डॉ. रेखा सक्सेना से साक्षात्कार

 माता : श्रीमती रमा सक्सेना
 पिता:श्री जगदीश सरन 
 पति: श्री यू.सी.सक्सेना (Sr.EDPM N.Rly)
 शिक्षा : एम.ए. प्रशिक्षित ,पी-एच.डी (हिन्दी)

 संप्रति: -
 इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य से सेवानिवृत्त होकर स्वतन्त्र लेखन में व्यस्त

उपलब्धि : -
सन् 1980 से आकाशवाणी रामपुर से कविता प्रसारित। पांच काव्य-संग्रहों में 20 कविताएं छप चुकी हैं।
लघुकथा,कहानी एवं परिचर्चा इत्यादि ब्लाग तथा मंचों पर प्रकाशित हो चुकी है ;जिनमे कई रचनाओं पर सम्मान प्राप्त हो चुका है

पता : -
 सी -  2/202 मानसरोवर कालोनी , 
मुरादाबाद - 244001 उत्तर प्रदेश
प्रश्न न.1- लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में लघुता के आगोश में परिवर्धित ,प्रभावकारी  संप्रेषणीयता एवं सशक्त कसावट से युक्त कथ्य ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।

प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ। जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो?
उत्तर - सुकेश साहनी जी , बीजेन्द्र जैमिनी जी , योगराज प्रभाकर जी , कांता राय जी , मीरा जैन जी 

प्रश्न न. 3 -  लघुकथा समीक्षा के कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में समीक्षा के महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं : -
      (क) विषय की नवीनता 
      (ख) प्रस्तुतिकरण की गहराई की शिष्टता 
      (ग) कथ्य के मर्म पर दृष्टिपात 

प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन-कौन से प्लेटफॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर - साहित्यिक मंचो पर लघुकथा के प्रचार एवं प्रसार के लिए व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम,ब्लॉग,ऑडियो वीडियो, ज़ूम मीटिंग के साथ-साथ 'ई' लघुकथा साझा संकलन, पत्र-पत्रिका आदि सशक्त प्लेटफॉर्म हैं।

प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है? 
उत्तर - आज की लघुकथा पुराने प्रतिमानों को भंग करती प्रगतिशील एवं उत्तरोत्तर विकास पथगामिनी है, जिसमें मानवीय चेतना को मथने की शक्ति है।

प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सन्तुष्ट हैं? 
उत्तर - समयाभाव के कारण आज पाठक द्वारा लघुकथा खूब पढ़ी जा रही है जो सन्तुष्टि का विषय तो है पर कथा और लघुकथा के विवादास्पद अंतर को भलीभांति समझकर लिखना ही श्रेयस्कर है, वरना लघुकथा के साथ बेईमानी है।

प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार की पृष्ठभूमि से आये हैं और बताये किस प्रकार के माग्रदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरे पिताश्री जगदीश "वियोगी" अच्छे साहित्यकार थे। बचपन से ही मुझे साहित्यिक परिवेश मिला। घर में गोष्ठियां होती थीं जिससे बहुत कुछ सीखने को मिला। हमारी भावी पीढ़ी भी हमारे लेखन से स्वयं लिखने की ओर प्रेरित हुई है।

प्रश्न न.8 आपके लेखन में आपके परिवार की क्या भूमिका है ? 
उत्तर -  शादी से पहले पितृपक्ष तो साहित्यिक रहा ही है। आकाशवाणी रामपुर से रचनाएँ सन 80 से प्रसारित हो रही है। माता-पिता ,भाई-बहन सभी सुनते हैं, सुझाव देते हैं और स्वयं भी लिखते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद अब ससुराल में पति का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।

प्रश्न न. 9 - आपकी आजीविका में आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आकाशवाणी से जो मुझे चेक मिलते हैं वह मुझे प्रफ़ुल्लित करते हैं और लेखन की ओर मुझे अग्रसर करते हैं। आजीविका की दृष्टि से मैं  सेवानिवृत्त शिक्षिका होने के नाते पेंशनभोगी हूँ।

प्रश्न न. 10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य उत्तरोत्तर, विकासोन्मुखी और उज्ज्वल होगा क्योंकि यह क्षणवादी जीवन की माँग है।

प्रश्न न. 11-  लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ? 
उत्तर - आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी जी द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता एवं विभिन्न स्मृतियों में लघुकथा उत्सव एवं मैराथन हेतु एवम महिला रचनाकारों  के 'ई - संकलन में लिखी गई लघुकथाओं से मुझे आत्मिक सुख की असीम प्राप्ति होती है अन्य कई मंचों पर मेरी लघुकथाएं सम्मान प्राप्ति के साथ-साथ सराही एवं प्रशंसा की पात्र रही हैं, जो लेखन में मेरी प्रसन्नता एवं मनोबल को बढ़ाती हैं।

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