शर्मिला चौहान से साक्षात्कार
पति- राजेंद्र सिंह चौहान
जन्मस्थान- रायपुर (छत्तीसगढ़)
शिक्षा- एम.एच.एससी. बी.एड.
लेखन :
पिछले कुछ सालों से लेखन में सक्रिय हूँ। लघुकथाएं, कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। समय समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं।
प्रकाशित पुस्तकें : -
एकल संग्रह- मुट्ठी भर क्षितिज ( कहानी संग्रह)
साझा संकलन- सेदोका की सुगंध।
विभाजन त्रासदी की लघुकथाएं में "अपना अपना सच"
डाॅ. रामकुमार घोटड़ जी संपादक
पड़ाव एवं पड़ताल 32 में लघुकथा "मन की बात"
भूख आधारित संकलन - गिरगिट एवं बोध
समसामयिक लघुकथाओं का दस्तावेज- सारथी, गर्म रजाई।
समसामयिक लघुकथाएं- सृजन बिंब प्रकाशन, महिला दिवस एक अभिव्यक्ति एवं जिंदगी जिंदाबाद सभी में लघुकथाएं।
पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशन : -
दैनिक भास्कर मधुरिमा, युग जागरण, इंदौर समाचार, चिकीर्षा ई-पत्रिका, नवभारत साहित्यनामा में लघुकथाएं प्रकाशित होती हैं
सम्मान / पुरस्कार : -
लघुकथा आयोजन २०२० में मेरी लघुकथा "सौधी महक" को प्रथम पुरस्कार मिला। वनिका प्रकाशन ने पुस्तक रुप दिया" आयोजन २०२०, एक समग्र प्रयास"।
Address : _
C_1401, Niharika kankia Spaces
Opposite Lokpuram mandir
Thane (west)400610 Maharashtra
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - शरीर की तरह ही लघुकथा भी तत्वों से बनती है। इसका प्राणतत्व "भाव" है। विषय, चिंतन, प्रस्तुति एवं सहजता इसे पाठकों के साथ जोड़ देते हैं। विषयों पर संस्मरण, कथा के रुप से अलग, लघुकथा अपनी कसावट से कम शब्दों में बड़ी अभिव्यक्ति करने की क्षमता रखती है।
सरल भाषा, बिंबों का उपयोग लघुकथा को सटीक और सार्थक बनाते हैं। लेखक के दिल की बात सहजता से पाठक तक पहुँच जाए । लघुकथा की सफलता इसी में है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा विधा के विकास क्रम में बहुत विज्ञजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरा सौभाग्य है कि दिनों दिन मुझे कुछ वरिष्ठ लघुकथाकारों का मार्गदर्शन एवं प्रतिक्रिया स्वरूप सुझाव प्राप्त हुए। आदरणीय अशोक भाटिया सर, आ.मधुदीप गुप्ता सर, आ. योगराज प्रभाकर सर, आ. कांता राॅय दीदी एवं आदरणीय बीजेन्द्र जैमिनी सर ने समय समय पर प्रोत्साहित किया है। इनके अलावा भी कई वरिष्ठों के सहयोग, सुझाव एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुए हैं । कुछ वरिष्ठों के आलेख, लघुकथाएँ नवोदित लघुकथाकारों के लिए आधार हैं। उनके द्वारा संपादित पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएं एवं आयोजित प्रतियोगिताओं से सीखने का अवसर मिला है।
प्रश्न न. 3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - वरिष्ठों की समीक्षाएंँ पढ़कर पता चलता है कि लघुकथा लेखन से ज्यादा जिम्मेदारी समीक्षक की होती है। समीक्षा में प्रशंसा और आलोचना, दोनों की समान अहमियत है। आलोचना का उद्देश्य, लघुकथा विधा को समृद्ध करने में लेखक की सहायता करना होता है। भाषा की शुद्धता, कथानक की स्पष्टता एवं शीर्षक की सार्थकता समीक्षा के प्रमुख बिंदु होने चाहिए। लघुकथाकार से जो कुछ छूट जाता है, समीक्षक की पैनी दृष्टि उसे ढूँढकर लेखकीय सुधार के लिए मार्गदर्शन देती है।
प्रश्न न. 4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा विधा के विकास में सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। फेसबुक, व्हाट्स अप और गूगल की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। आज विभिन्न समूहों में लघुकथाओं की संगोष्ठी, प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। फोन से ही लेखक अपनी लघुकथा कहीं भी भेज सकते हैं। गूगल में संग्रहित जानकारियां, आलेख एवं संकलनों से बहुत सहायता मिलती है। लेखक पर निर्भर करता है कि वह सोशल मीडिया का कितना सदुपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के परिवेश में लघुकथा अपने पूरे निखार पर है। लेखकों एवं पाठकों की बढ़ती रुचि, इस विधा को समृद्ध बना रही है। वरिष्ठ एवं नवोदित लघुकथाकारों का सुंदर समन्वय हो रहा है। वरिष्ठों के अनुभव, मार्गदर्शन का लाभ नये लघुकथाकारों को मिल रहा है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाओं, पुस्तकों में लघुकथाएं अपना विशिष्ट स्थान बना रहीं हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - जी बिल्कुल! विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाकर लघुकथाकार संतुष्टि और आनंद का अनुभव कर रहे हैं। नए विषयों, अलग शैलियों में अपने भावों को डालने का प्रयास, सभी लघुकथाकार कर रहें हैं।
प्रश्न न. 7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक मध्यमवर्गीय, नौकरीपेशा परिवार से हूँ। मेरे परिवार में स्त्रियों की शिक्षा का बहुत ध्यान रखा गया।
मुझे बचपन से ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेना पसंद था, बाल कहानी लेखन, निबंध प्रतियोगिता, लघुकथा कथन प्रतियोगिता, वाद विवाद आदि। धीरे-धीरे यह लेखन के रुप में बदलता गया। एक संग्रह "मुट्ठी भर क्षितिज" के प्रकाशन के बाद से दो-तीन सालों से मैं लघुकथा विधा को समझने का प्रयास कर रही हूँ। मार्गदर्शन का क्या कहूँ, मैं खुद अभी सीख रहीं हूँ और जीवन भर लघुकथा की बारीकियों को सीखते रहना चाहती हूँ।
प्रश्न न. 8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे परिवार वालों के सहयोग, उत्साह वर्धन से ही, मैंने एक बार फिर से लेखन शुरू किया है। मित्रों एवं परिवार के लोगों के विश्वास का ही परिणाम है कि आज मैं लघुकथा लिखना सीख रहीं हूँ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में ,आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लिखना मुझे आनंद देता है। यह आजीविका का साधन नहीं है। पुरस्कार में मिली राशि एवं पुस्तकों से, लेखन को एक नया जोश मिलता है। लेखन आजीविका का साधन नहीं है परंतु पुरस्कार के एक रुपए का भी बहुत महत्व है। वरिष्ठों के सुझाव, मार्गदर्शन एवं प्रतिक्रियाएँ मेरा संबल है। पाठकों का प्रेम, उनकी प्रतिक्रियाएं मुझे संतुष्टि देतीं हैं।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - वर्तमान समय में लघुकथाएँ पढ़ी भी जा रहीं हैं और लिखी भी जा रहीं हैं। समीक्षकों ने भी इस विधा को परिपूर्ण करने में मेहनत की है।
कम शब्दों में गहरी बात कहने का सामर्थ्य रखने वाली विधा, भविष्य में हर हृदय पर राज करेगी। गागर में सागर वाली कहावत को चरितार्थ करती लघुकथा विधा, नई पीढ़ी को भी आकृष्ट कर रही है।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा को समझना, उसकी बारीकियों को जानने का अवसर मुझे मिला। लघुकथा आयोजन 2020 में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने पर, निर्णायक मंडल, समीक्षकों की प्रशंसा और बतौर उपहार पुस्तकें प्राप्त हुईं। पाठकों का प्यार, सबसे बड़ी उपलब्धि है। मुझे हमेशा कुछ अच्छा, कुछ नया सोचने के लिए प्रेरणा मिल रही है।
बहुत खूबसूरत 👌👍🏼
ReplyDelete