प्रज्ञा गुप्ता से साक्षात्कार

जन्म तारीख- 13 जुलाई1959
जन्म स्थान- सीहोर - मध्यप्रदेश
पति का नाम- दिलीप कुमार गुप्ता
पिता का नाम- गोपीवल्लभ नेमा
माता का नाम- त्रिवेणी नेमा
शिक्षा- एम.एस-सी.(रसायन शास्त्र),एम.एड.

व्यवसाय-  26 वर्षों तक विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में अध्यापन कार्य ,केन्द्रीय वि. लेक्चरर (रसायन शास्त्र)
2013 में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति

प्रकाशित पुस्तकें:-
1. बाल काव्य-संग्रह- ‘आओ बच्चों याद करें’
2. काव्य संग्रह-  ‛प्रेरणा’
3. पर्यावरण कविताऐं-  ‛धरोहर’
4. क्षणिकाओं का संग्रह- ‘क्या यही सच है?’
5. कहानी संग्रह- ‘अपराजिता’
6. लेख संग्रह- ‘बच्चों को सशक्त बनाएं’ ।
7. लघुकथा संग्रह- ‛दुर्गा'

विशेष : -
1991 से 2002 तक आकाशवाणी बाँसवाड़ा(राज)से ‛वातायन' कार्यक्रम में 25 कहानियों का प्रसारण।
अतिथि सम्पादक: 2007 में जगमग दीपज्योति,अलवर के जून-जुलाई बाल-विशेषांक की अतिथि संपादक

पता : -
म. न. 14, प्रकाशपुंज, श्रीमाधव विला कॉलोनी,
मयूर  नगर , मेन गेट के सामने, गाँव-लोधा,
बाँसवाड़ा - 327001राजस्थान

प्र.1- लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

उ. - लघुकथा में महत्वपूर्ण तत्व -कथातत्व  है जो प्रभावशाली,धारदार, पैना, लघु तथा पाठक के हृदय को उद्वेलित करने वाला होना चाहिए।


प्र.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण है?

उ. - डॉ सतीश दुबे,डॉ.बलराम अग्रवाल, डॉ.अशोक भाटिया,डॉ.स्वर्णकिरण और बीजेन्द्र जैमिनी।


प्र.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए?

उ. - लघुकथा सुस्पष्ट,लघु,सुगठित,भावपूर्ण और सांकेतिक हो। लघुकथा शुरु से अंत तक लयबद्ध तथा संप्रेषणीय होनी चाहिए।


प्र.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म महत्वपूर्ण हैं?

उ. - सोशल मीडिया के प्लेटफार्म:-फेसबुक,व्हाट्सएप,इंस्टाग्राम,टि्वटर,यूट्यूब,ब्लॉग,वेबसाइट,ऑनलाइन मैगजीन्स, न्यूज़पेपर, ई-साहित्य।


प्र.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?

उ.- आज के परिवेश में लघुकथा पाठक वर्ग में बहुत ज्यादा पसंद की जा रही है।यह दिन पर दिन लोकप्रिय होती जा रही है।यह अन्य विधाओं की तुलना में अधिक संप्रेषणीय है। छोटी और कम समय में पढ़ ली जाती है।


प्र.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट है?

उ.-  वर्तमान समय में यह अधिकाधिक लोकप्रिय होती जा रही है। आज की व्यस्ततम दिनचर्या में लघुकथा, लघु होने के कारण पाठकों को रुचिकर लग रही है। 


प्र.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं?आप किस तरह के मार्ग दर्शक बन पाये हैं?

उ. - मैं साहित्यिक पृष्ठभूमि से हूँ। मेरे पिता हिंदी के प्रोफेसर रहे हैं। मैं भी शिक्षण कार्य से जुड़ी रही हूँ। मेरा कार्य छात्र और छात्राओं का मार्गदर्शन करना रहा। स्कूल में होने वाली साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में  विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया और उन्होंने पुरस्कार भी अर्जित किये। इसके साथ ही अच्छा और रोचक साहित्य लिखना मेरा उद्देश्य है।


प्र.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की भूमिका क्या है?

उ.-   लेखन में परिवार की भूमिका अहं है। मेरे पिता डॉ.गोपीवल्लभ नेमा व मेरी मां मेरा उत्साह वर्धन करते रहते हैं। मेरे पति श्री दिलीपकुमार गुप्ता मुझे लिखने की प्रेरणा देते हैं। वे अच्छे आलोचक भी हैं। बच्चे भी मुझे उत्साहित करते हैं और अपना मंतव्य भी बताते हैं। इससे मेरी साहित्यिक चेतना में भी वृद्धि होती  है।


प्र. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है?

उ.-  लेखन से मानदेय भी प्राप्त हुआ है। आकाशवाणी से मुझे पारिश्रमिक मिला। आजीविका से लेखन का संबंध नहीं है। मैं 1975 से लेखन कार्य कर रही हूँ। मेरे साहित्यिक ज्ञान में वृद्धि हो रही है। इससे मैं अच्छा साहित्य लिख पाती हूँ। 


प्र.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा?

उ.- लघुकथा का भविष्य उज्जवल है। यह  दिन-प्रतिदिन जनमानस में लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि विषय की विविधता लघुकथा में जितनी है उतनी किसी भी विधा में नहीं है और लघुकथा को पढ़ने में समय कम लगता है।


प्र.11-  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है?

उ. - लघुकथा लिखने से आत्म संतोष मिलता है। विभिन्न साहित्यिक ग्रुप से जुड़े रहने के कारण लघुकथा विधा में लिखने के प्रति रुझान बढ़ता जाता है।  आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी द्वारा आयोजित  लघुकथा प्रतियोगिता ( जैमिनी अकादमी द्वारा वार्षिक) में पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। 'लघुकथा के रंग' साहित्यिक ग्रुप में ऑनलाइन प्रोग्राम में दस लघुकथायें प्रस्तुत कर चुकी हूँ। मेरी सभी लघुकथाओं को  साहित्यकारों और समीक्षकों द्वारा सराहा गया। यह सम्मान का विषय है मेरे लिये।


Comments

  1. अपने प्रश्न बदलिए। इससे लगभग एक से ही उत्तर प्राप्त होंगे आपको।

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