अनिता रश्मि से साक्षात्कार
शिक्षा - विज्ञान स्नातिका, राँची महिला महाविद्यालय से।
पुस्तकें :-
पहला लघुकथा संग्रह 'कचोट'
विविध विधा की दस पुस्तकें
विशेष -
- पहला उपन्यास - 19-20 की उम्र में।
- पहली लघुकथा - 1977 में।
नवतारा के ( संपादक-भारत यायावर) लघुकथांक 1979 में प्रकाशित।
- 1991 में अखिल भारतीय लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी आकार ( मधुबनी, बिहार ) में एक लघुकथा पोस्टर प्रदर्शित ।
- 1981 में भोपाल सूद जी द्वारा दिल्ली दूरदर्शन के लिए लघुकथा संबंधी साक्षात्कार। जो स्टिल फोटो के साथ बाद में प्रसारित किया गया था। ( राज की बात कि भूपाल जी के आने के तीन-चार दिन बाद ही मेरा विवाह... )
- लघुकथाओं का - तारिका, लघु आघात, लघुकथा. काम, लघुकथा कलश, कथाक्रम, जनसत्ता सबरंग, राष्ट्रीय सहारा, पायोनियर, दै. हिंदुस्तान, प्रभात खबर, विश्व गाथा, सर्व भाषा, राँची एक्सप्रेस, जागरण आदि में प्रकाशन
- दस वर्ष तक शिक्षण कार्य।
प्रमुख पुरस्कार / सम्मान :-
- उपन्यास ' पुकारती जमीं ' को 1990 में नवलेखन पुरस्कार, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार से।
- प्रथम स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान ।
- तृतीय शैलप्रिया स्मृति सम्मान।
- रामकृष्ण त्यागी स्मृति कथा सम्मान
पता : -
1 - सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, डोरंडा, राँची -834002 झारखण्ड
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उ० - स्पष्ट कथ्य और पंच लाइन।
प्रश्न न. 2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - अशोक भाटिया जी, कांता राय जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, रामेश्वरम काम्बोज जी , सुकेश साहनी जी ।
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उ० - जो किसी भी विधा की समीक्षा के लिए जरूरी हैं। जैसे निष्पक्षता, तटस्थता, गुणवत्ता। लघुकथा की समीक्षा के लिए उसके शीर्षक की उपयुक्तता, पंच लाइन और छिपे संदेश को भी पहचान कर समीक्षीय दायित्व निभाने की जरूरत है।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उ० - फेसबुक, व्हाइट्स एप, वेब साइट्स, ब्लॉग, ई पत्रिकाएँ, ई पुस्तक, यू ट्यूब आदि।
प्रश्न न. 5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उ० - आज लघुकथा साहित्य की अन्य विधाओं से टक्कर लेने की बजाय आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। निरंतर अपने को निखारने का प्रयास और लघुकथाकारों की प्रतिबद्धता के कारण इसने विशेष दर्जा हासिल कर लिया है। अब लघुकथा के बिना कोई पत्र-पत्रिका आगे नहीं बढ़ सकती है। इसने अन्य विधाओं के साथ कदमताल करना काफी पहले ही सीख लिया था।
प्रश्न न. 6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उ० - हाँ भी, नहीं भी। इसके बढ़ते कदम, इस पर निरंतर की जानेवाली मेहनत, शोधादि जहाँ संतुष्टि प्रदान करते हैं, वहीं भेड़चाल असंतुष्ट भी करती है। बिना पढ़े अर्थात बिना अध्ययन, बिना समझे धड़ाधड़ लघुकथा के नाम पर लघु कहानियांँ परोसना निराश भी करता है।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ० - मैं मध्यम परिवार से हूँ। घर में ही अनगिन पुस्तकें, पत्रिकाओं के पठन-पाठन के कारण साहित्यिक रुचि जगी।
शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों को काव्य, कथा लेखन के लिए प्रेरित किया, राह सुझाई, सुधारा बारंबार।
अब भी नए लघुकथाकारों को लघुकथा में कमी पर सुझाव देती हूँ
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उ० - पाठक की, दर्शक की, प्रसंशक की। परिवार में कोई साहित्यकार नहीं पर बहुत सारे सजग साहित्यप्रेमी थे तो किताबों की अधिकता ने बचपन में ही कलम थमा दी थी। पति प्रारंभ में मेरी रचनाओं के प्रथम पाठक हुआ करते थे। उनकी प्रतिक्रिया सुधार का मार्ग प्रशस्त करती है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उ० - जो हर हिन्दी के लेखक की होती है। लेखन को आजीविका बनाना कठिन। कुछेक पारिश्रमिक से जीवन नहीं चलता।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उ० - बेहद उज्ज्वल। पुरोधाओं सहित निरंतर लगे रहनेवाले साधकों की कसौटी पर खरी उतरेगी। पूत के पाँव दिखाई पड़ने लगे हैं। लेकिन सावधानी अपेक्षित कि लघुकथा लघु कथा न बन जाए।
प्रश्न न. 11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उ० - साहित्य कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं। कुछेक विसंगतियों-विडंबनाओं से विचलित हो, कुछ बदलाव की चाहत में, सुधार करने के लिए लेखन करती हूँ। यह एक साधना है। लघुकथा में यह जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। अन्य लघुकथाकारों से परिचय-घनिष्ठता को प्राप्ति कह सकते हैं।
अनिता रश्मि जी के लघुकथा विधा पर सुलझेगी हुए उत्तर । जिससे उनका समर्पित भाव स्पष्ट है । बधाई व शुभकामनाएँ ।
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