डॉ० भारती वर्मा बौड़ाई से साक्षात्कार
जन्म तिथि- 04 अक्टूबर 1957
माँ - श्रीमती कमला वर्मा
पिता - श्री बाबूराम वर्मा
संतान - एक पुत्री, एक पुत्र
शिक्षा- एम० ए०, बीएड, डी फिल (शोध द्वारा) गद्यकार “ बच्चन : एक आलोचनात्मक अध्ययन “ विषय पर
कार्य क्षेत्र/ व्यवसाय-—24 वर्ष अरूणाचल प्रदेश में अध्यापन। 2005 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति। वर्तमान में स्वतंत्र अध्ययन और लेखन।
रुचि
यात्रा करना, फोटोग्राफी, कुकिंग, सिक्कों का संग्रह करना, विवाह के निमंत्रण पत्रों से फोटो काट कर कोलॉज बनाना
निवास स्थान— देहरादून, उत्तराखंड
ब्लॉग - www.kamalvithi.com
वेबसाइट - www.kamalvithi.com
लेखन :-
कविता, गीत, नवगीत, मुक्त छंद, लेख, दोहे, संस्मरण, कहानी, लघुकथा, समीक्षा, मुक्तक, वर्ण पिरामिड, पत्र विधा, व्यंग्य आदि।
प्रकाशित कृतियाँ : -
एकल (१२ ):-
एकल कविता संग्रह—०७
आलोचना पुस्तक—०१
सृजन समीक्षा—०१
लघुकथा संग्रह—०२
आलेख संग्रह—०१
साझा संग्रह - ८०
साझा काव्य संग्रह—६८
साझा लघुकथा संग्रह— १०
साझा आलेख संग्रह—०१
साझा पत्र संग्रह— ०१
लगभग ८० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
संपादित कृतियाँ—१– प्रवाह विद्यालय पत्रिका)
२– आदर्श कौमुदी ( मासिक पत्रिका बिजनौर) के गंगा
विशेषांक का संपादन
३- माँ (संस्मरण संग्रह)
४- पिता (संस्मरण संग्रह )
सम्मान—
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( पूर्व रक्षा मंत्री ) द्वारा हिंदी साहित्य सेवा के लिए सम्मान सहित अब तक अन्य ३० सम्मान प्राप्त।
सामाजिक कार्य: -
अपने पति के “ अविराम प्रवाह” ट्रस्ट द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों में सहयोग
मेरी प्रेरणा : मेरे पापा और मेरी माँ
लेखन का उद्देश्य—
अपने पापा से मिली लेखन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए माँ हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए प्रयत्नशील।
पता : -
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
95, ब्लॉक- H, दिव्य विहार , डांडा धर्मपुर,
डाकघर- नेहरूग्राम ,देहरादून-248001 ( उत्तराखंड )
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व उसका लघु होना है। गागर में सागर भरने के समान।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - १- विभा रानी श्रीवास्तव २- बीजेन्द्र जैमिनी ३- योगराज प्रभाकर ४- अनिल शूर आजाद ५- सतीशराज पुष्करणा
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा के लिए शिल्प, कथानक, कम पात्र, प्रस्तुति और अंत का रोचक होना… ये मापदंड होने चाहिए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के लिए सोशल मीडिया के…वाट्सअप, फेसबुक, यू ट्यूब, ब्लॉग, लघु फ़िल्में , लघुकथा समूह …सभी प्लेटफार्म अपनी अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा अपनी बहुत मजबूत स्थिति में है। जीवन में इतनी आपाधापी और भाग दौड़ है जिसके कारण पाठकों के पास लम्बी कहानियाँ, उपन्यास पढ़ने का समय नहीं होता है। लघुकथा वे आराम से और बहुत चाव से पढ़ लेते है। इसी कारण आज लघुकथाएँ बहुत लिखी और पढ़ी जा रही हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से मैं संतुष्ट तो हूँ पर इसे अभी और बड़ा मार्ग तय करना है। मैं तो स्वयं अभी लघुकथा के क्षेत्र में विद्यार्थी हूँ और सीख रही हूँ।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। लेखन और हिन्दी प्रेम मुझे अपने पिता से विरासत में मिला। घर में भी पढ़ने-लिखने का साहित्यिक वातावरण रहता था। इसी के मध्य लेखन में मेरी रूचि विकसित हुई। पिता का मार्गदर्शन मिलता था और वे मेरी रचनाओं के पहले पाठक और आलोचक होते थे। जीवन और समाज के प्रति एक दृष्टि एक दिशा प्रदान करने में वे सदा सहायक बने रहे । तभी उद्देश्यपरक, सन्देशपरक लेखन करने की ओर प्रवृत्त हुई।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - जैसा मैंने ऊपर कहा कि मेरे जीवन और लेखन में मेरे पिता और माँ का बहुत योगदान और प्रोत्साहन रहा। मैं सौभाग्यशाली इस अर्थ में हूँ कि विवाह के पश्चात मेरे पति और बाद में बेटी-बेटे ने भी मेरे लेखन को बहुत गंभीरता से लिया और अपना पूरा सहयोग दिया। बच्चों के कारण ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म की जानकारी प्राप्त कर लिखने में उनका उपयोग कर पा रही हूँ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैं स्वान्त: सुखाय लिखती हूँ।लिखना मेरी हॉबी, मेरा पैशन है। लिखने से धन मिलना ही चाहिए ऐसा मैं नहीं सोचती। यदा-कदा मानदेय भी मिलते रहे हैं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य बहुत उज्ज्वल और स्वर्णिम होगा। लघुकथा ने आम जन जीवन में बहुत गहराई से अपनी पैठ बना ली है। युवा पीढ़ी भी इस विधा की ओर पढ़ने और लिखने के लिए आकर्षित हुई है। लघुकथाएँ लिखी-पढ़ी और सराही जा रही हैं, विधा की जानकारी देने के लिए सेमिनार हो रहे हैं, प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही है। लघुकथा निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रही है। इसके विकास- रथ को अब कोई नहीं रोक पाएगा।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - मेरे दो लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए हैं, तीसरा भी आएगा। कई संग्रहों में, पत्रिकाओं में भी लघुकथाएँ प्रकाशित हुई हैं। लघुकथा साहित्य से मुझे लघुकथा लेखिका के रूप में एक पहचान मिलनी शुरू हुई है जिसने मुझे ऊर्जा और प्रोत्साहन देने का कार्य है। प्रेरणा मिली है कि इसमें मैं और अच्छा करूँ।
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