डॉ. विजेंद्र प्रताप सिंह से साक्षात्कार

जन्म : 04 जून 1975 , नगला खन्ना ( हाथरस ) उत्तर प्रदेश
पिता : श्री ओम प्रकाश 
माता : श्रीमती कैलाशी देवी
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी
          प्रयोजनमूलक हिन्दी एवं अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा
          भारत सरकार के गृह मंत्रालय से अनुवाद में डिप्लोमा
          उर्दू एंव आशुलिपि में डिप्लोमा
          पी. एच. डी.
सम्प्रति : सहायक प्रोफेसर : राजकीय माँडल डिग्री कालेज , अरनियां , बुलन्दशहर - उत्तर प्रदेश 

विधा : आलोचना , कहानी व लघुकथा 

प्रकाशित पुस्तकें : -

1. हिन्दी साहित्य विविधा
2. व्यतिरेकी भाषा विज्ञान
3. ऋषभदेव शर्मा का कविकर्म
4. ब्रज का भाषा विज्ञान
5. उपन्यासों के आइने में थर्ड जेंडर
6. वेटिंग रूम हास्य व्यंग्य एकांकी
7. हिन्दी साहित्य में आदिवासी दिशा एवं दशा
8. थर्ड जेंडर इन हिन्दी नोवेल्स

प्रमुख पुरस्कार एवं सम्मान : -

- विशिष्ट हिन्दी सेवा पुरस्कार
- रेलवे निबंध अभिनय पुरस्कार
- बाबा साहेब डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप पुरस्कार 
- लक्ष्मी नारायण स्मृति सम्मान 
- डॉ भोलानाथ तिवारी सम्मान 
- साहित्य गौरव सम्मान 
- निर्मल स्मृति हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान
- सरस्वती साहित्य भास्कर सम्मान 

विशेष : -

- एडिटर इन चीफ : ऐबेकार मासिक बेब पत्रिका
- सम्पादक : ऋचा पत्रिका
- मुख्य संपादक : युगधारा बेब पत्रिका

पता : डी -154 हेवन स्टीट, सांगवान सिटी , अलीगढ़ - उत्तर प्रदेश 
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर- संक्षिप्त कलेवर एवं उद्देश्य की पूर्ति

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - रामेश्वर कंबोज ‘हिमांशु’ , डॉ. शील कौशिक , विष्णु प्रभाकर, पारस दासोत, बीजेन्द्र जैमिनी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर- कथा, विषयवस्तु, परिवेश चित्रण, भाषा एवं शैली

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- फेसबुक, व्हाट्सअप 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर- तेजी से स्वरूप बदलते हुए स्थापित होती विधा है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- प्रगति अच्छी है और भी प्रयास हो रहे है। किये जाने भी जरूरी हैं।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- प्रोफेसर, आलोचना, कहानीकार, लघुकथाकार

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर-  सबसे महत्वपूर्ण , बिना परिवार के सहयोग के लेखन संभव नहीं । क्योंकि , लेकिन के लिए मानसिक शांति आवश्यक है जो परिवार के सहयोग से मिलती है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर- कुछ नहीं, सिर्फ साहित्य सेवा है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर- आने वाला समय लघुकथा का होगा । क्योंकि दिन प्रति दिन बढ़ती व्यस्तता में साहित्य का संक्षिप्त से संक्षिप्त रूप ही प्रचलन में रह जायेगा। लंबी रचनाओं को पढ़ने का समय आज भी नहीं हैं पाठकों के पास। जो पाठक हैं उनमें भी कमी होती जा रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- मन की शांति। लिखकर गुबार निकल जाता है। आज के दौर में किसी सुनने वाला कोई नहीं ।  इसलिए जब कोई बात मन को उद्दवेलित करती हैं वो जब लघुकथा के रूप में पेपर पर उतर जाती है तो मन को बहुत शांति मिलती है।

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