अलका पाण्डेय से साक्षात्कार
पिता का नाम : डा.शिव दत्त शुक्ल
माता का नाम : ऋषिकुमारी शुक्ल
पति का नाम : देवेन्द्र पाण्डेय
शिक्षा : बी .ए
व्यवसाय : समाज सेविका और लेखिका
प्रकाशित पुस्तकें -
१)महिलाओं के अधिकार कानून के दायरे में - लेख संग्रह
२) बैचेन हुए हम - काव्य संग्रह
३) लघु आकाश - लघुकथा संग्रह
४) ओस थी बूंद- हाइकु संग्रह
५) एक अकेली औरत - काव्य संग्रह
सम्पादन पुस्तकें : -
१) अग्निशिखा काव्य धारा
२) अग्निशिखा कथा धारा
३) काव्य जीवन चक्र
४) जन्मदाता
५) शब्दाचे शिल्पकार मराठी
६) नवांकुर
पत्र - पत्रिकाओ मे -मंगल दीप , नवभारत टाईम्स , मेरी सहेली , केरियर , आदि
समाज सेवा पिछले तीस वर्षों से
अखिल भारतीय अग्निशिखा के माध्यम से
१) अश्लिलता विरोधी आंदोलन
२) घरेलू हिंसा के विरुध
३) एड्स जनजाग्रति के लिये नुक्कड नाटक पूरे महाराष्ट्र में
४) कुटुम्ब विघटन को रोकना
५) महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम
६) हर साल अग्निशिखा गौरव सम्मान समारोह
७) आदिवासियों के लिये
८) वृक्षा रोपण हर साल
९) डा शिवदत् शुक्ल स्मृति सम्मान समारोह
१०) महिलादिवस पर आदि
संसथाओ से सम्मान -
महिला गौरव
विघावाचस्पति सम्मान - विक्रमशिला विघापीठ से
रत्न ,हिरणी सम्मान , समाज गौरव सम्मान , समाज
भूषण सम्मान , इस तरह से तीन सौ ( 400) से अधिक सम्मान मिले है
पता -
देविका रो हाऊस प्लांट न.७४ सेक्टर -१ कौपरखैरीन् नवी मुम्बई ४००७०९ - महाराष्ट्र
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - कथा वस्तु , शिल्प और शैली महत्वपूर्ण तत्व है ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत महत्व पूर्ण है ?
उत्तर - १) हरिशंकर परसाई २) बलराम अग्रवाल ३) बीजेन्द्र जैमिनी ४)सूर्यकांत नागर ५) सतीश दुबे आदि
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के केलिये वस्तु , चरित्र , संवाद , वातावरण , शैली , सम्प्रेषणीयता ,
आदि माप दंड माने गये हैं । समीक्षक को हर दृष्टि से लघुकथा को देखना परखना होगा और एक आलोचक की दृष्टि से समीक्षा करनी होगी । तभी लेखक व लघुकथा की सही समीक्षा होगी ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फ़ेस बुक , यू ट्यूब, इस्टाग्राम, ट्यूटर, वाट्सप , ब्लाक , पेज , कई वाट्सप ग्रुप, ई पत्रिका आदि
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के समय लघुकथा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है । समय के अभाव में लघुकथा पाठक को चलते फिरते मंनोरजन करती है , चट पट पढ लेते है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं बहुत अधिक नही पर कुछ हद तक संतुष्ट हूँ । क्योंकि आज लघुकथा को लोग पढ़ने लगे है काफी लघुकथा कार सामने आये हैं लघुकथा पर काम हो रहा है । भविष्य में साहित्य में इसका नाम होगा ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरा जन्म गाँव में हुआ शिक्षा शहर में हुई मेरे पिता जी प्रोफ़ेसर थे । घर का वातावरण सात्विक था । मैं शादी के बाद मुम्बई आई समाज सेवा करते करते लेखन भी करती हूँ नवी मुम्बई के “सेवा सदन प्रसाद “ ज़ायक़ों की गोष्ठीयों में जाकर लघुकथा लिखने लगी । अभी बहुत कुछ सिखना बाकी हैं ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार का कोंई हस्तक्षेप नहीं रहता , मेरा बेटा भी लिखता है तो एक दूसरे का कभी पढ़ कर विचार विमर्श कर लेते है । पर सब अपने कामों में बहुत व्यस्त रहते है । कम समय ही मिलता है। लेखन पर चर्चा करने के लिये ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन में आजीविका का कोई सहयोग नहीं है ।
मैं लेखन आत्मसतुष्टी और शौक के लियें करती हूँ ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य बहुत ही उज्जवल हैं । परन्तु लघुकथाकार को बहुत मेहनत करनी होगी क्यो की लेखक दमदार होगा तो ही पाठक को झकझोर के रख पायेगा और लघुकथा को ऊचाईयां दिला पायेगा
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघकथा साहित्य से मैंने आत्मबल पाया है । हौसलों की उड़ान भरने लगी , तमाम लघुकथा पढ़ कर सकारात्मक ऊर्जा पाई है । कई नये साहित्यकारो , साहित्यक मंचों से परिचय हुआ । गोष्ठी और संगोष्ठी में आना जाना होता है । बहुत कुछ पाया है बता नहीं सकती ।
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