ज्योत्स्ना ' कपिल ' से साक्षात्कार

जन्म :  2 अगस्त 1974, लखनऊ - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( अंग्रेजी साहित्य ),बी एड ।

व्यवसाय : कई वर्ष तक पब्लिक स्कूल में शिक्षण कार्य।
सम्प्रति : सह सम्पादक - अविराम साहित्यिकी (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका)।
विधाएं : छंद मुक्त कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास, संस्मरण, आलेख समीक्षा, डायरी।

प्रकाशित संग्रह -

कहानी संग्रह- प्यासी नदी बहती रही,
लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत
उपन्यास - उर्वशी ( मातृभारती द्वारा प्रकाशित ) ,


सम्पादन -

- लघुकथा संकलन : आस पास से गुजरते हुए (विश्व पुस्तक मेला 2018,नई दिल्ली ),
- समकालीन प्रेमविषयक लघुकथाएं ( विश्व पुस्तक मेला 2019,नई दिल्ली),

सम्मान -

- नारी अभिव्यक्ति मंच पहचान द्वारा ' शकुंतला कपूर स्मृति लघुकथा सम्मान(लघुकथा -  चुनौती, द्वितीय पुरस्कार )
-  हिंदी विभाग बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी एवम अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वाधान में, रविन्द्र फाउंडेशन द्वारा ' डॉ माधुरी शुक्ला स्मृति कथा साहित्य पुरस्कार ( प्यासी नदी बहती रही ) ', 
-  प्रादेशिक लघुकथा मंच गुरुग्राम द्वारा ' लघुकथा शिरोमणि सम्मान (लघुकथा - रोबोट , तृतीय पुरस्कार ) '
-   प्रेरणा अंशु - अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता सम्मान ( कब तक : सांत्वना पुरस्कार ),
-   भारतीय संस्थान- मानव सेवा क्लब द्वारा ' शांति सुरेन्द स्मृति साहित्य सम्मान ',
-   लेखिका संघ मध्य.प्रदेश भोपाल द्वारा ' श्रीमती सुशीला जिनेश स्मृति पुरस्कार ( लघुकथा संग्रह - लिखी हुई इबारत )
-   दीपशिखा साहित्यिक एवम सांस्कृतिक मंच द्वारा  ' ज्ञानोदय अकादमी दीपशिखा सम्मान ( लघुकथा - किस ओर, प्रथम पुरस्कार )।

विशेष : -

- बरेली में एक वर्ष तक लघुकथा की कार्यशाला, सुश्री निरुपमा अग्रवाल के सहयोग से लगाई।
  -  आकाशवाणी बरेली द्वारा निरन्तर कहानी एवम लघुकथाओं का प्रसारण।
  -  साझा संकलन - कविता अभिराम, लघुकथा अनवरत, नई सदी की लघुकथाएं, प्रतिनिधि लघुकथाएं, बून्द बून्द सागर, सपने बुनते हुए,अपने अपने क्षितिज, नई सदी की धमक, पड़ाव और पड़ताल।
  - विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र, पत्रिकाओं एवम वेबसाइट में रचनाओं का प्रकाशन : चम्पक, साहित्य अमृत, गगनांचल, मिन्नी एवम प्रतिमान ( पंजाबी में ), कथा समवेत, सरस्वती सुमन, हिंदी चेतना, कादम्बिनी, प्रेरणा अंशु, खुशबू मेरे देश की, अविराम साहित्यकी, साहित्य समीर दस्तक , पुरवाई, हस्ताक्षर, प्रतिलिपि, मातृभारती, सेतु, जय विजय, साहित्य सुधा।

निवास :
पता : 18- ए, विक्रमादित्य पुरी, स्टेट बैंक कॉलोनी, बरेली - 243005 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 

उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व यकीनन कथानक है, जो कि लघुता में विराटता को समेटे हुए हो। अर्थात एक ऐसा कथानक जो गूढ़ अर्थ लिए हुए, परन्तु आकार में लघु भी हो।


प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर - समकालीन लघुकथा में, यूँ तो बहुत सारे लोग हैं जो इस महती कार्य में संलग्न हैं। उनमें से पाँच नाम लेना बहुत मुश्किल है। एक ओर भगीरथ परिहार जी हैं तो दूसरी ओर कांता रॉय। एक ओर योगराज प्रभाकर जी है तो दूसरी  ओर बीजेन्द्र जैमिनी जी व सन्तोष सुपेकर जी है ।


 प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 

उत्तर - समीक्षा का अर्थ है किसी भी रचना की बहुत सूक्ष्मता के साथ, व्यापक पड़ताल करना, जिसमें समीक्षा के सभी तत्वों का समावेश हो सके। लघुकथा की समीक्षा में उसका उद्देश्य, कथानक, चरम, शीर्षक, उसकी सम्प्रेषणीयता, भाषा शिल्प आदि की व्यापक पड़ताल होनी चाहिए।

 

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 

उत्तर -  लघुकथा साहित्य के प्रचार - प्रसार व विकास में, वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि सोशल मीडिया से ,आज प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है। ऐसे में पाठक की रुचि, लघुकथा की ओर उन्मुख एवम जाग्रत करने में फेसबुक समूह, व्हाट्सएप, ब्लॉग,  वेबसाइट, यूट्यूब, शार्ट फिल्में, लघुकथा का सस्वर पाठ, ऑनलाइन गोष्ठियों की महती भूमिका है।


प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?

उत्तर - आज की भागती दौड़ती ज़िन्दगी में, जब व्यक्ति के पास समय की अत्यधिक कमी है, ऐसे में लघुकथा अत्यंत लोकप्रिय हो चुकी है। इसका सूक्ष्म कलेवर इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण है। इसी वजह से लघुकथा को लिखा भी खूब जा रहा है और पढ़ा भी खूब जा रहा है।


प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?

उत्तर  - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा पर बहुतायत में कार्य हो रहा है। वरिष्ठों के साथ , नवोदित एवम युवा पीढ़ी बहुत उत्साह से लघुकथा के उत्थान, प्रचार प्रसार में सहयोग दे रही है। भूतकाल से यदि तुलना की जाए तो लघुकथा को आज के दौर में बहुत महत्व दिया जा रहा है। अब अधिकतर साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं लघुकथा को पूरे सम्मान के साथ प्रकाशित कर रही हैं।बिना अधूरी हैं। यही कारण है इसमें बहुत काम हो रहा है। आगे चलकर सबके सम्मिलित प्रयास सफल होंगे, एवम लघुकथा साहित्य के आकाश में दैदीप्यमान होगी, ऐसा मेरा अनुमान एवम विश्वास है।


प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उत्तर - मैं एक ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ, जहाँ पठन पाठन का वातावरण रहा था। घर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन पुस्तकें थीं। खाली समय में सभी पढ़ना पसन्द करते थे। तो ऐसे में मेरी रुचि भी अध्ययन की ओर उन्मुख होना लाज़मी था। पढ़ने के बाद ही लेखन में भी रुचि जाग्रत हो गई। गुणवत्तापूर्ण साहित्य की समझ विकसित हो चुकी है। अच्छा लिखने की दिशा की ओर भी प्रयासरत हूँ।


प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 

उत्तर  - एक महिला के लिए अपनी रुचियों के फलने फूलने एवम विकास के लिए पारिवारिक सहयोग और सकारात्मक वातावरण अपरिहार्य होता है। मेरे भी लेखन व उपलब्धियों पर, मेरे परिवार को गर्व एवम प्रसन्नता होती है। मेरे बच्चे तो खासतौर पर मुझे लेखन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।


प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?

उत्तर  - मैं काफी समय पहले तो शिक्षण करती थी, परन्तु वर्तमान एक गृहणी ही हूँ। कई बार लेखन द्वारा कुछ अर्थोपार्जन हो जाता है। तो बहुत प्रसन्नता महसूस होती है। चाहे वह अर्थोपार्जन प्रकाशन, प्रसारण अथवा पुरुस्कार द्वारा हो। मन में उत्साह का संचार तो करता ही है।


प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 

उत्तर - वर्तमान काल में लघुकथा विधा की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। इसकी लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण उसकी मारक क्षमता है। यह एक ऐसी विधा है , जो देखन में छोटी लगे, पर घाव करे गम्भीर । यह विद्या पाठक को चिंतन मनन करने को विवश करती है । सोशल मीडिया भी इसकी लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। अतः मैं दावा कर सकती हूँ कि लघुकथा का भविष्य बेहद उज्ज्वल है।


प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?

उत्तर - लघुकथा ने, एक रचनाकार के तौर पर मेरी पहचान बनाई, मुझे एक लघुकथाकार के रूप में स्थापित किया। कभी - कभी रचनाओँ के प्रकाशन एवम आकाशवाणी पर उनके प्रसारण से थोड़ा बहुत अर्थलाभ भी हो जाता है। कई पुरस्कार भी लघुकथा के कारण ही मेरी झोली में आये। जब दूर दूर से लोग फोन करके बताते हैं कि आपकी फलां रचना पढ़ी, बहुत पसंद आयी, मन में बहुत खुशी महसूस होती है, हौसला बढ़ता है। आगे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। उम्मीद करती हूँ कि भविष्य में कुछ यादगार रचनाओँ का सृजन कर जाऊँ।


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