गीता चौबे गूँज से साक्षात्कार

जन्मदिन - 11 अक्टूबर, 1967
माता का नाम - श्रीमती तारा देवी
पिता का नाम - स्व. डॉ इंद्रदेव उपाध्याय
पति का नाम - श्री सुरेंद्र कुमार
शिक्षा :  स्नातकोत्तर 

प्रकाशित पुस्तकें : -

दो एकल कविता-संग्रह : 
1.क्यारी भावनाओं की
2.'मन-सरगम' 
3.एक उपन्यास - 'बंद घरों के रोशनदान' 

प्रकाशित साझा - संकलन : -

1 नीलाम्बरा
2 काव्य-शिखा
3 बज़्में हिंद
4 काव्य सागर
5. जिंदगी जिंदाबाद 
6. कोरोना काल 

सम्मान : - 

1.महादेवी वर्मा शक्ति सम्मान - 2020 
2.अटल काव्यांजलि - अटल गुंजन सम्मान 
3.लघुकथा दिवस रत्न सम्मान - 2020 
4.कलम बोलती है - साहित्य सितारे सम्मान 
5.साहित्योदय कलम सारथी सम्मान 
6.साहित्योदय शक्ति सम्मान 2020 
7.साहित्योदय अष्टसिद्धि सम्मान 
8.साहित्योदय साहित्य गौरव सम्मान 
9.स्टोरी मिरर लिटररी कर्नल
10.शक्ति ब्रिगेड - हिन्दी के सिपाही 
11.शक्ति ब्रिगेड - सर्वश्रेष्ठ रचनाकार पाँच बार
12.काव्य संग्रह - दोहा सम्राट 
13.प्रखर गूँज - रत्नावली सम्मान 
14.Innerwheel district 314clubs of jone 4 हास्य रत्न सम्मान
15.आगमन: एक खूबसूरत शुरुआत - पूरे वर्ष भर सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति करता सम्मान 
16.साहित्य संवेद स्टोरी मिरर कहानी प्रतियोगिता 
17.जैमिनी अकादमी - टेकचंद गुलाटी सम्मान 
18.हिन्दी साहित्य परिषद - सावन मनभावन सम्मान 
19.अटल काव्यांजलि - काव्य केतु सम्मान 
20.कृष्ण कलम मंच-काव्य धारा सम्मान 
21.सार्थक साहित्य मंच - प्रोत्साहन पुरस्कार 
22.नूतन साहित्य कुंज - छंद प्रतियोगिता प्रथम स्थान - कुंज कुंजेश्वरी सम्मान 
डेढ़ सौ से ऊपर हो गए हैं सम्मान पत्र

विशेष : -

- हिन्दी के साथ-साथ भोजपुरी में भी लघुकथा, कविता, संस्मरण, छंदबद्ध रचनाओं का लेखन
- ब्लॉग : मन के उद्गार
- वर्तमान अंकुर - आडियो विडियो 
- लघुकथा कलश, किस्सा कोताह पत्रिका, साहित्योदय पत्रिका, चिकीर्षा पत्रिका,महिला अधिकार अभियान, अविराम साहित्यिकी, पलाश, कविता कानन, संझवत भोजपुरी पत्रिका, भोजपुरी साहित्य सरिता, सिरजन पत्रिका, अविरल प्रवाह, शुभतारिका पत्रिका, आदित्य संस्कृति, साहित्यनामा, हिंददेश आदि पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन होते रहना
- विरासत में मिले साहित्यिक माहौल में मन के उद्गार को शब्दों में पिरोने की कोशिश 

पता : जी 4 ए , द ग्रीन गार्डन अपार्टमेंट
हेसाग, हटिया, राँची -  झारखंड
प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व  कथातत्त्व के साथ उसकी लघुता होती है। 

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में आ सुकेश साहनी जी, आ. कांता राय जी , श्री सतीशराज पुष्करणा जी, श्री योगराज प्रभाकर जी, श्री बीजेन्द्र जैमिनी जी आदि। 

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - लघुकथा में आवश्यकता से एक शब्द भी अधिक न हों और मारक पंचलाइन हो जो पाठक को अनकहा सोचने पर मजबूर कर दे। 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर - लघुकथा साहित्य के प्रसार और विकास में सोशल मीडिया के ह्वाट्सऐप, फेसबुक और  यू ट्यूब प्लेटफार्म काफी मददगार सिद्ध हो रहे हैं। 

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा एक सम्मानीय स्थिति में है और समाज में अपना उद्देश्य पहुँचाने में समर्थ भी। 

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि किसी भी चीज के विकास में बाधक होती है। अगर संतुष्ट हो गए तो हम उसके लिए कार्य करना छोड़ देंगे। एक लोकप्रिय विधा के रूप में लघुकथा को देखकर खुशी अवश्य होती है। 

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - वैसे तो मेरी पृष्ठभूमि साहित्यिक ही रही है। पिताजी अपने क्षेत्र के एक जाने-माने साहित्यकार थे। रूचि नहीं रहने पर भी बचपन से ही साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच उठना-बैठना रहा है, परंतु सही मायने में साहित्य के प्रति रूझान पिताजी के जीवनकाल के बाद ही हुआ। तीन-चार वर्षों से सक्रिय लेखन कर रही हूँ। जितना भी जानती हूँ, लोगों को स्वेच्छा से बताती हूँ। कहीं भी गलती पकड़ में आने पर उनका मार्गदर्शन करने में खुशी महसूस होती है मुझे। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर - मेरे लेखन में पिताजी के संस्कार बीज रूप में तो थे ही, मेरे पति और बच्चों , संबंधियों के साथ-साथ मेरे मित्रों जो एक परिवार ही होते हैं, की सराहना का भी सहयोग रहा। 

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - अभी तक लेखन का मेरी आजीविका में कोई स्थान नहीं रहा है। 

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य काफी उज्ज्वल है। यह हर वर्ग की एक लोकप्रिय विधा बनती जा रही है। आज के इस भागदौड़ के जीवन में लंबी कहानियों को पढ़ने का समय नहीं है लोगों के पास। ऐसे लोग लघुकथा को खूब पसंद कर रहे हैं। 

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मेरी मूल विधा काव्य-लेखन है। एक उपन्यास भी लिखा है। मैंने लघुकथाएँ कम ही लिखी हैं, फिर भी एक पहचान बनती जा रही है जो खुश रहने का एक पर्याप्त कारण बन रहा है। 

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