जन्मतिथि : 26 नवम्बर 1966
जन्म : शोलापुर - महाराष्ट्र
शिक्षा : एम ए अर्थशास्त्र, हिन्दी, एमएड, पी एच डी (हिन्दी)
सम्प्रति : महाविद्यालय में प्राचार्य
प्रकाशित पुस्तकें : -
कविता संग्रह –
- मैं बरगद - पहले पहल प्रकाशन ,भोपाल (बरगद पर 131 कविता, गोल्डन बुक ऑफ़ रिकार्ड , इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड में शामिल )
- आँचल (माँ पर 111 कविता) मीरा पब्लिकेशन , इलाहाबाद
- सिसकती दास्तान (किन्नरों पर 121 कविता ) विकास पब्लिकेशन कानपुर
- हस्ताक्षर हैं पिता ( पिता पर 1111 कविताएँ ) पहले पहल प्रकाशन भोपाल,
- कहती हैं किताबें (किताबों पर 80 कविताओं ) की ई बुक
बाल साहित्य : -
- असर आपका’, (विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन -आगरा )(गद्य काव्य)
- ‘मुझे क्यूँ मारा (जय माँ पब्लिकेशन ,भोपाल) (गद्य काव्य)
- मेरा क्या कुसूर ( जय माँ पब्लिकेशन ,भोपाल ) (गद्य काव्य)
- पुस्तक मित्र महान (मून पब्लिशिग हाऊस ,भोपाल) (काव्य संग्रह)
- मुस्कान ( बाल कल्याण एवं शोध संस्थान भोपाल) (काव्य संग्रह)
- लघुकथा संग्रह :-
तितली फिर आएगी ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- लकी हैं हम ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
- मूल्यहीनता का संत्रास ( जी एस पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूटर, दिल्ली )
- गांधारी नहीं हूँ मैं ( विकास पब्लिकेशन कानपुर )
- धीमा जहर (वनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- दहलीज का दर्द ( विभोर ज्ञानमाला प्रकाशन आगरा )
साक्षात्कार संग्रह : -
लघुकथा का अंतरंग (लघुकथा पर पहला ऐतिहासिक साक्षात्कार )
उपन्यास : -
मंगलमुखी (किन्नर पर) विकास पब्लिकेशन कानपुर
कहानी संग्रह-
- सिंदूर का सुख ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध संस्थान आगरा )
- साँझीबेटियाँ ( हरप्रसाद व्यवहार अध्ययन एवं शोध आगरा )
समीक्षा :–
- पयोधि हो जाने का अर्थ (कौशल प्रकाशन, फैजाबाद)
- उत्तर सोमारू ( कौशल प्रकाशन, फैजाबाद )
- मधुकांत की इक्यावन लघुकथाओं का समीक्षात्मक अध्ययन ( मोनिका पब्लिकेशन दिल्ली )
- वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए (ई बुक )
- लघुरूपक – 20 पुस्तकें (माँ पब्लिकेशन भोपाल)
विशेष : -
- पिछले 9 वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर संचालन, कहानी तथा कविताओं का प्रसारण
- फिल्मांकन : उपन्यास ‘मंगलामुखी के एक अंश पर पायल फाउन्डेशन लखनऊ द्वारा 30 मिनट की फिल्म का निर्माण ‘यह कैसी सोच’
- पाठ्यक्रम : मध्यप्रदेश बोर्ड में रक पाठ स्कूली शिक्षा में , तथा 5 लघुकथाएं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल
- मेरे लघुकथा संग्रहों पर महाराष्ट्र की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है |
- हस्ताक्षर हैं पिता - 1145 पृष्ठ , दो खंडों में कविता संग्रह पर राजस्थान की छात्रा द्वारा पीएचडी जारी है
सम्मान : -
- अंतराष्ट्रीय सम्मान – 4
14 राज्यों से सम्मानित - 52 राज्य एवं राष्ट्रीय सम्मान
पता : 30 सीनियर एमआईजी, अप्सरा काम्प्लेक्स, इंद्रपुरी, भेल क्षेत्र ,भोपाल- 462022 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर – यूं तो सभी तत्व महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनके होने से ही लघुकथा पूर्ण होती है | किन्तु इसमें प्राणतत्व फूंकता है तेजाबी वाक्य जिसे हम पंच वाक्य कहते हैं ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर – यूं तो बहुत हैं मगर भौतिक रूप से उपस्थिति की बात करूं तो - चित्रा मुद्गल, भागीरथ परिहार , स्व. सतीश दुबे, स्व. रमेश बतरा जी के बाद मैं अपना नाम भी रखना चाहूंगी । क्योंकि लघुकथा के क्षेत्र में मेरे सारे लघुकथा संग्रह समस्यात्मक विषयों पर हैं और साक्षात्कार संग्रह ये सभी लघुकथा में कई क्षेत्रों में नवीनता दर्शाते हैं, प्रथम प्रयास कहे जा सकते हैं ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर – कथावस्तु, पात्र, चरित्र की सार्थकता , प्रस्तुति, भाषा, परिवेश तथा कहन की शैली, जिसमें पंच भी आता है | इसके आलावा काल दोष, लेखक की उपस्थिति, कह सकते हैं पंच और कल दोष के अतिरिक्त वाही कसौटी है जो कहानी की है ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर – मैं सोशल मीडिया में अधिक हूँ नहीं इस वजह से किसी मंच से परिचित नहीं | हाँ लघुकथा विश्वकोश, लघुकथा सृजन ये नाम भी देखकर बता रही हूँ | सच कहूँ तो परिचित नहीं ।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर – अगर साहित्य की दृष्टि से कह रहे हैं तो आवश्यकता है , क्योंकि शोर्टकट का जमाना है | अगर लेखन की बात करें तो बाढ़ है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर – नहीं ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर – लेखन को लेकर मेरी कोई विरासत नहीं रही, स्व अर्जित है जो है | बस प्रयास है जिस भी विषय में लिखूं ईमानदारी पूर्वक कार्य करूं , अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए | यही बात मार्गदर्शन लेने वालों को कहती हूँ ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर – मैंने परिवार और लेखन को कभी मिलाया नहीं ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर – आजकल लेखन को आजीविका के रूप में देखने और सोचने का समय नहीं | जहाँ लेखक पैसे देकर पुस्तकें प्रकाशित करा रहे हैं वहां संतोष है कि मैं बिना शुल्क प्रकाशित हो रही हूँ | अब तक 62 के करीब पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है | तो इसे ही बड़ी उपलब्धि मानती हूँ ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर – अगर किसी भी विधा को समर्पित साहित्यकार मिले तो उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है | यही बात लघुकथा के लिए भी कहूँगी ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर – निश्चित रूप से कई मित्र, प्रशंसक और सम्मान तथा एक नई विधा में पहचान भी ।
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