प्रियंका श्रीवास्तव ' शुभ्र ' से साक्षात्कार
जन्म तिथि - 5 मई 1963
पिता का नाम - डॉ ब्रज बल्लभ सहाय
माता का नाम - श्रीमती माधुरी सहाय
पति का नाम - श्री गिरिजेश प्रसाद श्रीवास्तव
निवास स्थान - पटना (बिहार)
पेशा - गृहणी , स्व रुचि लेखन
शिक्षा - एम.ए. (अर्थशास्त्र)
पुस्तकें : -
'निहारती आँखें' काव्य संग्रह,
'वर्तमान सृजन' साझा काव्य संकलन,
'श्रद्धांजलि से तर्पण तक' एकल कहानी संग्रह ।
'नदी चैतन्य हिन्द धन्य',
'अमृत अभिरक्षा', 'नसैनी',
'जागो अभय', 'समय की
दस्तक',साझा संकलन,
बासंती अंदाज़' साझा काव्य संग्रह
सम्मान -
भोजपुरी बाल कहानी प्रतियोगिता में पुरष्कार प्राप्त
उन्वान प्रकाशन एवं लेख्य मंजूषा साहित्यिक संस्थान
द्वारा "सम्मान प्रतीक" की प्राप्ति,
story mirror एवं फेसबुक के कई ग्रुप द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान,
पता : -
305, इंद्रलोक अपार्टमेंट, न्यू पाटलिपुत्र कॉलनी, पटना - बिहार 800013
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - जैसे किसी सम्मिलित कार्य के सम्पन्न होने पर किसी एक को विशेष महत्व नहीं दिया जा सकता उसी तरह लघुकथा में भी विषय वस्तु, शीर्षक और प्रस्तुति सभी का अपना अपना महत्व है। पर कभी-कभी शीर्षक लघुकथा के भाव को स्पष्ट करने में सहायक होता है। लघुकथा के पितामह 'सतीशराज पुष्करणा' की लघुकथा 'बोफर्स कांड' इसका अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा का संसार बहुत विस्तृत हो चुका है। आज इस क्षेत्र में अनेक लेखक अनेक तरह से कार्य कर रहे हैं। जो मेरे प्रेरणा के स्रोत रहे वैसे पांच लघुकथाकारों के नाम लिखती हूँ। - सतीशराज पुष्करणा, मधुदीप गुप्ता, बीजेन्द्र जैमिनी , योगराज प्रभाकर और कांता राय।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - कथानक सरल और प्रभावपूर्ण हो। कथानक का अनावश्यक विस्तार न हो। शीर्षक पर विशेष ध्यान अशुद्धियों पर ध्यान, जिससे पढ़ने में असुविधा न हो।लघुकथा अपना प्रभाव छोड़े, लेखकीय प्रवेश से मुक्त हो तथा उपदेशात्मक न हो।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - लघुकथा के परिंदे, भारतीय लघुकथा विकास मंच,नया लेखन: नए दस्तक इसके अलावा फेसबुक के अन्य कई ग्रुप, व्हाट्स एप्प ग्रुप, इंस्टाग्राम आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा अपना पांव जमा चुकी है। पाठक और लेखक दोनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि का अर्थ है तृप्त होना। साहित्य में संतुष्टि हो जाए तो विकास अवरुद्ध हो जाएगा। साहित्य का विकास दिनोंदिन बढ़ते रहना चाहिए।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि सेआए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं
उत्तर - मैं ऐसे मध्यवर्गीय परिवार से हूँ, जहाँ दो पीढ़ी ऊपर से नारी शिक्षा का महत्व रहा।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे माता-पिता लेखक नहीं थे पर अच्छे पाठक थे। माँ के साथ भाई-बहन और पति मेरी रचना को पढ़ते हैं सुनते हैं और अपनी राय अवश्य व्यक्त करते हैं। बड़ी दो बहन भी लिखती हैं, एक भाभी कवयित्री हैं। थोड़ा बहुत गद्य लेखन भी करती हैं। ससुराल में एक देवरानी और एक भतीजी लेखन से जुड़ी हुई हैं। सभी एक दूसरे की रचनाएं पढ़ते हैं और यथासम्भव मार्गदर्शन करते हैं।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरे जीविकोपार्जन का साधन नहीं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा के लेखक और पाठक की संख्या बढ़ रही है अतः ये कहा जा सकता है कि भविष्य में लघुकथा की स्थिति बहुत अच्छी होगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - पहले मैं कहानी और कविता लिखती थी। लघुकथाएं भी लिखी पर लघुकथा विधा से अनभिज्ञ रह कर अतः वह लघु कथा तो थी । लघुकथा नहीं। लघुकथा विधा को जानने के बाद लिखी लघुकथाएं आत्मसंतुष्टि प्रदान करती है खुशी मिलती है। हर उस घटना पर कलम सरलतापूर्वक बढ़ जाती है जो दिल को झकझोड़ देती है।
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