए वर्ष 1983 से 'क्षितिज 'संस्था, इंदौर के माध्यम से निरंतर आयोजन ,गोष्ठिया, पत्रिका प्रकाशन, कार्यशाला इस तरह के कार्य मेरे द्वारा एवं मेरी टीम के द्वारा किए जा रहे हैं ,जो इंदौर का नाम समूचे देश के नक्शे पर स्थापित कर रहे हैं ।वर्ष 2018 से निरंतर एक वार्षिक सम्मेलन पूरे देश में लोकप्रिय हो गया है और लघुकथा विधा को शिखर पर पहुंचाने में उसका बड़ा योगदान रहा है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार मेरे लेखन में सदा सहयोगी और प्रेरक की भूमिका में रहा है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन से जीवन नहीं चलता। आजीविका के लिए बैंक की नौकरी की और अब सेवानिवृत्त हूं। पेंशन से जीवन चल रहा है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य से जीवन दर्शन प्राप्त हुआ है।
सुन्दर। धन्यवाद।
ReplyDelete