डाॅ संध्या तिवारी से साक्षात्कार
जन्म : 15 अक्टूबर, शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
शिक्षा- एम. ए. (हिंदी , संस्कृत), बी.एड., पीएच.डी.
सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व प्रध्यापिका : स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बरखेड़ा, पीलीभीत - उत्तर प्रदेश
विधाएंँ- लघुकथा, कहानी,साझा उपन्यास,(आइना सच नहीं बोलता), कविताएंँ (छंद मुक्त), रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रावृत्त , डायरी, रिपोर्ताज,आलेख,पत्र, समीक्षा आदि।
पुस्तकें : -
- 'राजा नंगा है' (ई बुक संग्रह)2016
- 'ततःकिम' लघुकथा संग्रह, (माननीय राज्यपाल श्री राम नाइक के कर कमलों द्वारा लोकार्पित)2016
- 'अंधेरा उबालना है' लघुकथा संग्रह 2020
सम्पादन : -
काफी हाउस किताब (विविध विधा रचना संग्रह)
साँझा संकलन-
श्रेष्ठ काव्य माला,
मुट्ठी भर अक्षर,
बूंद बूंद सागर,
लघुकथा अनवरत,
क्षितिज अपने अपने,
पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 26),
नई सदी की धमक,
आस-पास से गुजरते हुए,
समकालीन प्रेम विषयक लघुकथाएं,
गहरे पानी पैठ,
मास्टर स्ट्रोक,
हमारा साहित्य (जे ऐंड के एकैडमी आॅफ आर्ट कल्चर एंड लैंग्विज आॅफ जम्मू )आदि।
सम्मान : -
- दिशा प्रकाशन द्वारा दिशा सम्मान,
- हिंदी चेतना पत्रिका कनाडा द्वारा हिंदी चेतना सम्मान
- प्रतिलिपि पत्र सम्मान 2016
- शब्दनिष्ठा समीक्षा सम्मान 2020
विशेष : -
- अविराम साहित्यिकी (त्रैमासिक पत्रिका) का सम्पादन
- समीक्षा कार्य पड़ाव और पड़ताल (खण्ड 28,सीमा जैन की ग्यारह लघुकथाएं एवं सम्पूर्ण खण्ड 9)
पता : डाॅ सन्ध्या तिवारी , पत्नी श्री राजेश तिवारी
38, बेनी चौधरी, निकट वाटर वर्क्स ,
पीलीभीत, 262001- उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है विशाल कथ्य को समेटे उसका लघु कलेवर, उसकी भाषा शैली और उसकी अचूक मारक क्षमता ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - कोई पांँच नाम लेना तो अत्यंत कठिन काम हैं क्योंकि विधा के हित में इतने लोग अपना योगदान दे रहे कि उनके नाम के बिना लघुकथा का महत्त्व ही अपूर्ण रह जायेगा। सुकेश साहनी, भगीरथ परिहार , कांता राॅय, योगराज प्रभाकर , बीजेन्द्र जैमिनी आदि नाम उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के मापदंडों में समीक्षक की पैनी दृष्टि, कथा कहन के भाव की गहरी समझ, भाषा पर अधिकार, आलोचना की विकसित समझ, ईर्ष्या एवं भेदभाव रहित तीक्ष्ण बुद्धि, प्रमाद एवं मत्सर रहित समीक्षा ही विधा के हित में है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर - वर्तमान समय में सोशल मीडिया अपने में एक बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरा है ऐसे में लघुकथा विधा इस ताकत से अछूती रह जाए कैसे हो सकता है कुछेक सोशल मीडिया के मंचों का उल्लेख निम्नगत है-
लघुकथा ब्लाॅग एवं वेब पत्रिकाएंँ : -
जनगाथा
लघुकथा डॉट कॉम
रचनाकार
ओपन बुक आॅनलाइन
सेतु
लघुकथा समूह : -
नया लेखन नये हस्ताक्षर
गागर में सागर
लघुकथा साहित्य
साहित्य सागर
भारतीय लघुकथा विकास मंच
आधुनिक लघुकथाएंँ
लघुकथा सृजन संगम संवेदनाओं का
उद्गार साहित्यिक मंच
कलमकार मंच
लघुकथा के परिंदे
साहित्य संवेद
नया लेखन और नया दस्तखत
साहित्य प्रहरी
साहित्य अर्पण
लघुकथा:गागर में सागर
सार्थक साहित्य मंच
शब्दशः
ज़िन्दगीनामा: लघुकथाओं का सफ़र
अनुपम साहित्य
चिकीर्षा- ग़ज़ल एवम् लघुकथा को समर्पित एक प्रयास
क्षितिज
फलक (फेसबुक लघु कथाएं)
बोल हरियाणा रेडियो से रवि यादव तथा विगत वर्ष से 'अविरामवाणी" यूट्यूब के मंच से लघुकथा पर निरंतर चर्चा हो रही। इनके अतिरिक्त भी सोशल मीडिया ग्रुप आदि होंगे लेकिन मुझे ज्ञात नहीं अथवा भूलवश मुझे याद नहीं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बेहतरीन है। नये प्रतिभावान लेखक इसकी मशाल उठाये हुए हैं। लेकिन जैसा कि प्राचीन भारत में छोटी-छोटी रियासतों के राजा आपस में लड़ते रहते थे और उनके लड़ने से इसका लाभ बाहर वालों ने बखूबी उठाया, ठीक यही दशा लघुकथा की भी है सब अपनी अपनी रियासत को लेकर आत्ममुग्ध बैठे हैं...। परन्तु फिर भी कितने ही ऐसे उल्लेखनीय नाम हैं जो निस्वार्थ भाव से लघुकथा के प्रतिष्ठार्थ कार्य कर रहे हैं। आशा है जल्दी ही इसे अपना लक्ष्य हासिल होगा।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कोई भी जड़ जंगम तब तक संतुष्टि नहीं देता जब तक वह मुख्य धारा में न आ जाए, जब तक समाज हित के लिए उसका उपयोग न होने लगे । कहते हैं- " जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?" लघुकथा का विधाओं में नाम न होना उसे राजकीय ,राष्ट्रीय विधा में शामिल न किया जाना,कोई लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार न मिलना, बड़े लेखकों के द्वारा इस विधा से दूरी बनाए रहना, संतुष्ट तो नहीं करते लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। इसलिए मैं इस विधा के प्रति आशान्वित हूंँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं बेहद परिष्कृत और अध्यवसायी, धार्मिक तथा नैतिक पृष्ठभूमि से हूंँ। मार्गदर्शक के रूप में अभी अपने को नहीं देखती । क्योंकि अधकचरा ज्ञान ज़हर के समान होता है। जो न अपना भला करता और दूसरे को तो ख़त्म ही कर देता है। इसलिए अभी मैं राही ही हूंँ, सिद्ध नहीं ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा परिवार, मेरे लेखन की पृष्ठभूमि में रहता है। मेरी चमक (यदि है तो) उसी की आभा से मंडित है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे जीवन यापन में लेखन से धन-लाभ की स्थिति नगण्य है। यदा कदा हजार पांँच सौ से घर नहीं चलता। मेरी आजीविका का साधन मुख्यत: नौकरी है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - कोई भी चीज एक एनर्जी बनकर जब एक दिशा में प्रवाहित होती है तो वहांँ एक बड़े बदलाव को आने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि कई अच्छे लेखकों ने लघुकथा की पतवार थाम रखी है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - साहित्य, लघुकथा का हो अथवा कविता का या कि कहानी का, साहित्य हमेशा से समाज का दर्पण रहा है। लघुकथा साहित्य से भी समाज की ढ़की छुपी विडम्बनाएंँ, मन की ग्रंथियांँ,समाज में व्याप्त कुरीतियांँ अच्छाइयांँ आदि सभी का दर्शन होता है तथा हांँ हम भी यही कहना चाहते थे ऐसा भाव आता है। और यदि बात करें लघुकथा की तो लघुकथा ने मुझे साहित्य जगत से न केवल रूबरू करवाया अपितु स्थापित भी किया है आज जितनी भी मेरी कीर्ति अपकीर्ति है यह लघुकथा के कारण ही है।
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