कंचन शर्मा ' कौशिका ' से साक्षात्कार
रूचि : लेखन, संगीत
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन, कई मंचों से जुड़कर साहित्य सेवा
विधा : कहानी, लघुकथा, कविताओं आदि
सम्मान : -
1.साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान।
2.आगमन द्वारा तीन बार सम्मनित।
3. पूर्वाषा हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सौरभ सम्मान.
4. अलग अलग मंचों द्वारा मेरी कहानी, लघुकथाएं को श्रेष्ठ रचना का सम्मान।
Address : 5C ,5th floor , pink House , A, K. Azad Road , Rehabari -781008 Guwahati - Assam
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में मेरे हिसाब महत्वपूर्ण तत्व एक कसा हुआ कथातत्व और कुछ संदेश अवश्य छुपा होना चाहिए।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर- समकालीन लघुकथा साहित्य में आ. ओम नीरव जी, आ. बीजेन्द्र जैमिनी जी, आ. सतीशराज पुष्करणा जी, आ सुकेश साहनी जी, आ. योगराज प्रभाकर जी आदि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा में जो जरूरी मापदंड होने चाहिए वह है कि आवश्यकता से अधिक एक शब्द भी ना हो दूसरा पंचलाइन उसकी ऐसी हो की अनकहे शब्दों से ही पाठक बहुत कुछ समझ जाय तीसरा शीर्षक ऐसा हो कि पाठक पढ़ने को मजबूर हो जाए।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, आदि प्लेटफार्म की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की स्थिति बहुत ही सम्मानजनक है। कम और नपे तुले शब्दों में समाज के सामने अपने सशक्त शब्दों से अपना उद्देश्य रखने में सफल होती दिख रही हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - संतुष्टि की बात करें तो मैं कहूंगी कि पूरी तरह तो संतुष्ट हम कभी नहीं हो सकते।लेकिन लघुकथा की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर संतुष्टि जरूर होती हैं।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि की बात करूं तो मैं एक व्यवसायिक परिवार में पली - बढ़ी हूं। साहित्य जगत से हमारा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। लेकिन मेरी रुचि बचपन से ही साहित्य में रही है। मुझे बड़े बड़े साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ना अच्छा लगता था। फिर धीरे-धीरे लिखना शुरू किया और कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी रचनाएं भेजने लगी, साहित्य की ओर मेरा रुझान बढ़ता ही गया। आज कई साहित्य मंचों से जुड़कर मैं सक्रिय और स्वतंत्र लेखन कर रही हूं।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे लेखन में मेरे परिवार की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है खासकर मेरे पति जो सदैव मेरी रचना को पढ़ते सुनते हैं और यथासंभव मेरा मार्गदर्शन भी करते हैं । सब के सहयोग के बिना लेखन में समय देना शायद संभव नहीं होता। अपने पति, बच्चों और अपने पुरे परिवार से मुझे भरपूर सहयोग और सराहना मिलती है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मैंने लेखन को कभी आजीविका से जोड़ा ही नहीं। मैं अपनी आत्म संतुष्टि के लिए लिखती हूं और प्रयास करती हूं की मेरे लेखन से समाज में कुछ अच्छा संदेश जाए।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य काफी उज्जवल है। यह एक लोकप्रिय विधा बन कर उभर रही हैं। आज की दौड़ती भागती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है कि वह लंबी-लंबी कहानियां पढ़ें। ऐसे में लघुकथा को सभी बहुत पसंद करने लगे हैं।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - जी लघुकथा साहित्य से मुझे एक नई पहचान मिली है। देश की कई पत्र-पत्रिकाओं ने ससम्मान मेरी लघुकथाओं को प्रकाशित किया है। मैंने काफी लघुकथाएं लिखी है। मेरा एक लघुकथा संग्रह भी प्रकाशन में है।
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