कनक हरलालका से साक्षात्कार
जन्मतिथि :- 15 अगस्त
जन्मस्थान :- कलकत्ता ( पश्चिम बंगाल )
शिक्षा :- स्नातकोत्तर हिन्दी , श्री शिक्षायतन कॉलेज , कलकत्ता (पश्चिम बंगाल )
प्रकाशन : -
कई पत्र पत्रिकाओं में यथा लघुकथा साहित्य कलश भाग -१ , भाग -२ , भाग -३ , भाग -४ ,भाग - ५ , अविराम साहित्यिकि , अट्टहास , आधुनिक साहित्य , ऊषा ज्योति , क्षितिज , दृष्टि आदि आदि।
संपादित लघुकथा संकलन 'सफर संवेदनाओं का ' में , साझा संग्रह बालमन की लघुकथा ,
किन्नर समाज की लघुकथा., स्वाभिमान.,
कलम की कसौटी में द्वितीय पुरुष्कृत.।
सम्प्रति :- पठन पाठन , एंव स्वतंत्र लेखन
पता :-
हरलालका बिल्डिंग
एच . एन. रोड , धूबरी - 783301 असम
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है संक्षिप्त कथानक में विस्तृत कथ्य का आकलन कर पाठक के मन में विसंगतियों के प्रति आक्रोश उत्पन्न कर उसे दूर कर सकने की मनोवृत्ति का जागरण कर सकने की सक्षमता..
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बतलाएं जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - 1. मधुदीप गुप्ता , 2. कान्ता राय, 3. बीजेन्द्र जैमिनी , 4. योगराज प्रभाकर, 5. संतोष सुपेकर
मधुदीप गुप्ता जी ने दिशा प्रकाशन से लघुकथा के पड़ाव और पड़ताल के 33 खण्डों के प्रकाशन के साथ लघुकथा एवं उसकी समीक्षा के क्षेत्र में होने वाली प्रत्येक नवीन संचेतना को प्रकाशित कर लघुकथा के विकास को जन साधारण तक पंहुचाने का हर सम्भव प्रयास किया है।
कान्ता राय जी का लघुकथा के क्षेत्र में सहयोग बहुत विशेष है। इन्होंने लघुकथा के परिंदे मंच के माध्यम से नवोदित रचनाकारों की प्रतिभा को प्रस्फुटित होने का जो प्रशस्त मार्ग दिया है वह अवर्णनीय है । साथ ही लघुखथा वृत्त नामक पत्र द्वारा भी वे निरन्तर लघुकथा के विभिन्न स्वरूप को विकास के मार्ग पर चलाने के लिए एवं नवोदितों का मार्ग निर्देशन कर लघुकथा के विकास के लिए प्रयत्नशील हैं ।
बीजेन्द्र जैमिनी जी निरन्तर लघुकथा के क्षेत्र में नवीन एवं प्रस्थापित लेखकों के प्रकाशन को अपने ब्लॉग में स्थान देकर लघुकथा के विकास में अवर्णनीय सहयोग प्रदान करते रहते हैं। अभी उन्होंने 101 लघुकथाकारों की एक हजार से ऊपर लघुकथाओं का सम्पादन कर के लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा और समालोचना किसी भी विधा की व्याख्या के लिए बहुत आवश्यक तत्व है । लघुकथा की समीक्षा के लिए हमें लघुकथा में कथ्य, कथानक, शीर्षक, भाषा, शैली के साथ साथ लघुकथा की प्रभावोत्पादकता एवं तीक्षणता का अवलोकन सबसे आवश्यक तत्व है ।लघुकथा नावक के तीर सदृश्य गहरी चोट करने में सक्षम होनी चाहिए.।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ?
उत्तर - आज का समय सोशल मीडिया का समय है। साहित्य के क्षेत्र में भी सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। फेसबुक के लघुकथा समूहों ने लघुकथा को विकास के लिए विस्तृत प्लेटफार्म दिया है। इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप में भी बहुत से समूह लघुकथा को लेकर सक्रिय हैं। जूम, मीट आदि पर लघुकथा की गोष्ठियां, सभी वरिष्ठों के ब्लॉग, मातृभारती, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर आदि एप्स ने भी लघुकथा के विकास में पूर्ण सहयोगिता प्रदान कर उसे विकास के अभूतपूर्व अवसर प्रदान किए हैं ।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान युग त्वरित गतिविधियों का युग है। आज हर व्यक्ति हर कहीं जेट की स्पीड से पंहुचने को उत्सुक रहता है। उसके पास समय का अभाव है। ऐसी स्थिति में उसके इतना समय नहीं रहता कि वह लम्बी कहानियां या उपन्यास पढ़ सके। फलस्वरूप वह अपनी मानसिक क्षुधा की परितृप्ति के लिए लघुकथा जैसी अल्प समयावधि का साधन खोज कर उसकी शान्ति करना चाहता है। अतः लघुकथा आजकल साहित्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण विधा के रूप में स्थापित हो रही है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा आज के साहित्यिक क्षेत्र में जिस मुकाम पर पंहुच कर लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही है वह निश्चित रूप से विकास की चरम सीमा तक पंहुच कर साहित्य में विशिष्ट स्थान की अधिकारिणी होगी.।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आए हैं ? बताएं किस प्रकार के मार्ग दर्शक बन पाए हैं ?
उत्तर - मेरे पिताजी नाट्य, लेखन इत्यादि के क्षेत्र में सक्रिय थे । माताजी स्वयं कवियित्री थीं। घर पर पुस्तकों का ढेर लगा रहता था । उन्हीं की प्रेरणा से लेखन क्षेत्र में मेरी रुचि बनी। मैं कविता ,निबन्ध , लघुकथाएं लिख कर अपनी भावाभिव्यक्ति को वाणी देने का प्रयास करती हूँ। मैं साहित्य द्वारा अपनी विचारधारा के कुछ परिदृश्य प्रस्तुत कर सकूँ यही मेरे लेखन का उद्देश्य है ।
प्रश्न न.8 - आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मुझे मेरे परिवार से लेखन में पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। मेरी रचनाओं की प्रथम पाठक व आलोचक मेरी बेटी है । यद्यपि परिवार में लेखन कार्य मैं अकेली ही करती हूँ।
प्रश्न न.9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरा लेखन मेरे लिए आजीविका का नहीं वरन् आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य में लघुकथा निश्चित ही अपनी मंजिल तक पंहुच कर उच्च एवं लोकप्रिय स्थान ग्रहण करने में सक्षम होगी।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य की वह विधा है जो व्यक्ति को समाज की विसंगतियों से अवगत करवा कर सामाजिक बुराइयों को दूर करने की मनोवृत्ति बनवाने में सहायक सिद्ध हुई है।
लघुकथा साहित्य से आत्मसंतुष्टि के साथ जीवन को समझने का एक नया नजरिया प्राप्त हुआ है । कुछ सम्मान व कई वरिष्ठ लेखकों से परिचय व साहित्य क्षेत्र में कुछ करने की प्रेरणा मिली है ।
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