सुषमा दीक्षित शुक्ला से साक्षात्कार

 जन्म स्थान : कफारा , लखीमपुर खीरी - उत्तर प्रदेश
पिता का नाम : स्व० डॉ० देव व्रत दीक्षित ( स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवम राष्ट्रीय कवि )
पति का नाम :  स्व० श्री अनिल शुक्ल ( प्रधान संपादक राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचर पत्र )
माता का नाम : स्व श्रीमती प्रभावती दीक्षित
सन्तान : कुलदीप शुक्ल ,दुर्गमा शुक्ला
शिक्षा : Msc ,  B ed,   LLB, Btc  
सम्प्रति :  शाषकीय शिक्षिका बहराइच  उत्तर प्रदेश( बेसिक शिक्षा परिषद )

विधा :  लेख, कविता ,नज़्म ,ग़ज़ल, तराना, संस्मरण ,कहानी ,गीत  क्षणिका, रूबाई ,निबंध ,बाल कथा ,बाल कविता ,लेख ,आलेख , वृतान्त लोक गीत ,एकांकी आदि का लेखन 

प्रकाशित पुस्तके : - 

 मेरे बापू ,
 तुम हो गुरूर मेरे ,
 जीवन धारा

सम्मान : -

1 अटल रत्न सम्मान 
2,गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान
3 जनचेतना अक्षर सम्मान
 4 प्रतिभाग  प्रतिष्ठा सम्मान 
5 हिन्दी साहित्य संगम प्रशस्ति पत्र 
 6  साहित्य साधक सम्मान 
7 अरुणिमा स्मृति सम्मान 
8 गुरु गौरव सम्मान
9 श्री राम कृष्ण कला सम्मान
10 मुंशी प्रेम चन्द स्मृति सम्मान
11 गोस्वामी तुलसीदास सम्मान
12 अभिव्यक्ति रत्न सम्मान
13 काव्य रंगोली भारत गौरव सम्मान
14 हिन्द गौरव सम्मान
15 भारत विभूति सम्मान
     आदि विभिन्न सम्मान प्राप्त
     
विशेष : -
- वॉलीवुड फिल्म के लिए भी गीत व पठकथा  लिखी 

पता : ई -3423 , राजाजीपुरम , लखनऊ - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - सन्देश पूर्ण कथ्य  है सबसे महत्वपूर्ण ।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी ने लघुकथा साहित्य को उत्कृष्ट मुकाम दिया है । श्री सतेंद्र शर्मा तरंग जी , डॉ अनिल शर्मा अनिल जी , श्री हरि शंकर परसाई जी ,  श्रीमती चित्रा मुदगल जी ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - सन्देशप्रद एवम सुरुचिपूर्ण कथानक जो दिल पर छाप छोड़ दे ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - आजकल तो सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म है जो साहित्यकारों के उद्देश्यप्राप्ति के लिए वरदान साबित हुए हैं जैसे फेसबुक, गूगल  ,व्हाट्सअप  आदि । इन माध्यमो ने  साहित्यजगत में नवचेतना व क्रांति ला दी है ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज लघुकथा साहित्य व्यापक रूप ले रहा है । लघुकथाओं की तर्ज पर अब भारतीय फिल्म जगत में शॉर्ट फिल्में भी बहुत तेजी से बन रही हैं ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल सन्तुष्ट हूँ क्योंकि अब पाठको की रुचि  समय की कमी के चलते  बड़ी कहानियो व उपन्यास के बजाय लघुकथा पढ़ने में ज्यादा हो रही है तो एक लेखिका होने के नाते सन्तुष्ट होना स्वाभाविक भी है  ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर  - मैं एक साहित्यिक पृष्ठभूमि से हूँ ,मेरे दादा स्व पण्डित पुत्तू लाल दीक्षित अरबी और फ़ारसी के शायर थे व मेरे पिता जी स्व डॉ देवव्रत दीक्षित संस्कृत ,हिंदी व उर्दू के महान कवि थे जिन्होंने सात हजार शिखरिणी श्लोकों से रामायण के रचना की ,साथ ही सत्याग्रह के क्रांतिकारी भी थे । जिन्होंने अपनी वीररस की कविताओं के माध्यम से क्रांति की मशाल  की ज्वाला जला रहे थे । मेरे पति स्व श्री अनिल शुक्ल भी श्रंगार रस के गीतकार  थे ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरी माँ स्व श्रीमती प्रभावती दीक्षित व पिताजी स्व डॉ देवव्रत दीक्षित मेरे प्रेरणा स्रोत थे । उन्होंने हमेशा मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया । मेरे भाईबहनों  व पति ने भी मेरी कवितायें रुचि से सदैव सुनी व मेरी प्रशंसा भी की ,  कमियां  बताकर सुधार भी करवाया । वर्तमान में मेरे बच्चे कुलदीप व दुर्गमा मुझे निरन्तर कुछ नया लिखने को प्रोत्साहित करते रहते हैं ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर -  मैंने जब से एक कहानीकार व स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार के रूप में  इंडियन फ़िल्म इंड्रस्ट्री जॉइन की है  तब से  लेखन के जरिये कुछ कमाई भी होने लगी है । 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - पहले से बेहतर हो रही है लघुकथा साहित्य की स्थिति ,पाठकों की संख्या में  इज़ाफ़ा हो रहा है । नए नए लेखक भी सामने आ रहे हैं ।
 
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य से मुझे एक लेखिका होने के नाते आत्म सन्तुष्टि मिली है ,कि मैं लधुकथा के माध्यम से  समाज को कोई सार्थक व सकारात्मक संदेश देने में सफल हो रही हूँ । इसके साथ ही साहित्य जगत में मेरी ख्याति भी  हो रही है । लघुकथा लेखन से प्रोत्साहित होकर ही मैं शॉर्ट फिल्में भी लिख रही हूँ ।

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