प्रबोध कुमार गोविल से साक्षात्कार
प्रकाशित पुस्तकें : -
लघुकथा संग्रह : मेरी सौ लघुकथाएं
सम्पादित लघुकथा संकलन : पड़ाव और पड़ताल ( आठ भाग )
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, सेज गगन में चांद की, आखेट महल, अकाब, जल तू जलाल तू, राय साहब की चौथी बेटी, ज़बाने यार मनतुर्की।
कहानी संग्रह: अंत्यास्त, थोड़ी देर और ठहर, ख़ाली हाथ वाली अम्मा, सत्ताघर की कंदराएं, प्रोटोकॉल।
आत्मकथा (तीन खंड): इज्तिरार, लेडी ऑन द मून, तेरे शहर के मेरे लोग।
सम्प्राप्ति : पूर्व प्रोफ़ेसर(पत्रकारिता व जनसंचार) एवं निदेशक, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान)
पता : बी -301 , मंगलम जाग्रति रेसीडेंसी, 447 कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर-302004 - राजस्थान
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?उत्तर - किसी सीमित कलेवर में प्रवाह, प्रभाव, संवेदना अथवा विवेचना "क्षणिक" होना श्रेयस्कर है। अतः क्षणिकता ही लघुकथा का मूल तत्व है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सुश्री कांता राय , बीजेन्द्र जैमिनी, चित्रा मुद्गल, भगीरथ परिहार और सुकेश साहनी।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - भाषा, प्रवाह, प्रभाव, क्षणिकता, कथ्य की नवीनता।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - फ़ेसबुक और ब्लॉगिंग से पर्याप्त चर्चा/प्रतिक्रिया तथा अभिलेखन संभव है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - इसे स्वीकार्यता मिली है किंतु अभी कई पाठकीय व लेखकीय कसौटियां बाक़ी हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मात्रात्मकता की दृष्टि से स्थिति पर्याप्त संतोष जनक है पर गुणवत्ता पर निरंतर कार्य करने की ज़रूरत है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं शैक्षणिक परिवेश से हूं तथा लिखने- पढ़ने में "पाठक- लेखक समीकरण" को महत्व देता रहा हूं।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - ज़्यादा भूमिका नहीं है किंतु कोई अवरोध भी नहीं हैं। पूरी स्वतंत्रता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखकीय सरोकारों ने आजीविका में हमेशा बाधा ही पहुंचाई है। मैं इन दोनों को अलग- अलग मानता हूं। लेखन को आजीविका से जोड़ना श्रेयस्कर नहीं होता।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - भविष्य अच्छा है, इसे लोकप्रियता मिलेगी किंतु इससे किसी लेखक की ज़्यादा अपेक्षा दोनों को नुक्सान पहुंचायेगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - समय से समायोजन तथा लेखक समुदाय से विहंगम और विशाल संपर्क।
बहुत सुंदर ।हार्दिक बधाई आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर व उपादेय साक्षात्कार बधाई व शुभकामनाएँ
ReplyDelete