अपर्णा गुप्ता से साक्षात्कार
जन्म : १६ जुलाई
जन्म स्थान : सहारनपुर - उत्तर प्रदेश
पिता : श्री कृष्ण मुरारी गुप्ता
माता : श्रीमती साधना गुप्ता
ससुर : साहित्यकारश्री स्व . वीरेन्द्र प्रकाश अंशुमाली
शिक्षा : एम ए ( अंग्रेजी साहित्य)
प्रकाशित कृतिया : -
कविता बदलते संदर्भ
प्रतिष्ठा प्रभा
कविता हस्तलिपी हस्ताक्षर
आत्म कथ्य-
वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा:!
निर्विघ्नं कुरूमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा!!
मां की गोद में सूरज की पहली किरन के उगते ही मेरे जन्मदाता ने उपरोक्त मन्त्रोचार के सुन्दर शब्द अविरल ही मेरे कानो में फूंक कर कविता सृजन के संस्कार दिये जिसे मेरे पिता तुल्य ससुर जी ने जो खुद सरस्वती पुत्र थे मार्ग दर्शन करा आगे बढ़ने के सुअवसर दिये
वर्तमान पता - अपर्णा गुप्ता W/O श्री हिमांशु गुप्ता ,
K-407 , आशियाना कालोनी , लखनऊ - उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मुझे लगता है कि लघुकथा में सबसे ज्यादा महत्व "कथ्य" का है। "कथ्य" जितना जोरदार होगा ,मारक होगा, लघुकथा उतना ही प्रभाव छोड़ती है। " देखन में छोटी लगे घाव करें गंभीर " यह कहावत सटीक है लघुकथा के लियें ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथाकारों में कान्ता राय जी,
योगराज प्रभाकर जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, पवन जैन जी । सुकेश साहनी जी लघुकथा के लिये समर्पित है कान्ता जी का प्रयास वास्तव में सराहनीय है।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर- अभी कुछ दिनों पहले ही हुई एक गोष्ठी में कहा गया था कि आलोचना का स्थान मात्र प्रशंसा ने ले लिया है। आलोचक को अपनी जिम्मेदारी पुनः तय करने की आवश्यकता है । तय मानकों पर लिखी गई लघुकथा एक उदाहरण पेश करती है । कड़वी गोली की तरह कड़ी आलोचना लघुकथा को सशक्त बनाती है । कम शब्दों में बड़ी बात कहने की विधा है लघुकथा ये लेखक को समझना होगा ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा सोशल मीडिया के कौन से प्लेटफार्म पर नही है मैने ही शुरुआत की थी फेसबुक पर ,लघुकथा परिन्दें पर आज अनेक समूह ,वाटस अप, यू टयूब पर ,छोटे विज्ञापन ,गोष्ठी ,आन लाइन गोष्ठी ,ब्लाग और तो और रेडियो पर भी अपना कमाल दिखा रही है ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वक्त की कमी है और किताबो को पढ़ने का समय नही है किसी के पास अपनी गागर में सागर भरने की काबिलियत लिये लघुकथा आज लोकप्रिय हो चली है। रेडियो पर व्हीकल चलाने वाला भी लघुकथा मजे से सुन लेता है । फेस बुक पर बहुत पाठक है लघुकथा के । इसीलिए लिखना पढ़ना सहज हो रहा है और लघुकथा अपने स्वर्णिम दौर में है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - बिलकुल अभी तो लघुकथा लोकप्रिय हो रही है लघुकथा पर निरन्तर कार्य हो रहा है। पहले की अपेक्षा लघुकथा मुखर हो रही है नित नये कलेवर के साथ ऊंचे मकाम पर है। नये विचारों को जन्म दे रही है ।आज साहित्य विधा में स्तम्भ है लघुकथा । हम लघुकथा गोष्ठी करते है ,कविताओं की तरह लघुकथा वाचन हो रहा है आगे भी लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मै मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली हूँ परन्तु मेरे मायके और ससुराल दोनों में ही ऐसा माहौल मिला कि मै पढ़ने लिखने की हमेशा शौकीन रही हूँ मेरे ससुर जी लखनऊ के जाने माने कवि थे आज भी उनकी लिखी पुस्तकें मेरे पास है। कविताएँ लिखते लिखते तीन साल पहले मैने लघुकथाएं लिखी। फेसबुक पर मेरी कथायें पसन्द की गई । अभी भी सीखने की पूरी कोशिश करती हूँ लगातार सुधार ही मेरा उददेश्य है मै 200 से ऊपर लघुकथा लिख चुकी हूँ अपनी किताब छपवाने की तैयारी है । कान्ताराय जी द्वारा संचालित भोपाल शोध संस्थान भोपाल के अन्तर्गत लखनऊ की शाखा की संयोजिका हूँ गोष्ठी करती हूँ ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - जब मै अविवाहित थी तो मेरे पिता सुबह सुबह निरंतर मंत्रोचार वगैरह खूब करतें थे। फिर विवाह के बाद लिखने में मेरे ससुर जी का पूर्ण सहयोग रहा । मै अपने परिवार की हमेशा ऋणी रहूँगी। सभी सदस्य मेरी इस उपलब्धि पर मेरा हौसला बढ़ाते है । सहयोग करते है सभी का सहयोग ही मेरी शक्ति है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मै हमेशा से एक हाऊस वाइफ ही हूँ साहित्य आपको तृप्त करता है । मै खुद को महसूस कर
पाती हूँ समय का सदुपयोग कर पाती हूँ । इसे ज्यादा और क्या चाहिये ।मुझे जो प्रशंसा मिली कुछ पुरस्कार मिले और कुछ सार्टिफिकेटस यही मैने कमाया जो किसी धनराशि से कही बढ़कर है
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर-लघुकथा अपने यौवन काल में है वह पहले से ज्यादा मुखर हो गई है वह आज लोकप्रियता की कगार पर खड़ी है । बुजुर्ग, जवान,बच्चे यहाँ तक की गृहिणियाँ तक लिख रही है ,पढ़ रही है मुझे तो सुनहरा भविष्य नजर आ रहा है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मै कवितायेँ लिखती थी ,कभी कभी लंबी कहानी पर पहचान मुझे "लघुकथा" ने दिलाई । आज मै लखनऊ में लघुकथाकार जानी जाती हूँ मंचो पर लघुकथा वाचन करती हूँ कई किताबों में मेरी लघुकथा छपी है। किसी ने कहा है कि "मरने के बाद भी जिन्दा रहना है तो कुछ लिखिए " इसीलिये कुछ ऐसा लिखना बाकि है जो सब याद रखें ।
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