श्रुत कीर्ति अग्रवाल से साक्षात्कार
जन्मतिथि : 15 मार्च 1963
जन्म स्थान: मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : स्नातक विज्ञान
लेखन : कहानी, लघुकथा और कविता लेखन
संग्रह : -
सहोदरी सोपान
सहोदरी लघुकथा
समय की दस्तक,
अक्षरा
ई-बुक :-
चिकीर्षा
संगिनी
हिंदी चेतना
पुरवाई
लघुकथा - 2019
सम्मान : -
- दिल्ली लघुकथा अधिवेशन में लघुकथा श्री सम्मान
- ब्लॉग बुलेटिन द्वारा आयोजित ब्लॉग साहित्य प्रतियोगिता के कहानी वर्ग में ब्लॉग रत्न सम्मान
- स्टोरी मिरर द्वारा लिटररी कर्नल
- पटना पुस्तक मेला में लेख्य मंजूषा की ओर से कविता पाठ के लिये प्रथम पुरस्कार
- प्रतिलिपि की ओर से ऑडियो कथा वाचन में प्रथम पुरस्कार
विशेष : -
- लेखकीय सफर ऑल इंडिया रेडियो के युवा-वाणी प्रोग्राम में अपनी रचना पढ़ने से हुआ।
- पिछले कुछ वर्षों में फेसबुक पर लघुकथाओं के कई ग्रुप से सक्रिय जुड़ाव
- हिंदी कहानियों के कई ऐप पर भी रचनाएँ हैं जिसमें पाठकों की संख्या चार लाख से ऊपर जा चुकी है।
- कई संपादकों ने अपनी ई-बुक में लघुकथा ,कहानी , कविता संकलन में रचनाएँ संग्रहित की हैं
- एक लघुकथा 'अकल्पित' का चुनाव कर, मातृभारती ने उस पर शार्ट फिल्म बनवाई तथा द्वितीय पुरस्कार से नवाज़ा, फिर गली इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में कई देशों की प्रस्तुतियों के बीच, इस फिल्म ने 'बेस्ट स्टोरी' का अवार्ड भी जीता।
- दूरदर्शन बिहार के 'खुला आकाश' और 'बेस्ट माॅम' जैसे प्रोग्राम में उपस्थिति।
पता : अचल, जस्टिस नारायण पथ , नागेश्वर कालोनी,
बोरिंग रोड , पटना- 800001 बिहार
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा से निकलना चाहिए कोई संदेश या कोई ऐसी अनुभूति जो बस, अंदर कहीं जाकर अटक जाए।
कभी-कभी किसी अच्छी कथा में पूरा जीवन दर्शन बदल कर रख देने की ताकत हो सकती है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए मैं स्वयं को सही पात्र नहीं समझती हूँ क्योंकि मैं बहुत सारे लोगों, जो अच्छा काम कर रहे हैं, से परिचित ही नहीं हूँ। फिर भी अपनी सीमित जानकारी में मैं 1 - श्री बलराम अग्रवाल, 2 - कांता राॅय जी, 3 - श्री बीजेंद्र जैमिनी जी, 4 - श्री योगराज प्रभाकर जी और 5 - श्री मधुदीप गुप्ता, जिनको इस क्षेत्र में लगातार काम करते देख रही हूँ, का नाम दे रही हूँ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - भाषागत अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिये। संदेश या कथोपकथ्य स्पष्ट तथा कथा में कसावट और निरंतरता आवश्यक है। विषयों में दोहराव होने पर भी ध्यान दिलाया जा सकता है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - दुर्भाग्य से मैं सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नहीं हो सकी हूँ। फेसबुक, लघुकथा के परिंदे जैसे कतिपय ग्रुप और प्रतिलिपि और मातृभारती जैसे पोर्टल के अतिरिक्त ब्लाग पर कथाएँ पढ़ती रहती हूँ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - इसपर काम तो काफी हो रहा है पर पूरी तरह पहचान बनाने के लिये इस विधा को अभी भी एक लंबा सफर तय करने की आवश्यकता है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - पूरी तरह संतुष्ट होने की स्थिति तो शायद अभी नहीं आई है क्योंकि अभी तो बहुत सारे लेखक ही इसके महत्व को, इसके स्वरूप को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। फिर भी मैं लघुकथा के भविष्य को लेकर काफी आशान्वित हूँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं केवल अपने पढ़ने के शौक के कारण इस क्षेत्र में आई हूँ।थोड़ा सा श्रेय अपने पिता के उस साहित्यिक किताबों के संकलन को भी दूँगी जिसे मैंने कई-कई बार पढ़ डाला है। विज्ञान विषय लेने के कारण साहित्यिक हिंदी मेरा विषय नहीं थी न ही मेरे परिवार में किसी ने लेखन को चुना था। पर यह सही है कि जब-जब मुझे कुछ अच्छा, स्तरीय साहित्य पढ़ने के लिए मिला, मुझे अवर्णणीय आनन्द प्राप्त होता रहा है। मैं लेखिका से कहीं बेहतर पाठक हूँ अतः स्वयं को मार्गदर्शक की भूमिका में नहीं पाती। सही शब्दों में मैं तो बस शब्दों को अपने विचारों का जामा पहना, उनसे खेल रही हूँ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - दूर-दूर तक कोई इस क्षेत्र में नहीं है। वो लोग तो बस मेरी उपलब्धियों पर मेरे साथ खुश हो लेते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैंने अभी तक लेखन को शौक की तरह ही लिया है, आजीविका के लिये मेरा अलग काम/व्यवसाय है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - साहित्यकारों की एक बड़ी संख्या को इस विधा में समर्पण के साथ काम करते देख रही हूँ। मेहनत तो रंग लाएगी ही!
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर - आत्मविश्वास! प्रतिष्ठित लघुकथाकारों के साथ अपना नाम आता देख कर मिलने वाला रोमांच और खुशी! इसके अतिरिक्त मैं महसूस करती हूँ कि इस विधा ने मुझे चीजों को एक दूसरी नजर से देखना सिखा दिया है और चुपचाप मेरी सोच में, एक ऐसी परिपक्वता का समावेश कर दिया है जिसका लाभ न केवल लेखन में, वरन रोज़ाना के जीवन में... आपसी रिश्तों में भी महसूस कर रही हूँ।
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