अशोक दर्द से साक्षात्कार

 पिता :श्री भगत राम 
माता : श्रीमती रोशनी
जन्मतिथि २३ अप्रैल १९६६
जन्म स्थान : गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा - हिमाचल प्रदेश
शिक्षा : शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड
भाषा ज्ञान :हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत ,हिमाचली पहाड़ी
व्यवसाय : राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक

लेखन विधाएं : कविता , कहानी ,  लघुकथा  , बाल कवितायेँ  व हिमाचली लोककथाएं एवं सांस्कृतिक लेखन |

प्रकाशित कृतियाँ – 

अंजुरी भर शब्द ---[कविता संग्रह ]
संवेदना के फूल  -  [कविता संग्रह ]

सम्पादन कृतियाँ --
मेरे पहाड़ में [कविता संकलन ]
महकते पहाड़ हिमाचल के चौदह कवियों का कविता संकलन

सम्मान : -

- हिमाचल प्रदेश राज्य  पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में  प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत 
- हिमाचल प्रदेश सिरमौर कला संगम  द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य चन्द्रमणि विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ 
- सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | 
- हिंदी भाषा सम्मेलन ,पटियाला द्वारा –सारस्वत सम्मान
- चंबा शिल्प परिषद [पंजीकृत ]द्वारा सम्मानित
- प्रेरणा बहुआयामी संस्था छत्तीसगढ़ द्वारा निखिल शिखर सम्मान २०१३
- जी वी प्रकाशन जालंधर द्वारा –काव्य शिरोमणि तुलसीदास सम्मान
- हिम साहित्यकार सभा बिलासपुर द्वारा सम्मानित
- साहित्यायन साहित्यकार सम्म्मेलन २०१७ , ग्वालियर म प्रद्वारा दिव्य तूलिका साहित्यायन सम्मान
- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक द्वारा – ज्ञानोदय साहित्य भूषण २०१४ सम्मान
- हिमखंड पत्रिका मंडी हिमाचल प्रदेश  द्वारा नीला आसमान साहित्य सम्मान
- त्रिवेणी साहित्य अकादमी जालन्धर द्वारा सारस्वत सम्मान कायाकल्प साहित्य कला फाउन्डेशन नोएडा द्वारा साहित्य भूषण सम्मान २०१८
           इनके आलावा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित

विशेष : -

- विगत बीस वर्षों से निरंतर हिंदी व हिमाचली  की विभिन्न विधाओं में    देश की दर्जनों नामचीन पत्र - पत्रिकाओं में लेखन व प्रकाशन  |
- कई कैसेट्स में हिमाचली गीत व भजन लेखन |
- हिमाचली कविता लेखन व सांस्कृतिक लेखन के आलावा बच्चों को नवाचार के द्वारा अध्यापन  में निरंतर साधनारत |
- विद्यालय  की पत्रिका   बुरांस में सम्पादन सहयोग |
- लगभग पच्चीस संकलनों में रचनाएँ [काव्य ] संकलित  | - - कुछ राष्ट्रीय लघुकथा संकलनों में लघुकथाएं  
-  कहानी संकलनों में कहानियाँ व लोककथाएँ संकलित |
- दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना पाठ व  प्रसारण
-  कई प्रादेशिक व राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में भागीदारी |
- इरावती साहित्य एवं कला मंच  बनीखेत का  अध्यक्ष | [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों  का आयोजन] | 
- हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति अकादमी शिमला का सदस्य

वर्तमान पता : अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा - हिमाचल प्रदेश

स्थायी पता : गाँव घट्ट , डाकघर बनीखेत , जिला चंबा - हिमाचल प्रदेश 
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? 
उत्तर - मेरे ख्याल में लघुकथा में  कथावस्तु ,आकार, शिल्प, पंच सब महत्वपूर्ण तत्व हैं ।  

प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - मैंने जिन्हें पढ़ा है उस हिसाब से मैं कह सकता हूं कि लघुकथा साहित्य में योगराज प्रभाकर , अशोक जैन , मधुदीप गुप्ता ,  सुकेश साहनी , उर्मि कृष्ण और आप ( बीजेन्द्र जैमिनी ) जैसे कई महत्वपूर्ण उल्लेखनीय नाम हैं। मैं दर्जनों ऐसे लघुकथाकारों को जानता हूँ जिनका लघुकथा साहित्य में विशेष दखल है उनके उल्लेखनीय योगदान को लघुकथा साहित्य में कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

प्रश्न न.3 - लघुकथा समीक्षा के कौन-कौन से मापदंड होने चाहिए?
 उत्तर - लघुकथा समीक्षा में कथावस्तु ,आकार, शिल्प, पंच,सामाजिक उपादेयता इत्यादि सारे तत्वों  को देखा जाना चाहिए किसी एक तत्व को देखकर समीक्षा करना एकांगी हो जाएगा।

प्रश्न  न. 4 - लघुकथा साहित्य में  सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर - आजकल लघुकथा साहित्य को विकासमान करने के लिए कितने ही प्लेटफार्म सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं इनमें व्हाट्सएप ग्रुप , फेसबुक , यूट्यूब , ऑडियो - वीडियो इत्यादि सबकी अपनी-अपनी भूमिका है और ये सब लघुकथा  साहित्य को और समृद्ध करने में जुटे हुए हैं किसी एक का नाम लेना उचित नहीं।

प्रश्न न.5 - आज के  साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति संतोषजनक है क्योंकि हर पत्र-पत्रिका में लघुकथा को स्थान दिया जा रहा है और सोशल मीडिया पर भी लघुकथा को लिखा पढ़ा जा रहा है अतः कहा जा सकता है की लघुकथा अपने विकास की ओर अग्रसर है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं?
उत्तर - कम से कम मैं तो लघुकथा की वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हूं, क्योंकि साहित्यिक क्षेत्र में लघुकथा अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है , आज लघुकथाएं लिखी पढ़ी जा रही हैं पत्र-पत्रिकाओं में सोशल मीडिया में हर जगह लघुकथा अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है ।अतः मैं कह सकता हूं कि लघुकथा अपने विकास की ओर तेज गति से बढ़ रही है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं बताएं किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर - मुझे साहित्य में कोई पैतृक योगदान नहीं मिला है। मैं एक साधारण परिवार से आया हूं जहां परिवार का साहित्य से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा है । आज यहां तक मार्गदर्श बन पाने की बात है,  मैं स्वयं को लघुकथा का विद्यार्थी मानता हूं आज भी लघुकथा को लिखना सीख रहा हूं मार्गदर्शक बनना अभी दूर की बात है  ।

प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन मैं मेरे परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण है उनके सहयोग के बिना मैं कदापि साहित्य में आगे न बढ़ पाता। मेरे लिए परिवार का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है जिस कारण मैं निरंतर लेखन में सक्रिय रहा पाया हूं।

प्रश्न न.9 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?
उत्तर - हमें सदैव आशावादी होना चाहिए और मैं हमेशा सकारात्मक रहता हूं इसलिए कह सकता हूं की लघुकथा का भविष्य भी उज्जवल है इसमें कोई दो राय नहीं ।

प्रश्न न.10 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका मेरे लेखन से नहीं चलती आजीविका के लिए मैं नौकरी करता हूं लेखन और आजीविका मेरे लिए दोनों अलग-अलग हैं।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?
उत्तर -  लघुकथा साहित्य में थोड़ा बहुत योगदान करने के बाद मुझे देश के नामचीन लघुकथाकारों से रूबरू होने का मौका मिला और मेरे लेखन में उनको पढ़ने गुनने के बाद सुधार भी हुआ । किसी रचना को जब साहित्य के धुरंधर विद्वानों के द्वारा प्रशंसा मिली तो मेरे लेखन को और उर्जा मिली । सोचता हूं लघुकथा लेखन के कारण मुझे बहुत से अच्छे-अच्छे साहित्यिक मित्रों से मिलने का सौभाग्य मिला ।यदि नहीं लिखता होता तो यह सौभाग्य कदापि न मिलता । एक बात और, लघुकथा को लिखते लिखते एक नई दृष्टि भी विकसित हुई जीवन को नए नजरिए से देखने की दृष्टि  ।

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?